रामनगर: वन विकास निगम (Ramnagar Forest Development Corporation) व वन विभाग के अंतर्गत होने वाले उपखनिज चुगान की अनुमति 15 फरवरी 2023 को समाप्त हो जाएगी. फिर से 10 वर्षों की स्वीकृति प्राप्त करने के लिये वन विकास निगम ने प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा है.
बता दें कि रामनगर वन विभाग (Ramnagar Forest Department) के अंतर्गत हर साल वर्षाकाल में कोसी नदी के अन्तर्गत पर्वतीय क्षेत्रों से भारी मात्रा में वर्षा होने के कारण उपखनिज बहकर कोसी नदी में एकत्रित होता रहता है. उपखनिज निकासी ना हो पाने से नदी तल उथला हो जाता है, जिससे वर्षाकाल में समीपवर्ती वन भूमि एवं स्थानीय ग्रामवासियों की कृषि योग्य भूमि में भू-कटाव का खतरा बढ़ जाता है. कोसी नदी के उपखनिज चुगान (Mining from Ramnagar Kosi and Dabka river) क्षेत्र के समीपवर्ती ग्रामवासियों द्वारा भी निरंतर उक्त नदी से उपखनिज चुगान की मांग की जाती है, जिससे नदी की बाढ़ से बचाव के साथ-साथ उपखनिज चुगान करने से स्थानीय ग्रामवासियों को रोजगार भी सुलभ हो जाता है.
बता दें कि भारत सरकार द्वारा वन विकास निगम को हर बार 10 वर्षों की अनुमति दी जाती है. जबकि 15 फरवरी 2023 को ये अनुमति खत्म होने जा रही है. वन विकास निगम रामनगर ने कोसी नदी में 181 हेक्टेयर उपखनिज चुगान क्षेत्र के दोनों तरफ आधे क्षेत्र को छोड़कर 90.50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उपखनिज चुगान का पुनर्प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा है. जिसकी अनुमति मिलने के बाद ही 2023 फरवरी के बाद उपखनिज चुगान हो सकता है. वहीं वन विकास निगम के प्रभागीय लौगिंग प्रबंधक (डीएलएम) धीरज बिष्ट ने बताया कि कोसी और दाबका नदी के लिए भारत सरकार से 15 फरवरी 2023 तक की ही अनुमति है. उन्होंने कहा कि इसकी अनुमति 10 वर्ष और किए जाने को लेकर हमने भारत सरकार पर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है. कहा कि अनुमति मिलने के बाद 2023 से 2033 तक खनन कार्यक्रम चलेगा, उन्होंने कहां कि फिलहाल इस वर्ष की हमारे पास अनुमति है.