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हल्द्वानी के ढोलक की थाप पर थिरकता है जमाना, अब व्यवसायियों को सता रही रोजी-रोटी की चिंता

कुमाऊं की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के रूप में होती है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी इस बस्ती में दसकों पहले ढोलक बनाने वाले कई परिवार आकर  बसे थे, जिस कारण बस्ती का नाम ढोलक बस्ती पड़ गया.

ढोलक व्यवसाय.
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Published : Mar 17, 2019, 11:31 AM IST

Updated : Mar 17, 2019, 12:26 PM IST

हल्द्वानी: होली त्योहार हो ढोलक की थाप न हो ऐसा हो नहीं सकता. होली में लोग ढोलक की थाप पर थिरकते दिखाई देते हैं. लेकिन बदलते दौर में ढोलक बनाने वाले कारीगर बदहाली में अपना गुजर- बसर कर रहे हैं. हल्द्वानी के ढोलक बस्ती की पहचान ढोलक कारोबार से है. इसलिए इसका नाम ही ढोलक बस्ती पड़ गया. यहां के ढोलक की मांग उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों में है. वहीं बदलते दौर में ढोलक की डिमांड कम होने से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी का साधन रहे इस व्यवसाय से लोग अब मुंह मोड़ रहे हैं.

ढोलक व्यवसाय.


गौर हो कि कुमाऊं की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के रूप में होती है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी इस बस्ती में दसकों पहले ढोलक बनाने वाले कई परिवार आकर बसे थे, जिस कारण बस्ती का नाम ढोलक बस्ती पड़ गया. ढोलक बस्ती का ढोलक उत्तराखंड के साथ साथ कई राज्यों में मशहूर है. वहीं होली त्योहार नजदीक है, ऐसे में ढोलक बस्ती के लोग ढोलक बनाने में लगे हुए हैं. ढोलक बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि ढोलक उनकी आजीविका का का मुख्य साधन है, लेकिन बदलते दौर में ढोलक का कारोबार धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.

होली के दौरान ढोलक की डिमांड बढ़ जाती है जिससे कुछ दिनों तक उनका खर्चा चल जाता है. जिसके बाद हालत जस के तस बने रहते हैं. कभी ढोलक बस्ती का ढोलक उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल, राजस्थान सहित कई राज्यों में काफी मांग थी. लेकिन बदलते दौर में ढोलक कारोबारियों का भी इस व्यवसाय से मोह भंग हो रहा है. ऐसे में ढोलक बनाने वाले कारीगरों के आगे रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो रहा है.

हल्द्वानी: होली त्योहार हो ढोलक की थाप न हो ऐसा हो नहीं सकता. होली में लोग ढोलक की थाप पर थिरकते दिखाई देते हैं. लेकिन बदलते दौर में ढोलक बनाने वाले कारीगर बदहाली में अपना गुजर- बसर कर रहे हैं. हल्द्वानी के ढोलक बस्ती की पहचान ढोलक कारोबार से है. इसलिए इसका नाम ही ढोलक बस्ती पड़ गया. यहां के ढोलक की मांग उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों में है. वहीं बदलते दौर में ढोलक की डिमांड कम होने से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी का साधन रहे इस व्यवसाय से लोग अब मुंह मोड़ रहे हैं.

ढोलक व्यवसाय.


गौर हो कि कुमाऊं की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के रूप में होती है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी इस बस्ती में दसकों पहले ढोलक बनाने वाले कई परिवार आकर बसे थे, जिस कारण बस्ती का नाम ढोलक बस्ती पड़ गया. ढोलक बस्ती का ढोलक उत्तराखंड के साथ साथ कई राज्यों में मशहूर है. वहीं होली त्योहार नजदीक है, ऐसे में ढोलक बस्ती के लोग ढोलक बनाने में लगे हुए हैं. ढोलक बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि ढोलक उनकी आजीविका का का मुख्य साधन है, लेकिन बदलते दौर में ढोलक का कारोबार धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.

होली के दौरान ढोलक की डिमांड बढ़ जाती है जिससे कुछ दिनों तक उनका खर्चा चल जाता है. जिसके बाद हालत जस के तस बने रहते हैं. कभी ढोलक बस्ती का ढोलक उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल, राजस्थान सहित कई राज्यों में काफी मांग थी. लेकिन बदलते दौर में ढोलक कारोबारियों का भी इस व्यवसाय से मोह भंग हो रहा है. ऐसे में ढोलक बनाने वाले कारीगरों के आगे रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो रहा है.

Intro: स्लग- होली में ढोलक कारोबार ढोलक बस्ती का ढोलक का देश मे है डिमांड।
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित/ हल्द्वानी
एंकर-होली त्योहार नजदीक है और होली में ढोलक की थाप पर लोग नही नाचे ऐसा हो नही सकता। लेकिन बदलते दौर में यह ढोलक बनाने वाले कारीगर अब बदहाली से गुजर रहे हैं । हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के नाम से जानी जाती है। कभी यहां के ढोलक उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों में जाया करते थे लेकिन आज बदलते दौर में
ढोलक बनाने वाले सैकडों परिवार ढोलक बनाने के कारोबार से मुंह मोड़ रहा है ।


Body: कुमाऊ की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी की पहचान आज भी ढोलक बस्ती के रूप में की जाती है। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास बसी इस बस्ती में दसको पहले ढोलक बनाने वाले कई परिवार आकर यहां बसे और इस बस्ती का नाम ढोलक बस्ती पड़ गया। और ढोलक बस्ती का ढोलक पूरे उत्तराखंड के साथ साथ कई राज्यों में मशहुर हो गया। उमंग और उत्साह का त्यौहार होली नजदीक है ऐसे में ढोलक बस्ती के लोग ढोलक बनाने में लगे हुए है। ढोलक बस बस्ती के ढोलक बनाने वाले कारीगर इन दिनों ढोलक बनाने में लगे हुए हैं ढोलक बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि ढोलक उनकी आजीविका का का मुख्य साधन है। लेकिन बदलते दौर में ढोलक का कारोबार धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। होली के दौरान ढोलक को की डिमांड बढ़ जाती है जिससे उनका थोड़ा बहुत कारोबार बढ़ जाता है।
बाइट- ढोलक कारोबारी


Conclusion:क़भी ढोलक बस्ती का ढोलक उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल , राजस्थान सहित कई राज्यों में जाया करते थे लेकिन बदलते दौर में ढोलक कारोबारी भी अब इस कारोबार मोह भंग कर रहे हैं। ऐसे में ढोलक बनाने वाले कारीगर के आगे रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है।
बाइट-ढोलक कारोबारी
Last Updated : Mar 17, 2019, 12:26 PM IST
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