हल्द्वानी: 19वीं बटालियन द कुमाऊं रेजीमेंट (The Kumaon Regiment ) के पूर्व सैनिकों ने आज हल्द्वानी में अपना 44वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया. इस मौके पर भारी संख्या में पूर्व सैनिक और उनकी वीरांगना मौजूद रहीं. इस दौरान पूर्व सैनिकों ने कुमाऊं रेजीमेंट की वीर गाथा को सुनाते हुए बटालियन के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताया.
हल्द्वानी के एक निजी बैंक्वेट हॉल (Banquet Hall) में बटालियन के पूर्व सैनिकों ने मां कालिका के चित्र पर दीप जलाकर मां कालिका के जयकारों के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की, जहां भारी संख्या में गौरव सेनानी, वीरांगनाएं (शहीद की पत्नी) और वीर नारियां (सेना में तैनात पति) और उनके परिवारों के सदस्य मौजूद रहे. कार्यक्रम के शुभारंभ में वीर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई, इस तरह बनाओ और वीर नारियों को सम्मानित भी किया गया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सेवानिवृत्त मेजर भोपाल सिंह रौतेला उपस्थित रहे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि 19वीं बटालियन कुमाऊं रेजीमेंट का श्रेय हमारे पूर्वजों को जाता है, जिन्होंने साल 1979 में इस बटालियन की स्थापना की. तब से इस बटालियन के जवान देश के सीमाओं में देश की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे रहे हैं.
रिटायर्ड मेजर कुंवर सिंह मेहरा ने बटालियन का इतिहास और उपलब्धियां का साझा किया. उन्होंने कहा कि 19वीं कुमाऊं रेजिमेंट का पिछला 44 सालों से सेवाकाल में गौरवशाली इतिहास रहा है. बटालियन का पूर्ण रूप से संगठित होने के बाद अरुणाचल भारत चीन सीमा पर तैनात किया गया. वहां पर अजय माने जाने वाली गोरिचेन पर्वत शिखर को फतह किया.
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भूपाल सिंह रौतेला ने कहा कि 19 कुमाऊं रेजीमेंट का इतिहास में पहली एकमात्र बटालियन है, जिसने भीषण सर्दी और मौसम के विपरीत हालात में कश्मीर के श्रीनगर से पूरे युद्ध साजो सामान के साथ 450 किलोमीटर विश्व के ऊंचे और दुर्गम लंबे रास्तों को पैदल चलकर 40 फीट बर्फ से ढके जोजिला और खारदुंग ला दर्रे (Khardung La Pass) को पार किया. विश्व के सबसे ऊंचे पूरे क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पहुंचकर अस्थाई चौकियां स्थापित कीं.
कार्यक्रम के दौरान घुघुती जागर टीम की ओर से कुमाऊंनी गीत प्रस्तुत किए गए. कुमाऊंनी गीतों पर पूर्व सैनिक झूमते नजर आए. इस दौरान सैन्य परिवार की वीर नारियों में भी खुशी जाहिर की. बटालियन के उद्घोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.