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Butterfly Park: तितलियों से है प्यार तो आइए कॉर्बेट पार्क, 150 से ज्यादा प्रजातियां यहां हैं मौजूद

कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के घनत्व के लिए देश विदेश में जाना जाता है. कॉर्बेट पार्क व इसके आस पास से लगते वन प्रभाग में 250 से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं, जिनके दीदार के लिए हर साल हजारों की तादात में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. कॉर्बेट पार्क के ढेला जोन में तितली पार्क का भी निर्माण किया गया है. तितलियों की 150 से अधिक प्रजातियां यहां मौजूद हैं. अगर आप कॉर्बेट नेशनल पार्क आ रहे हैं, तो तितली पार्क का भ्रमण जरूर करें.

ramnagar butterfly
रामनगर तितली
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Published : Jan 31, 2023, 11:54 AM IST

कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहा तितलियों का संरक्षण.

रामनगर: अगर आप तितली प्रेमी हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. कॉर्बेट लैंडस्केप में तितलियों की 150 से 200 प्रजातियां पाई जाती हैं. ऐसे में अगर आप तितली प्रेमी हैं तो आप कॉर्बेट पार्क चले आइए यहां पर आपको विभिन्न प्रकार की तितलियों के दीदार हो जाएंगे. तितली विशेषज्ञ संजय छिम्वाल कहते हैं कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए तो विश्व विख्यात है ही पर यहां तितलियों की 150 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं.

कॉर्बेट पार्क में है जैव विविधता: संजय छिम्वाल कहते हैं कि जब हम जैव विविधता की बात करते हैं, तो उसमें तितली का बहुत बड़ा योगदान होता है. मधुमक्खी के बाद परागण करने में तितलियों का ही योगदान होता है. कॉर्बेट में बाघों के अलावा भी बहुत सी सुंदर चीजें हैं. ऐसे में लोगों को बाघ के साथ ही अन्य प्रजातियों पर भी फोकस करना होगा. तभी हम तितली जैसे सुंदर जीव को भविष्य के लिए सहेज पाएंगे.

कॉर्बेट में है तितली पार्क: रंग बिरंगी तितलियां अच्छे पर्यावरण की निशानी हैं. कॉर्बेट में 150 से अधिक तितलियों की प्रजाति को अभी तक देखा गया है, जिसमें विभिन्न प्रकार की तितलियां मिलती हैं, जिसमें इमीग्रेंट, मॉरमून, ब्लैक पेंसिल, कामन टाइगर, ग्रास ज्वैल, पी ब्लू, कामन सैलर, काफमन जैम, बैरोनट हैं. इनके संरक्षण के प्रयास किए जाने चाहिए. ये अच्छी बात है कि कॉर्बेट पार्क के ढेला जोन में तितली पार्क का निर्माण किया गया है. यहां पर 100 से अधिक प्रजातियों के प्लांट लगाये गए हैं, जो बटरफ्लाई के लार्वा के होस्ट प्लांट हैं.

तितली के बारे में रोचक तथ्य: संजय बताते हैं कि तितलियां फूलों का रस लेने के लिए कहीं भी जा सकतीं हैं. लेकिन उनकी मजबूरी होती है कि वो अंडा उसी पेड़ पर देंगी, जो उनके लार्वा का फूड प्लांट होता है. हम अगर ऐसे पौधों का रोपण अपने आसपास करते हैं तो उससे तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन में मदद मिलती है. संजय कहते हैं कि जितना जरूरी जंगल के लिए बाघ है, उतने ही जरूरी ये कीट पतंगे भी हैं. तितलियां हमारे लिए बचाई जानी बहुत जरूरी हैं.

वहीं, पिछले तीन वर्षों से तितली त्यार कार्यक्रम का आयोजन करने वाले अलाया रिसोर्ट के डायरेक्टर फैसल रिजवी कहते हैं कि कॉर्बेट पार्क ने अपनी पहचान पूरी दुनिया में टाइगर टूरिज्म के रूप में विकसित की है. रिजवी कहते हैं कि जब कोई भी पर्यटक कॉर्बेट पार्क आता है, तो उसको बाघ, लेपर्ड, हाथी आदि एनिमल्स को देखने की इच्छा के साथ ही कीट पतंगों और पक्षियों को भी देखने की भी चाहत होती है. इन छोटे जीवों की महत्ता को समझते हुए हमारे द्वारा पिछले तीन वर्षों से तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए रामनगर क्यारी गांव में तितली त्यार नाम से कार्यक्रम का आयोजित किया जा रहा है. इसमें तितलियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है, क्योंकि तितलियों के लिए ईको सिस्टम जरूरी है.
ये भी पढ़ें- weather update: हिमपात और बारिश से उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप जारी

फैसल कहते हैं कि इससे पहले कॉर्बेट पार्क के आसपास तितलियों के लिए कोई कार्य नहीं किया था. अलाया रिसोर्ट है जिसने तितली को टाइगर की तरह पेश किया. लोगों ने वहां आना शुरू किया. हमारे ईको सिस्टम के लिए तितलियां भी टाइगर की तरह ही महत्वपूर्ण हैं. जिसके बाद कॉर्बेट प्रशासन ने भी ढेला क्षेत्र में बटरफ्लाई पार्क का निर्माण किया है, जहां पर पर्यटक बटरफ्लाई और उसके ईको सिस्टम को देख सकते हैं. फैसल कहते हैं कि कॉर्बेट आने वाले पर्यटक कॉर्बेट पार्क में केवल बाघों को देखने के लिए ही नहीं बल्कि इन तितलियों को देखने भी आएं.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पार्क प्रशासन लगातार कार्य कर रहा है. ढेला पर्यटन क्षेत्र में तितली पार्क भी बनाया गया है. उन्होंने बताया कि तितली पार्क में राष्ट्रीय तितली ऑरेंज ओकलीफ व राज्यीय तितली कॉमन पीकॉक भी दिख चुकी है. पार्क में कनेर, गुड़हल, रेन लिली, इंडियन गुलाब, जूही, टिकोमा, चांदनी वेरिगेटेड, जएरिका पाम आदि पौधे लगाए गए हैं.

कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहा तितलियों का संरक्षण.

रामनगर: अगर आप तितली प्रेमी हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. कॉर्बेट लैंडस्केप में तितलियों की 150 से 200 प्रजातियां पाई जाती हैं. ऐसे में अगर आप तितली प्रेमी हैं तो आप कॉर्बेट पार्क चले आइए यहां पर आपको विभिन्न प्रकार की तितलियों के दीदार हो जाएंगे. तितली विशेषज्ञ संजय छिम्वाल कहते हैं कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए तो विश्व विख्यात है ही पर यहां तितलियों की 150 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं.

कॉर्बेट पार्क में है जैव विविधता: संजय छिम्वाल कहते हैं कि जब हम जैव विविधता की बात करते हैं, तो उसमें तितली का बहुत बड़ा योगदान होता है. मधुमक्खी के बाद परागण करने में तितलियों का ही योगदान होता है. कॉर्बेट में बाघों के अलावा भी बहुत सी सुंदर चीजें हैं. ऐसे में लोगों को बाघ के साथ ही अन्य प्रजातियों पर भी फोकस करना होगा. तभी हम तितली जैसे सुंदर जीव को भविष्य के लिए सहेज पाएंगे.

कॉर्बेट में है तितली पार्क: रंग बिरंगी तितलियां अच्छे पर्यावरण की निशानी हैं. कॉर्बेट में 150 से अधिक तितलियों की प्रजाति को अभी तक देखा गया है, जिसमें विभिन्न प्रकार की तितलियां मिलती हैं, जिसमें इमीग्रेंट, मॉरमून, ब्लैक पेंसिल, कामन टाइगर, ग्रास ज्वैल, पी ब्लू, कामन सैलर, काफमन जैम, बैरोनट हैं. इनके संरक्षण के प्रयास किए जाने चाहिए. ये अच्छी बात है कि कॉर्बेट पार्क के ढेला जोन में तितली पार्क का निर्माण किया गया है. यहां पर 100 से अधिक प्रजातियों के प्लांट लगाये गए हैं, जो बटरफ्लाई के लार्वा के होस्ट प्लांट हैं.

तितली के बारे में रोचक तथ्य: संजय बताते हैं कि तितलियां फूलों का रस लेने के लिए कहीं भी जा सकतीं हैं. लेकिन उनकी मजबूरी होती है कि वो अंडा उसी पेड़ पर देंगी, जो उनके लार्वा का फूड प्लांट होता है. हम अगर ऐसे पौधों का रोपण अपने आसपास करते हैं तो उससे तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन में मदद मिलती है. संजय कहते हैं कि जितना जरूरी जंगल के लिए बाघ है, उतने ही जरूरी ये कीट पतंगे भी हैं. तितलियां हमारे लिए बचाई जानी बहुत जरूरी हैं.

वहीं, पिछले तीन वर्षों से तितली त्यार कार्यक्रम का आयोजन करने वाले अलाया रिसोर्ट के डायरेक्टर फैसल रिजवी कहते हैं कि कॉर्बेट पार्क ने अपनी पहचान पूरी दुनिया में टाइगर टूरिज्म के रूप में विकसित की है. रिजवी कहते हैं कि जब कोई भी पर्यटक कॉर्बेट पार्क आता है, तो उसको बाघ, लेपर्ड, हाथी आदि एनिमल्स को देखने की इच्छा के साथ ही कीट पतंगों और पक्षियों को भी देखने की भी चाहत होती है. इन छोटे जीवों की महत्ता को समझते हुए हमारे द्वारा पिछले तीन वर्षों से तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए रामनगर क्यारी गांव में तितली त्यार नाम से कार्यक्रम का आयोजित किया जा रहा है. इसमें तितलियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है, क्योंकि तितलियों के लिए ईको सिस्टम जरूरी है.
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फैसल कहते हैं कि इससे पहले कॉर्बेट पार्क के आसपास तितलियों के लिए कोई कार्य नहीं किया था. अलाया रिसोर्ट है जिसने तितली को टाइगर की तरह पेश किया. लोगों ने वहां आना शुरू किया. हमारे ईको सिस्टम के लिए तितलियां भी टाइगर की तरह ही महत्वपूर्ण हैं. जिसके बाद कॉर्बेट प्रशासन ने भी ढेला क्षेत्र में बटरफ्लाई पार्क का निर्माण किया है, जहां पर पर्यटक बटरफ्लाई और उसके ईको सिस्टम को देख सकते हैं. फैसल कहते हैं कि कॉर्बेट आने वाले पर्यटक कॉर्बेट पार्क में केवल बाघों को देखने के लिए ही नहीं बल्कि इन तितलियों को देखने भी आएं.

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि तितलियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पार्क प्रशासन लगातार कार्य कर रहा है. ढेला पर्यटन क्षेत्र में तितली पार्क भी बनाया गया है. उन्होंने बताया कि तितली पार्क में राष्ट्रीय तितली ऑरेंज ओकलीफ व राज्यीय तितली कॉमन पीकॉक भी दिख चुकी है. पार्क में कनेर, गुड़हल, रेन लिली, इंडियन गुलाब, जूही, टिकोमा, चांदनी वेरिगेटेड, जएरिका पाम आदि पौधे लगाए गए हैं.

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