नैनीतालः कुमाऊं के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक स्कूलों में फर्जी प्रमाण पत्रों (दस्तावेजों) के आधार पर नियुक्ति पा चुके फर्जी शिक्षकों पर अब शिक्षा विभाग जल्द ही बड़ी कार्रवाई करने जा रहा है. कुमाऊं के अपर शिक्षा निदेशक मुकुल सती ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुये कहा कि 2016 में हुई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नियुक्ति पा ली थी और अब भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए सभी अभ्यर्थियों समेत शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे लोगों के प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है, ताकि पता लग सके कि कितने लोग फर्जी हैं और कितने असली.
अपर निदेशक कुमाऊं मंडल मुकुल सती ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया में 60222 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. शिक्षा विभाग की ओर से इन सभी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र जांच के लिए विभिन्न संस्थानों और विश्वविद्यालय भेजे गए थे, जिसमें से 26 हजार 597 प्रमाण पत्रों की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि 33 हजार 625 प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद अभी भी वापस आने हैं. शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे करीब 13 हजार 576 शिक्षकों के भी प्रमाण पत्र की जांच की गई है, जिसमें से 10 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं. इनमें से 3 शिक्षामित्र और 7 प्राथमिक शिक्षक के पद पर वर्तमान में काम कर रहे हैं. जिन पर अब जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
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उन्होंने बताया कि फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर उत्तराखंड में शिक्षक बनने वालों में नैनीताल जिला पहले नंबर पर है जबकि उधम सिंह नगर दूसरे नंबर पर. नैनीताल में 5, उधम सिंह नगर में 3, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में 1-1 फर्जी शिक्षक स्कूलों में अपनी सेवा दे रहे हैं.
बता दें कि शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले पर उस समय विवाद गहराया था, जब हल्द्वानी की स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड के प्राइमरी, उच्च माध्यमिक स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 3500 शिक्षकों की अवैध नियुक्ति की गई है. लिहाजा मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पा चुके शिक्षकों पर कार्रवाई की जाए. जिसके बाद अब शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है.