नैनीताल: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सरोवर नगरी से विशेष लगाव था. वैसे तो अटल जी कई बार नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्रों में आते रहते थे. लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद 2002 में वो नैनीताल पहुंचे थे. दरअसल 2002 में कच्छ में भूकंप आया था, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी. जिससे वाजपेयी को काफी दुख हुआ और वो मन की शांति के लिए नैनीताल पहुंचे. साथ ही भूकंप में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए उस साल होली ना मनाने का भी फैसला किया था.
वाजपेयी ने नैनीताल समेत आसपास के कई क्षेत्रों का भ्रमण किया, जहां उन्होंने नैनीताल की बदहाल पड़ी झीलों को देखकर करीब 200 करोड़ रुपए का बजट दिया था. जिससे झील संरक्षण का काम शुरू किया गया. जिसके तहत नैनीझील को ऑक्सीजन देने का काम किया जा रहा है. इसी वजह से आज भी झील का अस्तित्व कायम है. अब तक करीब 68.8 करोड़ रुपए झील और नालों के संरक्षण में लगाया जा चुका है. वहीं, नैनीताल व झील के संरक्षण के लिए करीब 98 करोड़ रुपए की डीपीआर केंद्र सरकार के पास है, जिसमें समय-समय पर कार्य होते रहते हैं.
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इससे पहले भी अटल जी 1988-89 में हिन्दी दिवस के मौके पर नैनीताल पहुंचे थे, जहां उनके स्वागत में होटल मालिक महीप भट्ट सुबह से उनका इतंजार कर रहे थे. लेकिन वो होटल में देर रात पहुंचे. उनके पहुंचते ही होटल मालिक महीप भट्ट उनके स्वागत के लिए आरती लेकर दौड़ पड़े, लेकिन जैसी ही उन्होंने अटल जी की आरती शुरू की तो उन्होंने होटल मालिक को रोकते हुए कहा कि हमारे रीति रिवाज में रात को आरती नहीं की जाती है.
अटल बिहारी वाजपेयी नैनीताल समेत कई स्थानों घुमने गए. जिसके लिए होटल मालिक ने उनके लिए एक जिप्सी का इंतजाम किया था. अटल जी के वापस जाने के बाद होटल मालिक महीप भट्ट ने उस गाड़ी को सुरक्षित होटल में खड़ा कर दिया और आज भी वो गाड़ी उसी हाल में होटल परिसर में खड़ी है. जिसे यहां आने वाले पर्यटकों को दिखाया जाता है.