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यहां होती है माता सती की आंखों की पूजा, झील में नहाने से मिलता है पुण्य

चार पर नवरात्र आती है, मगर चैत्र और शारदीय नवरात्र का अधिक महत्व है. वहीं हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए नवरात्र का खास महत्व हैं.  जिसमें नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से मां शक्ति के नौ रूपों की उपासना की जाती है.

नैना देवी मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब.
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Published : Apr 8, 2019, 9:01 AM IST

Updated : Apr 8, 2019, 12:06 PM IST

नैनीताल: नवरात्र में मंदिरों में श्रद्धालु की भीड़ लगी हुई है. वहीं नवरात्र में मंदिर परिसर शंख, घंटा- घड़ियाल की गगनभेदी आवाज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. वहीं चैत्र नवरात्र पर सरोवर नगरी नैनीताल स्थिल मां नैना देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. धार्मिक मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में सच्चे मन से मां भगवती की उपासना करने से हर मुराद पूरी है.

नैना देवी मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब.


गौर हो कि साल में चार नवरात्र आती हैं, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्र का अधिक महत्व है. वहीं हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए नवरात्र का खास महत्व है. जिसमें नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से मां शक्ति के नौ रूपों की उपासना की जाती है. वहीं नैनीताल स्थित मां नैना देवी मंदिर को माता शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. जहां चैत्र नवरात्र पर स्थानीय लोगों के साथ ही देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. खुशहाली के लिए लोग मंदिर में मां की सच्चे मन से उपासना कर रहे हैं. धार्मिक मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में सच्चे मन से मां भगवती की उपासना करने से सारे मनोरथ पूरे होते हैं.


पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने भगवान शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया. जब माता सती को इस बात का पता चला तो वे बिना बुलाए ही अपने पिता दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई. यज्ञ स्‍थल पर भगवान शिव के लिए कही गई अपमानजनक बातों को सती सहन नहीं कर पाईं और हवन कुंड में हीं अपने प्राण त्याग दिए. सती के प्राण त्यागने से आहत शिव क्रोधित हो गए और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे. इस कारण तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. सृष्टि को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बांट दिया.


इसके बाद ये अंग जहां-जहां गिरे थे, वहां-वहां देवी के शक्तिपीठ स्थापित हो गए. मान्यता है कि नैना देवी में माता सती के नेत्र गिरे थे. माना जाता है कि उसी स्थान पर मां नैना देवी का सिद्ध पीठ हो गया. वहीं नयनों की अश्रुधार ने यहां ताल का रूप ले लिया. तब से निरन्तर यहां देवी शक्ति के नैना देवी स्वरूप की पूजा-अर्चना होती है. कहा जाता है कि नैनी झील में नहाने से मानसरोवर झील में नहाने से के बराबर पुण्य मिलता है.

नैनीताल: नवरात्र में मंदिरों में श्रद्धालु की भीड़ लगी हुई है. वहीं नवरात्र में मंदिर परिसर शंख, घंटा- घड़ियाल की गगनभेदी आवाज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. वहीं चैत्र नवरात्र पर सरोवर नगरी नैनीताल स्थिल मां नैना देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. धार्मिक मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में सच्चे मन से मां भगवती की उपासना करने से हर मुराद पूरी है.

नैना देवी मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब.


गौर हो कि साल में चार नवरात्र आती हैं, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्र का अधिक महत्व है. वहीं हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए नवरात्र का खास महत्व है. जिसमें नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से मां शक्ति के नौ रूपों की उपासना की जाती है. वहीं नैनीताल स्थित मां नैना देवी मंदिर को माता शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. जहां चैत्र नवरात्र पर स्थानीय लोगों के साथ ही देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. खुशहाली के लिए लोग मंदिर में मां की सच्चे मन से उपासना कर रहे हैं. धार्मिक मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में सच्चे मन से मां भगवती की उपासना करने से सारे मनोरथ पूरे होते हैं.


पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने भगवान शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया. जब माता सती को इस बात का पता चला तो वे बिना बुलाए ही अपने पिता दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई. यज्ञ स्‍थल पर भगवान शिव के लिए कही गई अपमानजनक बातों को सती सहन नहीं कर पाईं और हवन कुंड में हीं अपने प्राण त्याग दिए. सती के प्राण त्यागने से आहत शिव क्रोधित हो गए और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे. इस कारण तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. सृष्टि को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बांट दिया.


इसके बाद ये अंग जहां-जहां गिरे थे, वहां-वहां देवी के शक्तिपीठ स्थापित हो गए. मान्यता है कि नैना देवी में माता सती के नेत्र गिरे थे. माना जाता है कि उसी स्थान पर मां नैना देवी का सिद्ध पीठ हो गया. वहीं नयनों की अश्रुधार ने यहां ताल का रूप ले लिया. तब से निरन्तर यहां देवी शक्ति के नैना देवी स्वरूप की पूजा-अर्चना होती है. कहा जाता है कि नैनी झील में नहाने से मानसरोवर झील में नहाने से के बराबर पुण्य मिलता है.

Intro:डेस्क ने दुबारा मांगी थी,खबर सुबह 9: 30पे भेजी थी

स्लग-माँ

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- नैनीताल में नवरात्रि के मौके पर विभिन्न मंदिरों में देवी के नौ रूपों की पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में उमड रहे हैं,, नवरात्रि के पहले दिन नैनीताल की प्रसिद्ध मां नैना देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है,और


Body:चैत्र नवरात्रि के पहले दिन नैनीताल में मां नैना देवी मंदिर में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं मान्यता है कि देवी सती की आंख यहां गिरी थी और इसी के बाद यहां मां नैना देवी मंदिर की स्थापना हुई, देवी पार्वती का पार्थिव शरीर खंडित होने के बाद उनकी बाई आंख नैनीताल के इस स्थान में गिरी,, पुराणों में लिखित है कि देवी पार्वती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा जब विशाल यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया तो इस कदम से खिन्न होकर देवी पार्वती यज्ञ के हवन कुंड में कूद कर सती हो गई जिस से दुखी होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती का शरीर लेकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए,, जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया और संसार में चारों तरफ हाहाकार मच गया,,
सृष्टि का संतुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया तब सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड खंड कर दिया जिससे पार्वती की बाई आंख नैनीताल के इस हिस्से में गिरी और यहां पर मां नैना देवी के मंदिर का निर्माण किया गया,,,
वहीं मां नैना देवी का यह मंदिर 51 शक्ति पीठ में भी शुमार है कहां जाता है कि मां सती के शरीर के हिस्से जिन जिन स्थानों पड़े वहां पर शक्ति पीठों की स्थापना की गई जिनमें से नैनीताल का नैना देवी मंदिर भी है

बाइट जगदीश जोशी पंडित


Conclusion:यहां मां के साक्षात नैन विराज हैं और कहां जाता है कि मां दुर्गा बिना कुछ मांगे भक्तों की सभी मुरादें पूरी करती है चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां नैना देवी मंदिर में भक्तों मां की उपासना में तल्लीन दिखे मां नैना देवी के दर्शन के लिए लोगों की लंबी लंबी कतारें रही जिसमें स्थानीय लोगों के साथ साथ बाहर से आए पर्यटक भी सम्मिलित हैं मां नैना देवी यहां नए रूप में विराजमान हैं लिहाजा माना जाता है कि मां दुर्गा अपनी आंखों से हर इंसान के दुख हर लेती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं नवरात्रि में लगातार दो दिनों तक मां नैना देवी में भव्य पूजा अर्चना जारी रहेगी

बाइट ज्योति पर्यटक

पीटीसी गौरव जोशी नैनीताल
Last Updated : Apr 8, 2019, 12:06 PM IST
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