नैनीताल: ऋषिकेश के वीरपुरखुर्द वीरभद्र के पास मुनि चिदानंद द्वारा 35 बीघा वन भूमि पर किये गए अतिक्रमण को जल्द ही राज्य सरकार ध्वस्त करने की कार्रवाई करेगी. आज अतिक्रमण मामले पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब पेश कर बताया कि चिदानंद द्वारा किये गए अतिक्रमण को 23 दिनों में ध्वस्त कर दिया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने एक स्थानीय कंपनी को ठेका भी दिया है.
कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान चिदानंद मुनि द्वारा कहा गया कि अतिक्रमण को ध्वस्त करने के बजाए उनके द्वारा किये निर्माण को वन विभाग या राज्य सरकार द्वारा अपने अधीन लेकर सरकार उपयोग में ले सकती है, जिसे कोर्ट ने वन विभाग या राज्य सरकार के अधीन देने से इनकार कर दिया. वहीं, याचिकाकर्ता का कहना था वन विभाग द्वारा चिदानंद पर अतिक्रमण मामले पर एफआईआर दर्ज करवा कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. जिसके बाद मामले में सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 24 नवंबर को अतिक्रमण मामले में हुई कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
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बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की था. उन्होंने याचिका में कहा था कि वीरपुरखुर्द वीरभद्र में स्वामी चिदानंद के द्वारा रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा वन भूमि पर नदी किनारे कब्जा कर वहां पर 52 बड़े कमरे समेत एक बड़े हॉल और बड़ी गोशाला का निर्माण कर लिया गया है.
चिदानंद के रसूखदार संबंध होने के कारण वन विभाग व राजस्व विभाग के द्वारा इन पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, और लगातार स्थानीय लोगों के द्वारा की जा रही शिकायत की भी अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा था कि स्वामी चिदानंद के द्वारा बनाए गए गोशाला और आश्रम का सीवरेज भी नदी में जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. लिहाजा, स्वामी चिदानंद द्वारा किए गए इस अतिक्रमण को हटाया जाए.