हल्द्वानीः अभी तक आपने मैदा से बने हुए पिज्जा और मोमो खाये होंगे. लेकिन यही पिज्जा-मोमो पहाड़ी उत्पाद से बना मिलें तो क्या आप इनका स्वाद चखना चाहेंगे? वो भी सेहत से भरपूर. जी हां, आमतौर पर मैदा से बने पिज्जा-मोमो सेहत के लिए नुकदायक माने जाते हैं, लेकिन हल्द्वानी में एक ऐसा रेस्टोरेंट है, जहां आपको मंडुवे से बने पिज्जा और मोमो खाने को मिलेंगे. जो न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं.
दरअसल, हल्द्वानी के रहने वाले विनय सिंह बिष्ट ने यूके 04 नाम से रेस्टोरेंट खोला है. यहां पहाड़ के मंडुवे (Finger millet) के आटा से बने पिज्जा और मोमो लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं. इतना ही नहीं यूके 04 नाम के रेस्टोरेंट में पर्यटकों के लिए खास ध्यान भी रखा गया है. विनय सिंह बिष्ट का मुंबई में अपना रेस्टोरेंट था. लेकिन लॉकडाउन में रेस्टोरेंट का कारोबार बंद हो जाने के बाद विनय मुंबई छोड़ अपने गृह क्षेत्र हल्द्वानी पहुंच गए.
विनय बिष्ट ने हल्द्वानी-नैनीताल रोड पर काठगोदाम में यूके 04 नाम के रेस्टोरेंट खोला. यूके 04 रेस्टोरेंट का नाम देने का मुख्य उद्देश्य नैनीताल जनपद के वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर है. ऐसे में विनय ने अपने रेस्टोरेंट का नाम यूके 04 रख लिया. रेस्टोरेंट की खास बात यह है कि इसमें सजाए गए सभी सामान पुराने मैटीरियल से बने हुए हैं. मंडुवे से बिस्कुट, रोटी, हलुआ, नमकीन, केक जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं, लेकिन अब पिज्जा और मोमो भी खाने को मिल रहे हैं.
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रेस्टोरेंट संचालक विनय बिष्ट ने बताया कि रेस्टोरेंट में अनुभव होने के चलते उनके दिमाग में आइडिया आया कि क्यों ना उत्तराखंड के मंडुवे की पहचान बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को कराई जाए. जिससे कि लोगों की सेहत भी ठीक रहे. ऐसे में वो अपने रेस्टोरेंट में मंडुवे के आटे से बने पिज्जा और मोमो के साथ-साथ मैक्रोनी के अलावा अन्य व्यंजन भी उपलब्ध करा रहे हैं. जिससे लोग स्वाद के साथ-साथ अपनी सेहत को भी फिट रख सकें.
विनय बिष्ट के मुताबिक, मंडुवा के पिज्जा और मोमो समेत कई अन्य पहाड़ी व्यंजन तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि पहाड़ का मंडुवा सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. बाजारों में मिलने वाले ब्रांडेड पिज्जा और मोमो मैदे के बने हुए होते हैं. ये सेहत के लिए काफी नुकसानदायक माने जाते हैं. ऐसे में वो लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए मंडुवे के बने हुए व्यंजन उपलब्ध करा रहे हैं.
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रेस्टोरेंट पर पहुंचे ग्राहक भी मंडुवे के बने हुए पिज्जा और मोमो बड़े चाव से खा रहे हैं. ग्राहकों की मानें तो मंडुवा से बने पिज्जा और मोमो सेहत के लिए लाभदायक हैं. क्योंकि इसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं है. विनय ने अपने रेस्टोरेंट में बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी खास व्यवस्था की है, जिससे कि पर्यटक रेस्टोरेंट में पहाड़ी व्यंजन के आनंद के साथ-साथ अपने गंतव्य स्थानों की दूरी की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं.
बता दें कि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में मंडुवा उगाया जाता है. इसे रागी, नागली व कोदा आदि नामों से जाना जाता है. यह पहाड़ का पारंपरिक अनाज माना जाता है. प्रदेश में करीब 136 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है, लेकिन अब लोग इस पारंपरिक अनाज की खेती से मुंह भी मोड़ रहे हैं. मंडुवा हृदय व मधुमेह की बीमारी ग्रसित मरीजों के लिए लाभदायक माना जाता है. इसमें पर्याप्त पोषक तत्व होने की वजह से यह कुपोषण से बचाने में भी मददगार होता है.
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मंडुवा का आटाः मंडुवा अन्न के साथ-साथ पशुओं को चारा भी प्रदान करता है. मंडुवे में फाइबर प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है. मंडुवे के दाने के बाहर एक पतली सफेद रंग की परत होती है, जिसे पेरिकार्प कहा जाता है. आटा बनाने से पहले इसे हटाना जरूरी होता है, जिससे आटे की गुणवत्ता के साथ-साथ इसमें स्वाद भी बढ़ जाता है. रोटी व अन्य उत्पाद बनाने से पहले इसके आटे को छलनी से साफ कर चोकर अलग किया जाता है.
गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायकः मंडुवा का वैज्ञानिक नाम एलिसाइन कोराकाना है. इसे फिंगर मिलेट भी कहते हैं. इसमें प्रोटीन होने के कारण यह बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लिए गुणकारी होता है. इसका अधिकाधिक सेवन आंखों के रतौंधी रोग के निवारण में भी सहायक होता है. मंडुवे में चावल और गेहूं की तुलना में कैल्शियम, थार्यामन व रेशे ज्यादा होते हैं. जिसकी वजह से इसकी पौष्टिकता अधिक होती है. अधिक रेशा, प्रोटीन, एमीनो एसिड, खनिज तत्व से भरपूर मंडुवे का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी होता है.