हल्द्वानी: प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी पहुंचे, जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्यों की समीक्षा की. बैठक के बाद उन्होंने डोली रेंज वन विभाग के कैंपस पहुंच कर विभाग की ओर से पश्चिमी वृत्त में पहली बार विलुप्त हो रहे कई प्रजाति के घास की बनाई गई नर्सरी का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए.
प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी कहा कि घास पहाड़ों के भूस्खलन को रोकने में अहम भूमिका निभाती है. इसके अलावा जंगली जानवरों के आवास स्थल के लिए उपयोगी मानी जाती है. वर्तमान में कई प्रजातियों की घास धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई हैं, जिन्हें बचाने की सख्त जरूरत है. उन्होंने बताया कि डॉली रेंज नर्सरी में विभाग ने 13 प्रजातियों की घास को संरक्षित करने का काम किया है.
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यही नहीं, ये घासें जंगलों और पहाड़ों पर जानवरों के चारे का मुख्य जरिया भी हैं, जो वर्तमान में धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं. ऐसे में वन विभाग की ओर से इन घासों को एक जगह पर संरक्षित करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने बताया कि नर्सरी में मुख्य रूप से भाभड़, गोड़िया, नेपियर 1, खस, सरकंडा, कुश, लेमन ग्रास 1, नैपियर 2, लेमनग्रास 2, नरकुल, औस, सीरो और मडुवा घास की प्रजाति को संरक्षित किया गया है.
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उन्होंने कहा कि वन विभाग को निर्देशित किया गया है कि नर्सरी में कम से कम 50 प्रजातियों की घास को संरक्षित किया जाए, जिससे विलुप्त हो रही विभिन्न प्रजाति के घासों को बचाया जा सके. उन्होंने बताया कि पौधशाला में लगाई गई घास के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. सभी प्रजातियों की घास बेहतर ढंग से उगाई गई हैं. वहीं, प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि हमारी कोशिश यही होगी कि यहां पाई जाने वाली घास की सभी प्रजातियां सुरक्षित रहें, ताकि भविष्य में किसी क्षेत्र में विलुप्त हो गई तो उन्हें फिर से वहां लौटाया जा सके.