हल्द्वानी: उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) रामनगर से चुनाव लड़ने की बजाय अब लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. रंजीत रावत और हरीश रावत के बीच विवाद के बाद अब कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत (Congress candidate Harish Rawat) को लालकुआं विधानसभा सीट से टिकट दिया है. हरीश रावत का मुकाबला अब बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट (BJP candidate Mohan Singh Bisht) से है.
मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht) बीजेपी के पुराने नेता हैं. साल 2019 में जिला पंचायत के चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जहां उनको कामयाबी मिली थी. उसके बाद उनको पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था, लेकिन 15 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोहन सिंह बिष्ट की बीजेपी में वापसी करा दी थी. अब बीजेपी ने लालकुआं से वर्तमान विधायक नवीन दुम्का का टिकट काटते हुए मोहन बिष्ट को टिकट दिया है.
मोहन सिंह बिष्ट पूर्व में बीजेपी के भारतीय जनता पार्टी के कई विभिन्न पदों पर रहे हैं. मोहन बिष्ट यूसीडीएफ (Uttarakhand Cooperative Dairy Federation) के चेयरमैन भी रहे हैं. साल 2019 में जिला पंचायत चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी को जमानत जब्त करा दी थी. मोहन सिंह बिष्ट का लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ कुशल राजनीतिज्ञ भी माना जाता है.
ये भी पढ़ेंः किशोर के बीजेपी में शामिल होने पर बोले हरीश रावत,'उनका ये पतन देखकर काफी आहत'
मोहन सिंह बिष्ट 2022 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था, जहां उन्होंने अपना चुनाव कार्यालय भी खोलकर प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया था, लेकिन 15 जनवरी को उन्होंने फिर से बीजेपी ज्वॉइन कर ली. मोहन बिष्ट के बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि मोहन सिंह बिष्ट लाल कुआं से बीजेपी के प्रत्याशी हो सकते हैं.
वहीं, लालकुआं सीट से महिला प्रत्याशी संध्या डालाकोटी को टिकट दिए जाने के बाद से यहां पर कांग्रेस में बगावत शुरू हो गई थी. पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरेंद्र बोरा के समर्थक भी निर्दलीय चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे थे. ऐसे में लालकुआं सीट पर उपजे विवाद को ठंडा करने के लिए हरीश रावत को प्रत्याशी बनाया गया है. क्योंकि हरीश रावत का लालकुआं से पार्टी में कोई विरोध नहीं है.
ये भी पढ़ेंः धन सिंह नेगी ने BJP पर साधा निशाना, 10 करोड़ में टिकट बेचने का लगाया आरोप
हरीश रावत की सरकार रहते हुए तत्कालीन श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल (Congress leader Harish Chandra Durgapal) ने लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में बहुत से काम कराए हैं, जिसका श्रेय हरीश रावत और हरीश चंद्र दुर्गापाल हो जाता है. हरीश चंद्र दुर्गापाल, हरीश रावत के करीबी भी हैं.
हरीश चंद्र दुर्गापाल के कहने पर हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए बिन्दुखत्ता गांव को नगर पालिका को दर्ज दिया था, जिसका बीजेपी और ग्रामीणों ने काफी विरोध किया था. भारतीय जनता पार्टी ने सरकार में आने पर गांव को राजस्व गांव बनाए जाने का वादा किया था लेकिन सरकार बनने के बाद राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिल पाया. ऐसे में बिन्दुखत्ता गांव के ग्रामीण भी अब फिर से नगरपालिका चाह रहे हैं, क्योंकि बिन्दुखत्ता गांव उत्तराखंड का सबसे बड़ा गांव है, जो वन भूमि में बसा है. यहां पर करीब 44 हजार मतदाता है, जो हरीश चंद्र दुर्गापाल का गढ़ माना जाता है.
वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बीजपी प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट ने कहा है कि 2022 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही रही है. हरीश रावत का हाल जिस तरह से साल 2017 में किच्छा विधानसभा सीट पर हुआ था. उसी तरह से होने जा रहा है. उनका साफ कहना है कि वो हरीश रावत को पटखनी देने जा रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः टिकट कटने से नाराज BJP MLA ठुकराल का इस्तीफा, निर्दलीय ठोक सकते हैं ताल
लालकुआं विधायक नवीन दुम्का ने बहाए आंसू, पूर्व चेयरमैन भी फूट-फूटकर रोएः बीजेपी में टिकट वितरण के बाद से लालकुआं बीजेपी में बगावत शुरू हो गई है. वर्तमान विधायक नवीन दुम्का ने टिकट वितरण पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 2 दिन पहले पार्टी में आए व्यक्ति को पार्टी ने टिकट दे दिया गया. जो अपने आप में सवाल खड़े हो रहे हैं. दुम्का के आवास पर सुबह से ही उनके समर्थकों की भीड़ जमा हुई थी. जहां अपने समर्थकों के सामने दुम्का के आंसू बहने लगे. समर्थकों ने दुम्का से निर्दलीय चुनाव लड़ने की मांग की, लेकिन उन्होंने पार्टी का हवाला देते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने से मना कर दिया.
वहीं, लालकुआं के दो बार के पूर्व चेयरमैन पवन चौहान ने भी बीजेपी से अपनी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने मोहन बिष्ट को टिकट दे दिया. जिससे नाराज पवन चौहान ने अपने समर्थकों की महापंचायत बुलाई. जहां पवन चौहान अपने समर्थकों के सामने फूट-फूटकर रोए. जिसके बाद अपने समर्थकों के रायशुमारी के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पवन चौहान पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.