ETV Bharat / state

मई दिवस पर भाकपा माले का विरोध, कहा- मजदूरों संग हो रहा अन्याय

मजदूर दिवस के मौके पर भाकपा माले ने विरोध जताते हुए कहा कि मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

injustice done to the workers will not be tolerated
मई दिवस पर भाकपा माले का विरोध
author img

By

Published : May 1, 2020, 4:52 PM IST

Updated : May 1, 2020, 9:21 PM IST

हल्द्वानी: 1888 में पहली मई को 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम के नारे के साथ दुनिया भर में मजदूर संगठनों ने प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका था. धीरे-धीरे यह मांगें करीब-करीब सभी देशों की सरकारों ने स्वीकार किया. भारत में भी मजदूरों की मांग को मानते हुए पहली बार 1923 में मजदूर दिवस या मई दिवस मनाया गया.

हल्द्वानी में मजदूर दिवस के मौके पर भाकपा माले ने विरोध जताते हुए कहा कि मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कई जगहों पर 8 घंटे की जगह मजदूरों से 12 घंटे काम कराए जाते हैं. बड़ी शहादतों के बाद मजदूरों को हक में 8 घंटे काम करने का फैसला आया. उसके बाद भी मजदूरों के अधिकारों का हनन हो रहा है.

मई दिवस पर भाकपा माले का विरोध

ये भी पढ़ें: तीन जोन में बांटे गए देश के जिले, जानें किस जोन में है आपका क्षेत्र

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यूनियन संगठन एक्टू और भाकपा (माले) के कार्यकर्ताओं ने सादगी से अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया. इस दौरान ट्रेड यूनियन एक्टू नेता डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि सरकार मजदूरों से 12 घंटा काम कराने की कोशिश बंद करे. लॉकडाउन और कोविड-19 का सारा आर्थिक बोझ मजदूरों पर लादना बंद होना चाहिए.

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों पर लाठियां चलीं, जेल भेजे गए. लेकिन सरकार द्वारा पूंजीपतियों को टैक्स में छूट और कर्ज माफी देने का काम किया जा रहा है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि फ्रंटलाइन हेल्थकर्मियों, आशा वर्कर्स और सफाई कर्मियों को बिना सुरक्षा और पीपीई किट के काम करने पर मजबूर किया जा रहा है. जिसके चलते वे वायरस का शिकार भी बन रहे हैं और उन्हें शारीरिक हमले भी झेलने पड़ते हैं. ऐसे में हम इनके साथ मजबूती से खड़े हैं और इनके लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं.

हल्द्वानी: 1888 में पहली मई को 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम के नारे के साथ दुनिया भर में मजदूर संगठनों ने प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका था. धीरे-धीरे यह मांगें करीब-करीब सभी देशों की सरकारों ने स्वीकार किया. भारत में भी मजदूरों की मांग को मानते हुए पहली बार 1923 में मजदूर दिवस या मई दिवस मनाया गया.

हल्द्वानी में मजदूर दिवस के मौके पर भाकपा माले ने विरोध जताते हुए कहा कि मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कई जगहों पर 8 घंटे की जगह मजदूरों से 12 घंटे काम कराए जाते हैं. बड़ी शहादतों के बाद मजदूरों को हक में 8 घंटे काम करने का फैसला आया. उसके बाद भी मजदूरों के अधिकारों का हनन हो रहा है.

मई दिवस पर भाकपा माले का विरोध

ये भी पढ़ें: तीन जोन में बांटे गए देश के जिले, जानें किस जोन में है आपका क्षेत्र

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यूनियन संगठन एक्टू और भाकपा (माले) के कार्यकर्ताओं ने सादगी से अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया. इस दौरान ट्रेड यूनियन एक्टू नेता डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि सरकार मजदूरों से 12 घंटा काम कराने की कोशिश बंद करे. लॉकडाउन और कोविड-19 का सारा आर्थिक बोझ मजदूरों पर लादना बंद होना चाहिए.

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों पर लाठियां चलीं, जेल भेजे गए. लेकिन सरकार द्वारा पूंजीपतियों को टैक्स में छूट और कर्ज माफी देने का काम किया जा रहा है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि फ्रंटलाइन हेल्थकर्मियों, आशा वर्कर्स और सफाई कर्मियों को बिना सुरक्षा और पीपीई किट के काम करने पर मजबूर किया जा रहा है. जिसके चलते वे वायरस का शिकार भी बन रहे हैं और उन्हें शारीरिक हमले भी झेलने पड़ते हैं. ऐसे में हम इनके साथ मजबूती से खड़े हैं और इनके लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं.

Last Updated : May 1, 2020, 9:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.