हल्द्वानी: हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. विश्व जल दिवस मनाने का उद्देश्य पानी के महत्व को समझने और उसके संरक्षण के विषय में लोगों को सचेत करना है. कहा जाता है कि जल ही जीवन है इसके बिना सब सून, लेकिन बदलते समय में लगातार पानी का संकट गहराता जा रहा है. वहीं, आंकड़े बताते हैं कि विश्व में करीब डेढ़ अरब लोगों को शुद्ध पानी तक नहीं मिल पाता है.
गौर हो कि आज पूरी दुनिया आधुनिकता की चकाचौंध में खोती जा रही है और लोग कई बीमारियों से घिरते जा रहे हैं. इसमें से जल जनित बीमारियां भी हैं. विश्व के हर नागरिक को पानी की महत्ता से रूबरू कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की थी. जिससे लोग जल को बचाने और उसके महत्व के बारे में भली भांति जान सकें. स्वास्थ्य, कृषि पर्यावरण और व्यापार के साथ ही जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जल के महत्व से लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे विश्व भर में विश्व जल दिवस मनाया जाता है.
वहीं, हल्द्वानी जल संस्थान हल्द्वानी के लोगों को पेयजल के रूप में गौला नदी और 65 ट्यूबवेल के माध्यम से लोगों को पानी उपलब्ध करा रहा है. बता दें कि हल्द्वानी शहर के लोगों के लिए 80 एमएलडी पानी की जरूरत है इसके अनुरूप में जल संस्थान 75 एमएलडी पानी ही उपलब्ध करा पता है. वहीं, 38 एमएलडी पानी की पूर्ति गोला नदी से की जाती है, जबकि 37 एमएलडी 65 पेयजल पानी ट्यूबवेल के माध्यम से उपलब्ध कराया है.
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आंकड़े बताते हैं कि शहर के प्रति व्यक्ति को 135 लीटर पानी की रोजाना जरूरत होती है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 55 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की जरूरत होती है. पीने के लिए प्रति व्यक्ति को रोजाना 5 लीटर शुद्ध पानी की जरूरत पड़ती है, जबकि खाना बनाने के लिए 15 लीटर और नहाने के लिए 20 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. वहीं 95 लीटर पानी साफ- सफाई, कपड़े धोने में आवश्यकता पड़ती है.
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अधिशासी अभियंता जल संस्थान विशाल कुमार सक्सेना के मुताबिक, हल्द्वानी जल संस्थान द्वारा 19 पैरामीटर मानक के अनुकूल ही पानी की सप्लाई की जाती है. शहर के लोगों को शुद्ध और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकें. हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में लगातार घटता जमीनी जलस्तर चिंता का विषय बनता जा रहा है 2019-20 के आंकड़े बताते हैं कि हल्द्वानी और उसके आसपास के पेयजल वाटर लेवल 594 फीट से लेकर 820 फीट तक पहुंच चुका है. फिलहाल, लगातार शहर के गिरते वाटर लेवल और पानी की किल्लत चिंता का विषय बनता जा रहा है और आने वाले दिनों में पानी का संरक्षण नहीं किया गया तो पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है.
'विश्व जल दिवस' की पहल
गौर हो कि पर्यावरण तथा विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) में विश्व जल दिवस की पहल 1992 में रियो डि जेनेरियो में की गई थी. वहीं 1993 में 22 मार्च को पहली बार 'विश्व जल दिवस' का आयोजन किया गया.
क्यों मनाया जाता है जल दिवस?
जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल मनाया जाता हैं. जिसमें लोगों को जल से संबंधित जानकारियों को साझा किया जाता है और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों के बारे में भी बताया जाता है. जिसकी पूरी जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण तथा विकास एजेंसी की है.