हल्द्वानी: हरिप्रबोधिनी एकादशी 23 नवंबर, जबकि तुलसी विवाह 24 नवंबर को मनाया जाएगा.मान्यता है कि हरि प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं. इसके बाद फिर शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.
ज्योतिष के अनुसार देवशयनी एकादशी 29 जून के बाद से श्रीहरि क्षीर सागर में योग निद्रा पर जाने के साथ चातुर्मास आरंभ हुआ था. इसके साथ विवाह और मांगलिक आयोजनों पर विराम लग गया था. हरिप्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु का जागरण होगा, फिर मांगलिक कार्यों की शुरू हो जाएंगे.इस बार चातुर्मास पांच महीने के होने के चलते मुहूर्त के लिए पांच माह इंतजार करना पड़ा.
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ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'हरि प्रबोधिनी एकादशी' कहा जाता है. 23 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी मनाया जाएगा. इस दिन व्रत करने वाले मनुष्य को हजार अश्वमेध यज्ञ की बराबर फल की प्राप्ति होती है.प्राणियों के पापों का नाश करने वाले श्री भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष 'प्रबोधिनी' एकादशी को निद्रा से जागते हैं. इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह,मुंडन,गृह प्रवेश,यज्ञोपवीत आदि आरम्भ हो जाते हैं.इस दिन श्री भगवान विष्णु का आवाहन-पूजन आदि करने से का विशेष महत्व है.
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ज्योतिष आचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी.इसके अगले दिन ही तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाएगा. इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है, उसे उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना कन्यादान से मिलता है.ज्योतिष के अनुसार तुलसी विवाह के दिन द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात 9 बजे शुरू होगी और समापन 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 5 मिनट पर होगा.उदया तिथि के अनुसार, तुलसी का विवाह इस बार 24 नवंबर को ही होगा. इस बार तुलसी विवाह के लिए कई सारे शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. तुलसी विवाह के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, सिद्धि योग बन रहा है.सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा.