रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित तो करता ही है साथ में यह पार्क देश और दुनिया में बाघों के घनत्व के लिए जाना जाता है. कॉर्बेट पार्क में पिछले 10 सालों में 57 बाघों की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि 45 बाघों की मौत हुई है.
हालांकि क्षेत्रफल के हिसाब से ज्यादा बाघों की सुरक्षा पार्क प्रशासन के लिए चुनौती भी बन सकती है. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के घनत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध है. पार्क में बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है. बता दें कि, 2010 में जहां बाघों की संख्या 174 थी. वहीं, 2019 में 231 बाघ कॉर्बेट पार्क में पाए गए.
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार का कहना है कि, एक बाघ पहले 12 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में रहता था. वहीं, एक बाघ के एरिया में तीन से चार बाघिन होती थीं. जैसे-जैसे बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है उसी तरह इनका क्षेत्रफल सीमित हो रहा है. उन्होंने बताया की आज एक बाघ 5 से 6 पर स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में रहता है. जिससे बाघों की सख्या में बढ़ोत्तरी होने से आपसी संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं. कॉर्बेट नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 1,288.32 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है. बाघों की संख्या बढ़ने से सुरक्षा को लेकर कॉर्बेट पार्क प्रशासन की चुनौती भी बढ़ सकती हैं.
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कॉर्बेट पार्क के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि पिछले 10 सालों में हुए कॉर्बेट पार्क में 45 बाघों की मौत हुई है. इन बाघों की मौतें प्राकृतिक और आपसी संघर्ष से हुई है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और जो इसका लैंडस्केप है बहुत ही हाई डेंसिटी टाइगर एरिया है. टाइगर की डेंसिटी ऑलमोस्ट 20 टाइगर पर हंड्रेड स्क्वायर किलोमीटर है. बाघों की नेचुरल लाइफ भी 10 से 12 वर्ष आंकी गई है. इन सब को ध्यान में रखते हुए बाघों की जो मौतें हुई हैं ये आपसी संघर्ष और प्राकृतिक मौतें ज्यादा हुई हैं.
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उन्होंने बताया कि, 2010 की गणना में जो बाघ आए थे वह 174 थे. वन्यजीव संस्था की टीम द्वारा जो ऑल इंडिया एस्टीमेशन होता है वो हर 4 साल में होता है. 2018-2019 में हुई गणना में 231 बाघ आंके गए हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की सख्या 174 से बढ़कर 231 हो गई है.