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नदियों से लगातार हो रहा भू-कटाव, ग्रामीण इलाके पर मंडरा रहा खतरा - अनिल आर्य

मॉनसून और पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के कारण नंधौर नदी उफान पर है. ऐसे में किसानों के खेतों में लगातार भू-कटाव के कारण बाढ़ का संकट मंडरा रहा है.

landslid भू-कटाव के कारण मंडराता बाढ़ का संकट. s
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Published : Sep 6, 2019, 5:52 PM IST

हल्द्वानी: चोरगलिया क्षेत्र के काश्तकारों की कई हेक्टेयर कृषि भूमि पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल, मॉनसून के चलते नंधौर नदी उफान पर है. ऐसे में किसानों के खेतों में लगातार भू-कटाव के कारण बाढ़ का संकट मंडरा रहा है. साथ ही नदी के उफान के कारण नंदौर वाइल्फ लाइफ सेंचुरी के वन्यजीवों पर भी असर पड़ रहा है.

भू-कटाव के कारण मंडराता बाढ़ का संकट.

बता दें कि मॉनसून और पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के कारण नंधौर नदी उफान पर है. ऐसे में सेंचुरी के वन्यजीवों पर भी खतरा मंडरा रहा है. हालांकि, वन विभाग के अधिकारी नंदौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बाहरी हिस्से में तटबंध बनाने की बात कर रहे हैं. जिससे नंधौर और कैलाश नदी के मुहाने पर लगी कृषि योग्य भूमि को बचाया जा सके.

यह भी पढे़ं-उत्तराखंड में धूमधाम से मनाई जाएगी पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 132वीं जयंती

वहीं, ग्रामीणों तटबंध को लेकर एक लंबा आंदोलन चलाया था. जिसके बाद नंधौर और कैलाश नदी पर कुछ तचबंध बनाए गए थे. लेकिन नदियों का बहाव तेज होने के कारण ये तटबंध भी भू-कटा वरोकने में सफल नहीं हो रहे हैं. लिहाजा ग्रामीण फिर से तटबंध बनाने की मांग कर रहे हैं.

हल्द्वानी: चोरगलिया क्षेत्र के काश्तकारों की कई हेक्टेयर कृषि भूमि पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल, मॉनसून के चलते नंधौर नदी उफान पर है. ऐसे में किसानों के खेतों में लगातार भू-कटाव के कारण बाढ़ का संकट मंडरा रहा है. साथ ही नदी के उफान के कारण नंदौर वाइल्फ लाइफ सेंचुरी के वन्यजीवों पर भी असर पड़ रहा है.

भू-कटाव के कारण मंडराता बाढ़ का संकट.

बता दें कि मॉनसून और पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के कारण नंधौर नदी उफान पर है. ऐसे में सेंचुरी के वन्यजीवों पर भी खतरा मंडरा रहा है. हालांकि, वन विभाग के अधिकारी नंदौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बाहरी हिस्से में तटबंध बनाने की बात कर रहे हैं. जिससे नंधौर और कैलाश नदी के मुहाने पर लगी कृषि योग्य भूमि को बचाया जा सके.

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वहीं, ग्रामीणों तटबंध को लेकर एक लंबा आंदोलन चलाया था. जिसके बाद नंधौर और कैलाश नदी पर कुछ तचबंध बनाए गए थे. लेकिन नदियों का बहाव तेज होने के कारण ये तटबंध भी भू-कटा वरोकने में सफल नहीं हो रहे हैं. लिहाजा ग्रामीण फिर से तटबंध बनाने की मांग कर रहे हैं.

Intro:sammry- नंदौर नदी ने किया भू कटाव ग्रामीण इलाकों को हुआ खतरा।

sammry-नदी के उफान के चलते हैं भू कटाव ग्रामीणों को खतरा{ विजुअल बाइट मेल से उठाएं)

एंकर- चोरगलिया क्षेत्र के काश्तकारों की दर्जनों हेक्टेयर कृषि उपजाऊ भूमि पर संकट मंडरा रहा है क्योंकि लगातार नंधौर नदी के उफान पर आने से भू कटाव बढ़ रहा है ।नंधौर और कैलाश नदी के किनारे बसे ग्रामीणों के उपजाऊ जमीन इससे पहले भी हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आकर कटती रही है जिससे नदी के किनारे रहने वाले लोगों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं इसके अलावा नंदौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में रहने वाले वन्यजीवों पर भी इसका असर पड़ रहा है ।




Body:पहाड़ों पर हो रही बरसात के चलते लगातार नंधौरनदी उफान पर आ रही नदी में वन्यजीवों के बहने का खतरा भी बढ़ गया है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी नंदौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बाहरी हिस्से में तटबंध बनाने की बात कर रहे हैं। जिससे कि नंधौर और कैलाश नदी के मुहाने पर कृषि योग्य भूमि को बचाया जा सके ।
बाइट -अनिल आर्य वन क्षेत्राधिकारी नंधौर



Conclusion:ग्रामीणों का लंबे समय से तटबंध को लेकर आंदोलन भी चलाया जिसके बाद कुछ तटबंध नंधौर और कैलाश नदी में बनाए भी गए हैं लेकिन नदी के बहाव के चलते नदी किनारे बने तटबंध से लोगों की उपजाऊ जमीन का कटाव कम नहीं हुआ लिहाजा ग्रामीण फिर से तटबंध बनाने की मांग कर रहे हैं।
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