हल्द्वानी: इन दिनों घोड़े और खच्चरों में होने वाली जानलेवा ग्लैंडर्स बीमारी पाए जाने से पशुपालन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. ग्लैंडर्स बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग और वन विभाग ने चेतावनी जारी की है. उत्तराखंड में ग्लैंडर्स बीमारी दस्तक ना दे इसको लेकर पशुपालन विभाग ने सीरम सैंपल का आदेश जारी किया है.
दरअसल, घोड़े और खच्चरों में पाए जाने वाली ग्लैंडर्स बीमारी लाइलाज और फैलने वाली बीमारी है. जो पशु के साथ-साथ ही इंसानों तक पहुंचती है. साथ ही ध्यान न दिया जाए तो घोड़े के साथ-साथ मनुष्य की भी मौत हो जाती है. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में घोड़ों में ग्लैंडर्स मिला है जिसके बाद कई घोड़ों को मार दिया गया यानी मर्सी डेथ दिया गया है. ग्लैंडर्स बीमारी उत्तराखंड में ना पहुंचे इसके लिए पशुपालन विभाग अब कुमाऊं में सतर्कता बरत रहा है.
अपर निदेशक पशुपालन विभाग पीसी कांडपाल का कहना है कि मार्च में 88 घोड़े और खतरों का सीरम सैंपल लिया गया था. जांच के लिए सैंपलिंग को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार भेजा गया था. जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. फिलहाल कुमाऊं मंडल में इस बीमारी के अभी भी कोई लक्षण नहीं पाए गए हैं लेकिन विभाग इसको लेकर पूरी तरह से अलर्ट है. वहीं अपर निदेशक पशुपालन विभाग पीसी कांडपाल ने बताया कि घोड़ों और खच्चरों में पाई जाने वाली ग्लैंडर्स बीमारी खतरनाक होती है.
बीमार पशु के नाक और मुंह से निकलने वाले पदार्थ संक्रामक होते हैं और अन्य पशुओं में पहुंच जाते हैं. साथ ही इन जानवरों के संपर्क में आने वाले व्यक्ति भी बीमार पड़ जाता है. जिससे इंसान की मौत होने की संभावना ज्यादा रहती हैं. गौरतलब है कि सन 2008 में नैनीताल में 19 घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी पाई गई थी. जिसके बाद इस बीमारी को रोकने के लिए प्रशासन ने इन सभी घोड़ों को मर्सी डेथ दिया था. बात करें कुमाऊं मंडल की तो 6 जिलों में 8980 घोड़े हैं जबकि 8544 खच्चर अलग- अलग नदी में खनन काम के अलावा अन्य कामों में लगे हुए हैं.