हल्द्वानी: मैदानी क्षेत्र में पाई जाने वाली मटर का सीजन समाप्त हो चुका है. ऐसे में अब उत्तराखंड की पहाड़ी मटर की डिमांड लोकल मंडी के साथ-साथ राज्य की दूसरे मंडियों में भी खूब हो रही है. उत्तराखंड की सबसे बड़ी हल्द्वानी मंडी में इन दिनों पहाड़ से भरपूर मात्रा में मटर मंडियों तक पहुंच रही है. लेकिन मौसम की मार से इस बार मटर के उत्पादन पर चोट पहुंची है. इसके उलट मार्केट में मटर की मांग बढ़ी है.
नैनीताल जिले के रामगढ़, ओखलकांडा, धारी के साथ-साथ अल्मोड़ा जनपद से भारी मात्रा में मटर हल्द्वानी की मंडी में पहुंच रही है. किसानों को मटर के अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. लेकिन कुछ दिन पहले पहाड़ों पर हुई ओलावृष्टि और बरसात ने मटर की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. इसके चलते इस बार पहाड़ की मटर मंडियों में कुछ दिन तक ही मिल पाएगी. पहाड़ की मटर के दाम में इस बार उछाल देखा जा रहा है. क्योंकि पहाड़ों पर हुई ओलावृष्टि और बरसात के चलते मटर मंडी में ₹50 से लेकर ₹60 प्रति किलो बिक रहा है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
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पहाड़ की मटर की क्वालिटी बेहतर होने के चलते उत्तराखंड के साथ-साथ देश की कई मंडियों से खूब मांग आ रही है. पहाड़ की हरी और लंबी फली वाली स्वादिष्ट मटर की पहचान पूरे देश में है. मैदानी मटर की तुलना में पहाड़ की मटर स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर होती है. हल्द्वानी मंडी के सब्जी कारोबारियों का कहना है कि मैदानी सीजन में होने वाली मटर खत्म होने के बाद पहाड़ की मटर की डिमांड उत्तराखंड के साथ-साथ दिल्ली, महाराष्ट्र और बिहार और अन्य मंडियों में की जा रही है.
दूसरी ओर पर्वतीय क्षेत्रों में इस बार मटर की फसल को खासा नुकसान हुआ है, जिसके चलते मटर के दाम में इजाफा हुआ है. मंडी में मटर बेचने आने वाले पहाड़ के काश्तकारों का कहना है कि पहाड़ के काश्तकारों की इस समय मटर मुख्य फसल है. लेकिन ओलावृष्टि और बरसात ने पहाड़ों के किसानों की मटर को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. इससे किसानों को भारी नुकसान भी पहुंचा है. मंडी में पहाड़ की मटर की डिमांड तो रहती है, लेकिन मटर का उत्पादन कम होने के चलते इस बार किसानों को दाम भी अच्छे मिल रहे हैं.