नैनीताल: हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश का पालन न करना प्रदेश के आबकारी सचिव को महंगा पड़ गया है. नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने प्रदेश की आबकारी सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि, नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड को शराब मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बाजारों में आई पी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे.
कोर्ट ने 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना देने का भी आदेश जारी किया था. वहीं, कोर्ट ने कहा था कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है. लेकिन, राज्य सरकार उत्तराखंड में नई-नई शराब की दुकानें खोल रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
अधिवक्ता डीके जोशी ने हाईकोर्ट में प्रदेश में शराब की दुकानों को बंद करने को लेकर जनहित याचिका दायर किया था. जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदेश में शराब के बढ़ते प्रभाव के कारण लोगों की मृत्यु हो रही है. इसके साथ ही सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम 1910 का पालन नहीं कर रही है. वहीं, याचिका में सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, मंदिरों के आस-पास शराब की दुकानें खोले जाने पर सवाल खड़े किए गए थे.
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वहीं, याचिकाकर्ता ने शराब से हुई राजस्व को समाज के कल्याण में लगाने की भी मांग की थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार शराब बिक्री से 2% से लेती है. जिससे शराब से हुए नुकसान के मामलों में ही खर्च किया जाना चाहिए. लेकिन, राज्य सरकार ऐसा नहीं कर रही.