नैनीतालः ऐतिहासिक कैंची धाम के स्थापना दिवस पर बुधवार को दो साल बाद भक्तों का तांता लगा. धाम में 58 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया. बुधवार को शुरू मेले में दो लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने धाम के दर्शन किए. दरअसल, हर साल 15 जून को नैनीताल के कैंची धाम में प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है. इस मंदिर को बाबा नीम करौली महाराज ने स्थापित किया था. ऐसे में आज देशभर से लोग बाबा का आशीर्वाद लेने कैंची धाम पहुंचे हैं.
बीते 2 साल तक कोरोना महामारी के चलते मंदिर में स्थापना दिवस को सादगी के साथ मनाया गया और भक्त बाबा के दर्शन करने से महरूम रहे. लेकिन इस बार स्थापना दिवस को भव्य रूप से मनाया जा रहा है. शाम तक करीब दो लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं. अभी भी मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है.
नीम करौली बाबा की तपोस्थली कैंची धाम में हर साल 15 जून को मेले का आयोजन होता है. जिसमें लाखों की संख्या में देशी और विदेशी भक्त पहुंचते हैं. बाबा नीम करौली महाराज पर लोगों की बड़ी आस्था है. यहां न सिर्फ भरतीय बल्कि विदेशी भक्तों की भी आस्था इस मंदिर से आस्था जुड़ी है. यही वजह है कि मंदिर में बाबा के आशीर्वाद के लिए भक्तों की लंबी कतार लग रही है. बाबा नीम करौली के जयकारे चारों तरफ गूंज रहे हैं. आस्था का यह दरबार नैनीताल के कैंची धाम में लगा है.
भक्तों को प्रसाद के तौर पर मालपुए का प्रसाद दिया जा रहा है. इस बार 2 लाख से ज्यादा भक्त कैंची धाम पहुंचे हैं. अभी मंदिर परिसर में लंबी लाइन नजर आ रही है. लोगों की मान्यता है कि बाबा नीम करौली के दर्शन (baba neem karoli) के लिए जो भी आता है, वो यहां से खाली हाथ नहीं जाता है. बाबा के चमत्कार के कारण ही दुनिया भर से लोग यहां पहुंचते हैं. इस मौके में खलल ना पडे़, इसे देखते हुए पुलिस ने पुख्ता इंतजामात किए हैं.
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बता दें कि नीम करौली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक रहे स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स के नाम शामिल हैं, जिनका कैंची धाम की यात्रा से जीवन बदल गया. ऐसे में फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग (Facebook founder Mark Zuckerberg) और एप्पल के संस्थापक रहे स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) की प्रेरणा स्थली भी नैनीताल का कैंची धाम है.
एप्पल की नींव रखने के पहले स्टीव जॉब्स कैंची धाम आए थे. यहीं उन्हें कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली. जिस वक्त मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो स्टीव जॉब्स ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी. उसके बाद जुकरबर्ग ने यहां की यात्रा की और एक स्पष्ट विजन लेकर लौटे.
बाबा के चमत्कारों की होती है चर्चा: बाबा नीम करौली महाराज के चमत्कार भी लोगों ने देखे हैं. कहा जाता है कि एक बार आश्रम में भंडारे का आयोजन हो रहा था. उस दौरान घी की कमी पड़ गई. बाबा के आदेश पर आश्रम के नीचे बह रही नदी के पानी को प्रयोग किया गया. ऐसे में जो भी प्रसाद में पानी डाला गया उसने घी का रूप ले लिया. कहा जाता है कि बाबा के पास अपनी दिव्य शक्तियां थीं. बाबा कहीं भी प्रकट या लुप्त हो जाते थे. कहीं भी चलते-चलते बाबा गायब हो जाते थे.
कैंची धाम में है बाबा नीम करौली का मंदिर: हल्द्वानी-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग कैंची धाम स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा नीम करौली महाराज का विशाल आश्रम है. हल्द्वानी से 45 किलोमीटर दूर यह आश्रम पहाड़ के मनोरम दृश्यों के बीच नीचे शिप्रा के किनारे बसा है. बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव के ब्राह्मण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा ने यूपी के एक गांव नीम करौली में कठिन तपस्या करके स्वयंसिद्धि हासिल की.
बाबा ने पहला आश्रम कैंची धाम नैनीताल जिले में जबकि, दूसरा वृंदावन मथुरा में बनाया. इसके अलावा बाबा के कई अन्य छोटे आश्रम भी हैं. बाबा नीम करौली महाराज को 20वीं सदी के महान संतों में माना जाता है. नीम करौली बाबा 1961 में पहली बार नैनीताल पहुंचे थे. उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था. बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी. आज ये आश्रम देश विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है.