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यहां है देश का सबसे बड़ा शिवलिंग, शेर और हाथी भी आते हैं मोटेश्वर महादेव के दर्शन करने

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Published : Jul 27, 2020, 10:15 AM IST

आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज में स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र है. यहां भगवान भोलेनाथ विशालकाय रूप में विराजमान हैं. माना जाता है मोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार में बड़ा है, इसलिए इस धाम को मोटेश्वर महादेव कहा जाता है.

Moteshwar Mahadev temple
मोटेश्वर महादेव मंदिर

कालाढूंगी: पवित्र सावन महीने का आज चौथा सोमवार है. कोरोना के खतरे के बीच भक्त भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए शिवालयों में पहुंच रहे हैं. कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित महादेव के मंदिर में भक्त पहुंच रहे हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक और आराधना कर रहे हैं.

मोटेश्वर महादेव मंदिर, कालाढूंगी.

कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज में स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर लोगों की अगाध श्रद्धा का केन्द्र है. मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ यहां विशालकाय रूप में विराजमान हैं. माना जाता है मोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार में बड़ा है, इसलिए इस धाम को मोटेश्वर महादेव कहा जाता है.

आबादी से कोसों दूर घने जंगल में बसा मोटेश्वर महादेव मंदिर अतीत से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है. लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो सालभर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है. श्रद्धालु भुवन पांडेय कहते हैं कि मोटेश्वर शिवधाम की ये भूमि ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है. देशभर के शिवलिंगों का आकार मोटेश्वर महादेव से बड़ा नहीं है जो इस मंदिर को अलग बनाता है.

ये भी पढ़ें- राम नाम जप जापकहि तुलसी अभिमत देत...आज है गोस्वामी तुलसीदास की जयंती

वहीं, मोटेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग में कई आकृतियां उभरी हुई हैं, जो इसे खास बनाती हैं. घने जंगल में मंदिर होने से लोगों का मानना है कि शेर, हाथी और अन्य जानवर भी मोटेश्वर महादेव मंदिर में अपनी हाजिरी लगाते हैं. मोटेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है. जहां साल भर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन मास में कांवड़िये भी बड़ी संख्या में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.

ऐसे पहुंचें मोटेश्वर धाम

बता दें, मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों को कालाढूंगी बाजपुर मोटर मार्ग NH- 41 से होकर जाना पड़ता है, जिसकी मुख्य मार्ग से करीब 4 किमी की दूरी है, जो नैनीताल जनपद में पड़ता है.

कालाढूंगी: पवित्र सावन महीने का आज चौथा सोमवार है. कोरोना के खतरे के बीच भक्त भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए शिवालयों में पहुंच रहे हैं. कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित महादेव के मंदिर में भक्त पहुंच रहे हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक और आराधना कर रहे हैं.

मोटेश्वर महादेव मंदिर, कालाढूंगी.

कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज में स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर लोगों की अगाध श्रद्धा का केन्द्र है. मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ यहां विशालकाय रूप में विराजमान हैं. माना जाता है मोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार में बड़ा है, इसलिए इस धाम को मोटेश्वर महादेव कहा जाता है.

आबादी से कोसों दूर घने जंगल में बसा मोटेश्वर महादेव मंदिर अतीत से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है. लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो सालभर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है. श्रद्धालु भुवन पांडेय कहते हैं कि मोटेश्वर शिवधाम की ये भूमि ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है. देशभर के शिवलिंगों का आकार मोटेश्वर महादेव से बड़ा नहीं है जो इस मंदिर को अलग बनाता है.

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वहीं, मोटेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग में कई आकृतियां उभरी हुई हैं, जो इसे खास बनाती हैं. घने जंगल में मंदिर होने से लोगों का मानना है कि शेर, हाथी और अन्य जानवर भी मोटेश्वर महादेव मंदिर में अपनी हाजिरी लगाते हैं. मोटेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है. जहां साल भर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन मास में कांवड़िये भी बड़ी संख्या में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.

ऐसे पहुंचें मोटेश्वर धाम

बता दें, मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों को कालाढूंगी बाजपुर मोटर मार्ग NH- 41 से होकर जाना पड़ता है, जिसकी मुख्य मार्ग से करीब 4 किमी की दूरी है, जो नैनीताल जनपद में पड़ता है.

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