हल्द्वानी: केंद्र सरकार द्वारा 9 फसलों का समर्थन मूल्य जारी होने के बाद हाईकोर्ट में किसानों की हक की लड़ाई लड़ने वाले पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. गणेश उपाध्याय ने कहा कि केंद्र सरकार ने खरीफ की कुछ चुनिंदा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करते हुए 10 फीसदी की वृद्धि की है, जो किसानों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा है.
उन्होंने कहा है कि सरकार हाईकोर्ट उत्तराखंड द्वारा दिए गए निर्णय का पालन करने में फेल रही है. गणेश उपाध्याय ने कहा कि उनके द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने किसान बदहाली और बर्बादी के कारण आत्महत्या के लिए मजबूर होने वाले किसानों के मामलों पर चिंता जाहिर की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि किसानों को पूरी लागत का तीन गुना अधिक समर्थन मूल्य दिया जाए.
विदेशों के अध्ययन के बाद फैसला: गणेश उपाध्याय ने कहा कि हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 2004 में गठित स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक 162 फसलों के औसत मूल्य का तीन गुना अधिक समर्थन मूल्य घोषित करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य का व्यापक प्रचार प्रसार करने का आदेश भी पारित किया था. हाईकोर्ट की डबल बेंच का यह ऐतिहासिक फैसला विदेशों के विकसित देशों की किसानी हित में लिए गए फैसलों के अध्ययन करने के बाद लिया गया था. परंतु केंद्र और उत्तराखंड सरकार इस आदेश का पालन करने में फेल साबित हुई.
खेती खर्च में 25 फीसदी वृद्धि: गणेश ने कहा कि साल 2015 में शांता कुमार कमेटी ने बताया था कि एमएसपी कानून पर सरकार की उदासीनता के कारण 94 फीसदी किसान अपनी फसल खुले बाजार में बेहद कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं. उपाध्याय ने कहा कि इसी कारण तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों ने एमएसपी को अनिवार्य करने वाला कानून बनाने की मांग की थी. लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती. वर्तमान में खेती पर होने वाले खर्च में 25 फीसदी तक वृद्धि हो चुकी है, परंतु सरकार मात्र 9 फसलों पर 10 फीसदी एमएसपी दामों में बढ़ोत्तरी कर अपने कंधे थपथपा रही है. आने वाले वक्त में किसान फसल और खेती से दूरी बना रहे हैं जो देश के कृषि विकास एवं देश की अन्न उत्पादन क्षमता के लिए बेहद हानिकारक साबित होगा.
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसानों को आर्थिक स्थिति मजबूत करने और बढ़ती महंगाई को देखते हुए फसलों के लागत के 3 गुने दर पर समर्थन मूल्य घोषित करें. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि जल्द अगर इस मामले में सरकार गंभीरता नहीं दिखाती है तो न्यायालय का शरण लेंगे.
फसलों का समर्थन मूल्य: गौरतलब है कि 8 जून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया है. जहां धान 2040 से बढ़ाकर 2183 रुपए, ज्वार 2970 से बढ़ाकर 3180, बाजरा 2350 से 2500, मक्का 1962 से 2090, अरहर 6600 से बनाकर 7000, उड़द 6600 से 6950, मूंग 7755 से 8558, मूंगफली 5850 से 6377, सोयाबीन 4300 से बढ़कर 4600 रुपए समर्थन मूल्य घोषित किया है.
ये भी पढ़ें: बंजर खेतों पर लहलहाएगी फसल, जमीन लीज पर लेकर सहकारिता विभाग करेगा ये काम