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कुमाऊं की गौला समेत चार नदियों से खनन की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति खत्म

कुमाऊं के सबसे बड़े खनन केंद्र गौला नदी में हर साल बड़े पैमाने पर खनन (Haldwani Gaula Mining) होता है. खनन कारोबारियों के पिछले 3 महीनों से हड़ताल के चलते इन नदियों से खनन का कार्य नहीं होने से जहां सरकार को रोजाना करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं तमाम नदियों से केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Union Ministry of Environment and Forests) से स्वीकृति खत्म हो रही है. ऐसे में भविष्य में खनन पर संकट खड़ा हो सकता है.

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Published : Dec 20, 2022, 1:55 PM IST

कुमाऊं की गौला समेत चार नदियों से खनन की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति खत्म

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को सबसे अधिक खनन (Haldwani Mining) से राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन इस साल खनन पर संकट मंडरा रहा है. खनन कारोबारियों के पिछले 3 महीनों से हड़ताल के चलते इन नदियों से खनन का कार्य नहीं होने से जहां सरकार को रोजाना करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकार को एक और झटका लगने जा रहा है. बताया जा रहा है कि कुमाऊं मंडल की गौला, शारदा, कोशी व दबका नदी से खनन की केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Union Ministry of Environment and Forests) से स्वीकृति खत्म हो रही हैं.ऐसे में भविष्य में खनन पर संकट खड़ा हो सकता है.

बताया जा रहा है कि कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी (Haldwani Gaula River) से होने वाले उप खनिज निकासी की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति 23 जनवरी को खत्म हो रही है. जबकि शारदा नदी की वन एवं पर्यावरण स्वीकृति 13 फरवरी व कोसी और दाबका की 14 फरवरी को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय स्वीकृति 10 साल पूरे होने पर खत्म हो रही है. सरकार को इन नदियों से खनन कराने के लिए केंद्र से वन एवं पर्यावरण स्वीकृति लेना अनिवार्य है. जिसके बाद ही भविष्य में इन नदियों से खनन की निकासी हो सकेगी. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद आर्य ने बताया कि भविष्य में इन नदियों से उप खनिज निकासी के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति लेनी जरूरी है.
पढ़ें-गौला के मजदूर बोले- साहब! गर्मी में कंबल लेकर क्या करेंगे, अभी है जरूरत

ऐसे में विभाग द्वारा स्वीकृति की कार्रवाई की गई है शासन स्तर पर इसके लिए काम चल रहा है उम्मीद है कि समय रहते केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति मिल जाएगी. उन्होंने बताया कि पूर्व में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति 10 साल के लिए प्राप्त हुई थी जो खत्म हो रही है.गौरतलब है कि खनन से सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है लेकिन पिछले 3 महीनों से खनन कारोबारियों की हड़ताल के चलते खनन कार्य पूरी तरह से ठप है. ऐसे में अगर भविष्य में खनन कार्य शुरू होता है तो केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति खनन कार्य में अड़चन डाल सकता है.

लक्सर में मिट्टी का अवैध खनन: लक्सर जहां एक ईट भट्टा स्वामी परमिशन की आड़ में धड़ल्ले से रात के समय मिट्टी का अवैध खनन कर रहा हैं. मामले को लेकर लक्सर एसडीएम गोपाल राम बिनवाल ने कहा कि यहां क्षेत्र में एक ही भट्टा है अगर रात के समय कोई अवैध मिट्टी परिवहन कर रहा है जो नियम अनुसार उचित नहीं है तो जिस पर विधिक कार्रवाई की जाएगी.

कुमाऊं की गौला समेत चार नदियों से खनन की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति खत्म

हल्द्वानी: प्रदेश सरकार को सबसे अधिक खनन (Haldwani Mining) से राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन इस साल खनन पर संकट मंडरा रहा है. खनन कारोबारियों के पिछले 3 महीनों से हड़ताल के चलते इन नदियों से खनन का कार्य नहीं होने से जहां सरकार को रोजाना करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकार को एक और झटका लगने जा रहा है. बताया जा रहा है कि कुमाऊं मंडल की गौला, शारदा, कोशी व दबका नदी से खनन की केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Union Ministry of Environment and Forests) से स्वीकृति खत्म हो रही हैं.ऐसे में भविष्य में खनन पर संकट खड़ा हो सकता है.

बताया जा रहा है कि कुमाऊं की लाइफलाइन कही जाने वाली गौला नदी (Haldwani Gaula River) से होने वाले उप खनिज निकासी की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति 23 जनवरी को खत्म हो रही है. जबकि शारदा नदी की वन एवं पर्यावरण स्वीकृति 13 फरवरी व कोसी और दाबका की 14 फरवरी को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय स्वीकृति 10 साल पूरे होने पर खत्म हो रही है. सरकार को इन नदियों से खनन कराने के लिए केंद्र से वन एवं पर्यावरण स्वीकृति लेना अनिवार्य है. जिसके बाद ही भविष्य में इन नदियों से खनन की निकासी हो सकेगी. क्षेत्रीय प्रबंधक वन विकास निगम महेश चंद आर्य ने बताया कि भविष्य में इन नदियों से उप खनिज निकासी के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति लेनी जरूरी है.
पढ़ें-गौला के मजदूर बोले- साहब! गर्मी में कंबल लेकर क्या करेंगे, अभी है जरूरत

ऐसे में विभाग द्वारा स्वीकृति की कार्रवाई की गई है शासन स्तर पर इसके लिए काम चल रहा है उम्मीद है कि समय रहते केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति मिल जाएगी. उन्होंने बताया कि पूर्व में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति 10 साल के लिए प्राप्त हुई थी जो खत्म हो रही है.गौरतलब है कि खनन से सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है लेकिन पिछले 3 महीनों से खनन कारोबारियों की हड़ताल के चलते खनन कार्य पूरी तरह से ठप है. ऐसे में अगर भविष्य में खनन कार्य शुरू होता है तो केंद्रीय वन एवं पर्यावरण स्वीकृति खनन कार्य में अड़चन डाल सकता है.

लक्सर में मिट्टी का अवैध खनन: लक्सर जहां एक ईट भट्टा स्वामी परमिशन की आड़ में धड़ल्ले से रात के समय मिट्टी का अवैध खनन कर रहा हैं. मामले को लेकर लक्सर एसडीएम गोपाल राम बिनवाल ने कहा कि यहां क्षेत्र में एक ही भट्टा है अगर रात के समय कोई अवैध मिट्टी परिवहन कर रहा है जो नियम अनुसार उचित नहीं है तो जिस पर विधिक कार्रवाई की जाएगी.

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