रामनगर: रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारत के रक्षा प्रणालियों के डिजाइन और विकास के लिए लगातार जुटे रहने वाला संगठन है. डीआरडीओ हमारी तीनों सेनाओं (जल, थल और नभ) की रक्षा जरूरतों के अनुसार विश्व स्तरीय हथियार प्रणाली और यंत्र का उत्पादन करती है. डीआरडीओ ने अब सेना के लिए बिना मिट्टी के हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने का तरीका इजाद किया है.
रामनगर में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने हाइड्रोपोनिक खेती पर आधारित एक प्रशिक्षण का आयोजन किया. इस दौरान डीआरडीओ से आए वैज्ञानिक अंकुर अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बताया कि हाइड्रोपोनिक के जरिए जलवायु में बिना मिट्टी के ही पौधे, सब्जियों के पौधे पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस पद्धति में मिट्टी के बजाय सिर्फ पानी, पत्थरों के बीच पौधों की खेती की जाती है. वैज्ञानिक अंकुर अग्रवाल ने बताया कि इस पद्धति में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लगभग 80 से 85% आद्रता में हाइड्रोपोनिक खेती की जाती है.
वैज्ञानिक अंकुर अग्रवाल के मुताबिक बढ़ते शहरीकरण के कारण एक ओर उपजाऊ खेत तेजी से कम हो रहे हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन से भी फसल उत्पादन में चुनौतियां बढ़ रहीं हैं. इस चुनौतियों से निपटने और फसलों को बेहतर पैदावार के लिए अब पानी में भी हाइड्रोपोनिक पद्धति के जरिए किसानों के लिए उपयोगी विकल्प बन सकती है. उन्होंने कहा कि इसका फायदा दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे सेना के जवानों को भी मिलेगा, जहां पर भी एक अनुकूल तापमान में इस विधि के जरिए सब्जियां व पौधे उगा सकते हैं.
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बेहतर गुणवत्ता की फसलों की खेती करने के लिए किसानों को तकनीक आधारित आधुनिक कृषि पद्धतियों को सिखाने की जरूरत है. हाइड्रोपोनिक कृषि उत्पादों की बड़े शहरों में काफी मांग है. युवा किसान पोषक तत्वों से समृद्ध मसाले, हर्बल और उच्च मूल्य वाली फसलों के उत्पादन के लिए व्यवसाय के रूप में हाइड्रोपोनिक प्रणाली को अपना सकते हैं और कई जगह अपना भी रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाइड्रोपोनिक की खेती कई किसान अपने घरों की छतों में व अपने फॉर्म हाउस में भी कर रहे हैं.
जनवरों का खतरा नहीं: वैज्ञानिक अंकुर अग्रवाल ने बताया कि इस खेती का एक फायदा यह भी है कि इसमें मौसम जानवर व किसी भी अन्य प्रकार के बाहरी जैविक व अजैविक कारकों से प्रभावित यह खेती प्रभावित नहीं होती. हाइड्रोपोनिक खेती में पानी का उपयोग इसकी उपयोगिता बढ़ा देता है.
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पानी में पोषक तत्व एवं खनिज पदार्थों का इस्तेमाल: हाइड्रोपोनिक पद्धति में पौधों को पोषण उपलब्ध कराने के लिए पोषक तत्व एवं खनिज पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जिसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्निशियम, कैलशियम, जिंक, सल्फर, आयरन जैसे तत्वों का खास अनुपात मिलाया जाता है. एक निश्चित अंतराल के बाद इस गोल की एक निर्धारित मात्रा का उपयोग पौधों को पोषण देने के लिए किया जाता है.
पानी को रेगुलेट करने की जरूरत: पानी को रेगुलेट करने के लिए भी एक मोटर लगाई जाती है, जिससे पानी स्थिर न रहे क्योंकि पानी की स्थिरता से कहीं ना कहीं पानी में बदबू आने से पौधा खराब हो सकता है. इसलिए पानी को मोटर के जरिए पानी को स्वचलित करते है. अंकुर अग्रवाल ने बताया कि हाइड्रोपोनिक पद्धति के जरिए किसान सभी प्रकार के पौधे और सभी प्रकार की सब्जियां उगा सकते है.