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हल्द्वानी: टमाटर का नहीं मिल रहा दाम, धरतीपुत्र मायूस

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Published : Dec 27, 2019, 12:20 PM IST

हल्द्वानी के गौलापार और कोटाबाग जैसे इलाकों में टमाटर की पैदावार काफी अच्छी हुई है.वहीं बाजार में टमाटर का भाव न मिलने से किसान मायूस दिखाई दे रहे हैं.

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किसानों को नहीं मिल रहे टमाटर के अच्छे दाम

हल्द्वानी: जिले के गौलापार और कोटाबाग का टमाटर देश में अपनी खास पहचान रखता है. वहीं, इस बार टमाटर की पैदावार काफी अच्छी हुई है, लेकिन इसके भाव इतने गिर गए हैं कि, किसानों को लागत मिलना भी मुश्किल हो गया है. एक तरफ प्याज के बढ़ते दाम से जनता परेशान है तो वहीं दूसरी तरफ टमाटर के भाव गिरने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है.

किसानों को नहीं मिल रहे टमाटर के अच्छे दाम.

हल्द्वानी के कोटाबाग, गौलापार सहित कई इलाकों में हर साल बड़ी मात्रा में टमाटर का उत्पादन किया जाता है. यहां का टमाटर उत्तर भारत की मंडियों में खूब शुमार है. इसके अलावा पाकिस्तान को भी इसका निर्यात किया जाता है. लेकिन इन दिनों टमाटर की पैदावार अधिक होने से मंडियों में टमाटर के दामों में भारी गिरावट आ गई है. जिसका सीधा असर टमाटर उत्पादन करने वाले किसानों पर पड़ा है. किसान टमाटर को 8 रुपये से 10 रुपये प्रति किलो तक बेचने को मजबूर हैं. जिससे किसानों को पैदावार में लगी लागत तक नहीं निकलती दिखाई दे रही है. वहीं, किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में टमाटर के भाव में तेजी देखने को मिलेगी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ी बेरोजगारों की 'फौज', फारेस्ट गार्ड के 1218 पद के लिए पहुंचे डेढ़ लाख आवेदन

हालांकि किसानों का कहना है कि, बीते दिनों हुई बरसात टमाटर की खेती के लिए वरदान साबित हुई है. जिससे किसान काफी खुश दिखाई दिए. वहीं टमाटर की फसल में अगर कोई रोग लगता है, तो किसानों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी गहरा सकता है. साथ ही बाजार में टमाटर का भाव न मिलने से किसान मायूस दिखाई दे रहे हैं.

हल्द्वानी: जिले के गौलापार और कोटाबाग का टमाटर देश में अपनी खास पहचान रखता है. वहीं, इस बार टमाटर की पैदावार काफी अच्छी हुई है, लेकिन इसके भाव इतने गिर गए हैं कि, किसानों को लागत मिलना भी मुश्किल हो गया है. एक तरफ प्याज के बढ़ते दाम से जनता परेशान है तो वहीं दूसरी तरफ टमाटर के भाव गिरने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है.

किसानों को नहीं मिल रहे टमाटर के अच्छे दाम.

हल्द्वानी के कोटाबाग, गौलापार सहित कई इलाकों में हर साल बड़ी मात्रा में टमाटर का उत्पादन किया जाता है. यहां का टमाटर उत्तर भारत की मंडियों में खूब शुमार है. इसके अलावा पाकिस्तान को भी इसका निर्यात किया जाता है. लेकिन इन दिनों टमाटर की पैदावार अधिक होने से मंडियों में टमाटर के दामों में भारी गिरावट आ गई है. जिसका सीधा असर टमाटर उत्पादन करने वाले किसानों पर पड़ा है. किसान टमाटर को 8 रुपये से 10 रुपये प्रति किलो तक बेचने को मजबूर हैं. जिससे किसानों को पैदावार में लगी लागत तक नहीं निकलती दिखाई दे रही है. वहीं, किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में टमाटर के भाव में तेजी देखने को मिलेगी.

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हालांकि किसानों का कहना है कि, बीते दिनों हुई बरसात टमाटर की खेती के लिए वरदान साबित हुई है. जिससे किसान काफी खुश दिखाई दिए. वहीं टमाटर की फसल में अगर कोई रोग लगता है, तो किसानों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी गहरा सकता है. साथ ही बाजार में टमाटर का भाव न मिलने से किसान मायूस दिखाई दे रहे हैं.

Intro:sammry- हल्द्वानी के टमाटर देश के अन्य मंडी सहित विदेशों में मचा चुका है धमाल।( रेडी टू कैरी स्पेशल पैकेज) स्पेशल प एंकर- हल्द्वानी के गौलापार और कोटाबाग का टमाटर देश के साथ-साथ विदेशों में अपनी ख्याति के लिए जाना जाता है। लिहाजा इस बार टमाटर की फसल अच्छी है। लेकिन भाव इतने गिर गए हैं कि किसानों को लागत मिलना भी मुश्किल हो गया है जिससे किसान बेहद मायूस है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में टमाटर का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों के चेहरे पर खुशी आएगी।


Body:हल्द्वानी के कोटाबाग, गौलापार सहित कई इलाकों में हर साल बड़ी मात्रा में टमाटर का उत्पादन किया जाता है। यहां का टमाटर उत्तर भारत की मंडी में खूब धूम मचा रहा है इसके अलावा पाकिस्तान तक निर्यात किया जाता है ।इन दिनों टमाटर की पैदावार अधिक होने की वजह से मंडी में टमाटर के रेट में गिरावट आ गई है । जिसका सीधा असर टमाटर उत्पादन करने वाले किसान पर पड़ा है। किसान अपनी खेत से मंडी तक टमाटर को पहुंचाते हुए ₹8 से ₹10 प्रति किलो बिक्री कर पा रहे हैं जिससे किसान की असर पैदावार में लगी लागत तक नहीं निकल पा रही है। बाइट- टमाटर उत्पादक किसान वही काश्तकारों का कहना है कि खेतों से मंडी तक टमाटर पहुंचाने में सबसे ज्यादा लागत ढुलाई का पड़ता है ।ऐसे में अगर मंडी समिति या व्यापारी खुद खेतों से टमाटर की खरीद करें तो उनको कुछ मुनाफा हो सकता है ।साथ ही टमाटर का रेट अगर ₹15 प्रति किलो मिल पाता है तो कुछ मुनाफा के साथ-साथ असल लागत भी निकल पाएगी। बाइट- टमाटर काश्तकार


Conclusion:हालांकि बीते दिन हुई बरसात टमाटर की खेती के लिए वरदान साबित हुई है। अगर इसी तरह टमाटर के उत्पादन वृद्धि हुई तो यहां किसानों के चेहरे पर जरूर खुशी होगी ।लेकिन टमाटर की फसल में अगर कोई रोग लगता है तो किसानों के आगे रोजी-रोटी के संकट खड़ा हो सकता है।
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