नैनीतालः उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी दिनेश आर्य ने यशपाल आर्य और विधायक संजीव आर्य पर तंज कसा है. दिनेश आर्य ने कहा कि जब भाजपा ने पिता-पुत्र को खुले हाथ से लूट मचाने नहीं दी तो उन दोनों ने पार्टी छोड़ दी.
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व नैनीताल विधायक संजीव आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद नैनीताल सीट से मुख्यमंत्री के पीआरओ दिनेश आर्य ने अपनी दावेदारी पेश की है. उन्होंने नैनीताल सीट पर दावेदारी ठोकते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा 2017 के चुनाव नतीजे से भी बड़े अंतर से कांग्रेस को शिकस्त देगी.
29 साल से कर रहे हैं टिकट की दावेदारीः दिनेश आर्य ने कहा कि वह लंबे समय से पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं. साल 1992 से वह भाजपा से दावेदारी पेश करते आ रहे हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में भी टिकट की दावेदारी की थी. इस बार भी नैनीताल सीट से दावेदारी करेंगे. वहीं, दिनेश आर्य ने कहा कि संजीव आर्य की पहचान उनके पिता यशपाल आर्य के नाम से है. संजीव अपने नाम पर शून्य हैं, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए कोई चुनौती नहीं हैं.
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पिता-पुत्र ने जनता को धोखा दियाः मुख्यमंत्री धामी का पीआरओ बनने के बाद पहली बार नैनीताल पहुंचे दिनेश आर्य ने कहा कि भाजपा ने 2017 में मोदी लहर के दौरान यशपाल आर्य को मंत्री जबकि उनके पुत्र को विधायक बनाकर सम्मानित किया. इसके बावजूद भी पिता-पुत्र ने पार्टी व जनता को धोखा दिया जिसका जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में करारा जवाब देगी.
पार्टी कार्यकर्ताओं में कोई दुख नहींः दिनेश ने संजीव आर्य को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब कांग्रेस ने संजीव को टिकट नहीं दिया तब संजीव आर्य भाजपा में शामिल हुए और भाजपा ने संजीव पर भरोसा किया. भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा कड़ी मेहनत कर संजीव को विधायक बनाया गया. इसके बावजूद भी संजीव पार्टी और कार्यकर्ताओं को धोखा देकर चले गए. दिनेश ने कहा कि यशपाल और उनके पुत्र द्वारा पार्टी छोड़ने का कार्यकर्ताओं में कोई दुख नहीं है. जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है.
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कांग्रेस का भ्रष्टाचार का इतिहासः दिनेश आर्य ने यशपाल आर्य पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास भ्रष्टाचार वाला रहा है. ऐसे में पिछले चुनाव में भाजपा ने सब कुछ भुलाकर यशपाल आर्य और संजीव आर्य को पार्टी में जगह दी. कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर आर्य को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग भी दिए, मगर साढ़े चार साल सत्ता में रहते हुए यशपाल आर्य को खुले हाथ से लूट का मौका नहीं मिला. जिस कारण वह पार्टी छोड़ कर चले गए.