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गौला और नंधौर नदी किनारे साढ़े तीन करोड़ की लागत से बनेंगे तटबंध, भू-कटाव से मिलेगी मुक्ति - Embankment along the river Gaula and Nandhor

गौला एवं नंधौर नदी में तटबंध बनाने की तैयारी जोरों पर है. यहां साढ़े तीन करोड़ की लागत से तटबंध बनाने की योजना है. इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जिसके बाद तटबंध बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.

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गौला और नंधौर नदी किनारे साढ़े तीन करोड़ की लागत से बनेंगे तटबंध
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Published : Mar 27, 2023, 3:07 PM IST

हल्द्वानी: कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी और नंधौर नदी से हर साल खनन से सरकार को करोड़ों की राजस्व की प्राप्ति होती है. साथ ही हजारों लोगों को यहां होने वाले खनन से रोजगार भी मिलता है, लेकिन, बरसात में गौला एवं नंधौर नदी लोगों के लिए मुसीबत भी लाती है. बरसात के समय नदियों का पानी तबाही मचाता है. इसलिए प्रशासन ने अभी से यहां तटबंध बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है. गौला एवं नंधौर नदी में साढ़े तीन करोड़ की लागत से तटबंध बनाए जाएंगे. जिससे यहां भू-कटाव से मुक्ति मिलेगी.

बता दें पिछले साल भू-कटाव के चलते कई किसानों की कई एकड़ जमीनें भी नदी में समा चुकी हैं. ऐसे में किसानों की जमीन और फसल को बचाने के लिए मानसून सीजन से पहले वन विभाग तटबंध बनाने की कवायद शुरू कर दी है. जिससे कि नदी के भू-कटाव से किसानों के खेतों और फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके. प्रभागीय वन अधिकारी तराई पूर्वी वन प्रभाग संदीप कुमार ने बताया गौला और नंधौर नदी के भू-कटाव के चलते किसानों के काफी जमीनों को नुकसान पहुंचा है. यहां तक पूर्व में बनाए गए तटबंध भी नदी के बहाव में बह चुके हैं. ऐसे में नदी के भू-कटाव क्षेत्र में तटबंध बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. जिससे कि भविष्य में होने वाले बरसात से किसानों को नुकसान ना हो.

पढे़ं- खालिस्तानी अलगाववादियों की धमकी के बाद रामनगर में अलर्ट, जी20 समारोह स्थल के चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर

उन्होंने बताया गौला नदी में तटबंध बनाए जाने के लिए दो करोड़ रुपए जबकि नंधौर नदी मैं बनने वाले तटबंध के लिए डेढ़ करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं. नदी में बनने वाले तटबंध के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. टेंडर के बाद तटबंध बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा. जिन जगहों पर तटबंध बनाए जाने हैं उसका सर्वे भी हो चुका है.

गौरतलब है कि बरसात के समय पहाड़ों से नदियों में भारी मात्रा में पानी आता है. ऐसे में बिंदुखत्ता, चोरगलिया, नंधौर क्षेत्र के किसानों के जमीनों का भू-कटाव शुरू हो जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान पहुंचता है. तटबंध बनाने के लिए किसान कई बार मांगी कर चुके हैं. ऐसे में नदी में जल्द तटबंध बनने की उम्मीद है.

हल्द्वानी: कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी और नंधौर नदी से हर साल खनन से सरकार को करोड़ों की राजस्व की प्राप्ति होती है. साथ ही हजारों लोगों को यहां होने वाले खनन से रोजगार भी मिलता है, लेकिन, बरसात में गौला एवं नंधौर नदी लोगों के लिए मुसीबत भी लाती है. बरसात के समय नदियों का पानी तबाही मचाता है. इसलिए प्रशासन ने अभी से यहां तटबंध बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है. गौला एवं नंधौर नदी में साढ़े तीन करोड़ की लागत से तटबंध बनाए जाएंगे. जिससे यहां भू-कटाव से मुक्ति मिलेगी.

बता दें पिछले साल भू-कटाव के चलते कई किसानों की कई एकड़ जमीनें भी नदी में समा चुकी हैं. ऐसे में किसानों की जमीन और फसल को बचाने के लिए मानसून सीजन से पहले वन विभाग तटबंध बनाने की कवायद शुरू कर दी है. जिससे कि नदी के भू-कटाव से किसानों के खेतों और फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके. प्रभागीय वन अधिकारी तराई पूर्वी वन प्रभाग संदीप कुमार ने बताया गौला और नंधौर नदी के भू-कटाव के चलते किसानों के काफी जमीनों को नुकसान पहुंचा है. यहां तक पूर्व में बनाए गए तटबंध भी नदी के बहाव में बह चुके हैं. ऐसे में नदी के भू-कटाव क्षेत्र में तटबंध बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है. जिससे कि भविष्य में होने वाले बरसात से किसानों को नुकसान ना हो.

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उन्होंने बताया गौला नदी में तटबंध बनाए जाने के लिए दो करोड़ रुपए जबकि नंधौर नदी मैं बनने वाले तटबंध के लिए डेढ़ करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं. नदी में बनने वाले तटबंध के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. टेंडर के बाद तटबंध बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा. जिन जगहों पर तटबंध बनाए जाने हैं उसका सर्वे भी हो चुका है.

गौरतलब है कि बरसात के समय पहाड़ों से नदियों में भारी मात्रा में पानी आता है. ऐसे में बिंदुखत्ता, चोरगलिया, नंधौर क्षेत्र के किसानों के जमीनों का भू-कटाव शुरू हो जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान पहुंचता है. तटबंध बनाने के लिए किसान कई बार मांगी कर चुके हैं. ऐसे में नदी में जल्द तटबंध बनने की उम्मीद है.

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