हल्द्वानीः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन दिनों चुनावी मोड में नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि त्रिवेंद्र रावत लगातार कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं. इसी कड़ी में हल्द्वानी पहुंचे त्रिवेंद्र रावत ने इशारों-इशारों में लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है. इसके अलावा उन्होंने भगत सिंह कोश्यारी को अपना मार्गदर्शन बताया है.
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज हल्द्वानी पहुंचे. जहां कुमाऊं पार्टी कार्यालय संभाग में कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. उन्होंने कार्यकर्ताओं से आगामी लोकसभा और निकाय चुनाव को लेकर अभी से जुटने का आह्वान किया. कुमाऊं दौरे पर निकले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वो पार्टी कार्यकर्ताओं और नए पदाधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Trivendra Singh Rawat को क्यों मांगनी पड़ी युवाओं से माफी, सीएम बदलने पर कही ये बात
चुनाव लड़ने की जताई मंशाः आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने या मार्गदर्शक मंडल में जाने पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमारे यहां 75 साल के बाद मार्गदर्शक मंडल की उम्र होती है. ऐसे में पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ूंगा या मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे निभाऊंगा. उन्होंने इशारों-इशारों में लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जताई है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वो पूरे प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं. जहां वो बीजेपी को मजबूत करने का काम कर रहे हैं. उनकी मंशा है कि बीजेपी पांचों सीटों पर चुनाव जीते.
भगत सिंह कोश्यारी से मिलेगा मार्गदर्शनः महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उत्तराखंड में फिर से एंट्री के बाद सियासत गर्म हो गई है. इस पर त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि भगत सिंह कोश्यारी बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और सभी के मार्गदर्शक हैं. उनके मार्गदर्शन में काम किया जाएगा. किसी भी तरह की कोई राजनीतिक हलचल उत्तराखंड में नहीं है.
ये भी पढ़ेंः CM धामी पर गैरों से ज्यादा 'अपनों' का सितम! त्रिवेंद्र के बयानों से बैकफुट पर सरकार
लाठीचार्ज को ठहराया गलतः देहरादून में बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज को दुखद बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में छात्रों के ऊपर हुए लाठीचार्ज को सही नहीं ठहराया जा सकता. अब हमारे पास माफी मांगने के सिवाय कुछ नहीं है. क्योंकि, लाठी खाने वाले बच्चे भी हमारे थे. उन्होंने कहा कि लाठी किसके कहने पर चली और किन लोगों ने चलाया? यह जांच का विषय है. जिन बच्चों को चोट पहुंची है, उस पर मरहम लगाया जाना चाहिए.