नैनीताल: सरोवर नगरी में अमिताभ बच्चन के स्कूल के नाम से जाने जाने वाला शेरवुड कॉलेज एक बार फिर से इन दिनों चर्चा में है. दरअसल स्कूल में स्वामित्व व प्रधानाचार्य के पद को लेकर उपजा विवाद स्कूल के अंदर से अब सड़क तक पहुंच गया है. प्रिंसिपल के पद को लेकर दो लोगों ने जमकर स्कूल गेट पर विवाद किया. इसके चलते स्कूल गेट पर हाई प्रोफाइल ड्रामा चलता रहा.
बता दें कि शेरवुड स्कूल को संचालित करने वाली आगरा डायसिस ने पिछले दिनों स्कूल के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू को हटा कर पीटर ई मेनुअल की नियुक्त कर नए प्रिंसिपल के रूप में तैनात कर दिया. मेनुअल का कहना है कि 22 नवंबर को वो अपना चार्ज संभालने के लिए विद्यालय पहुंचे, परन्तु उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. जिसके बाद मेनुअल ने कोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर को पीटर मेनुअल को सुरक्षा के आदेश कर दिए. जिसके बाद पीटर ई मेनुअल पुलिस प्रोटेक्शन के साथ कॉलेज पहुंचे तो कॉलेज स्टाफ ने गेट पर ताला लगा दिया और उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया. जिसके बाद पीटर ई मेनुअल के द्वारा पुलिस को मौके पर बुलाया गया ताकि स्कूल का चार्ज लिया जा सके. लेकिन स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल अमनदीप संधू के द्वारा उन्हें और उनको प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त करने वाले लोगों को फर्जी करार देते हुए स्कूल में नहीं आने दिया.
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शेरवुड कॉलेज के प्रधानाचार्य अमरजीत संधू का कहना है कि 2010 के बाद शेरवुड कॉलेज सोसायटी द्वारा शेरवुड कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. जिसके चेयरमैन पिछले डेढ़ सौ वर्षों से अलग-अलग संस्थाएं रही हैं. जैसे बिशप ऑफ लखनऊ, बिशप ऑफ दिल्ली, बिशप ऑफ आगरा. 2010 से सोसाइटी में स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है. मामला नैनीताल जिला न्यायालय में चल रहा है. इसके बावजूद कुछ लोगों के द्वारा स्कूल में जबरन कब्जा करने की कोशिश की जा रही है और उनके द्वारा भी अब हाईकोर्ट की शरण ली जाएगी.
सदी के महानायक ने शेरवुड में की थी पढ़ाई
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन 1956 में नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ते थे. यहीं पर अमिताभ ने पहली बार अभिनय भी किया था. शेरवुड की पहचान देश के एलीट कॉलेज में है. बड़े उद्योगपतियों, राजनेताओं और अफसरों के बच्चे यहां पढ़ते हैं. ये एक बोर्डिंग स्कूल है.
अमिताभ बच्चन ने अभिनय की दुनिया में अमिताभ पहली बार इसी स्कूल में सन 1957 में एक्टिंग करने के लिए उतरे थे और प्रतिभा के धनी अमिताभ पहले ही वर्ष में स्कूल का एक्टिंग में मिलने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरष्कार कैंडल कप (बेस्ट एक्टर अवार्ड)जीता था. अमिताभ ने बिशप्स कैंडलश और दा गवर्मेंट इंस्पेक्टर में प्रमुख अभिनय किया था. जिससे उनकी स्कूल के छात्रों में अच्छी खासी पहचान बन गयी थी.
जिसके बाद अगले साल 1958 में अमिताभ को कैंडल कप का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें मिसल्स नामक बीमारी हो गई और वो स्कूल की इंफार्मरी में भर्ती हो गए, जिसके बाद मिलमैन हाल मैं जहां एक तरफ नाटक संपन्न हो रहा था तो दूसरी तरफ स्कूल के अस्पताल में नन्हें कलाकार का मन विचलित हो रहा था. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन नाटक में प्रतिभाग ना करने से खासा दुखी थे.
प्रिंसिपल संधू के अनुसार इंफार्मरी में अमिताभ के पिता हरिबंश राय बच्चन उनका हाल जानने पहुंचे थे, और इसी दौरान स्कूल का पले भी सम्पन्न हो गया और अमिताभ इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से महरूम रह गए. इस बीच कलाकार मन वाले उनके पिता हरिबंश राय बच्चन ने उन्हें समझाया और कहा मन का हो तो अच्छा है और मन का नहीं हो तो ज्यादा अच्छा, यही वो शब्द हैं जो अमिताभ भी अक्सर दोहराते दिखते हैं .
स्कूल के प्रिन्सपल ने बताया की 1957 के करीब जब स्कूल का स्विमिंग पूल बन रहा था तो अमिताभ के बैच ने भी स्विमिंग पूल बनाने के लिए श्रमदान किया और पूल को तभी तैयार किया गया था, जो आज स्कूल के वाटर स्पोर्ट्स का मुख्य केंद्र है. सदी के महानायक स्कुल के समय से ही अच्छे रंगकर्मी अच्छे खिलाड़ी भी रहे है. अमिताभ ने बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भाग लेकर बैस्ट साइंटिफिक बॉक्सर का खिताब भी अपने नाम किया.
अमिताभ बच्चन 2008 में अपने पूरे परिवार के साथ जया बच्चन अभिषेक व बहू ऐश्वर्या के साथ अपने कॉलेज के एनुअल फंक्शन में पहुंचे. जहां पहुंच कर उन्होंने अपनी पुरानी यादों को ताजा किया था. अमिताभ के साथ उनके भाई अजिताभ भी इसी स्कूल का हिस्सा थे, जो अमिताभ की तरह ही सीनियर कैम्ब्रिज की शिक्षा ग्रहण कर इलाहाबाद चले गए थे. अमिताभ की तरह ही उनके सहपाठी और नजदीकी अलाहाबाद निवासी रवि एस.धवन पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे.
अमिताभ के स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ना केवल अपने आप को गौरवान्वित समझते हैं. बल्कि वे तो उसी राह पर चलकर अपने को अमिताभ जैसा सफल कलाकार बनाना चाहते हैं.