रामनगर: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों और गुलदारों की जिंदगियों पर इन दिनों खतरा मंडरा रहा है. ये खतरा यहां के कुत्तों में पाए जाने वाले कैनाइन डिस्टेंपर नामक वायरस के कारण पैदा हो रहा है. इस वायरस से निपटने के लिए कॉर्बेट प्रशासन भरसक कोशिश कर रहा है. जिसके लिए जंगलों के किनारे घूमने वाले आवारा कुत्तों का वैक्सिनेशन किया जा रहा है लेकिन अब तक यहां कितने कुत्तों का वैक्सिनेशन किया जा चुका है इसका डाटा विभाग के पास नहीं है.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों और गुलदारो की संख्या अधिक है. खासतौर से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए विश्वविख्यात है. बाघों की अधिक संख्या होने के कारण यहां देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं. बाघों की सुरक्षा के लिए जहां कॉर्बेट प्रबंधन कमर कसे हुए है, इसके बावजूद यहां के बाघों और गुलदारों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है.
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दरअसल, ये वायरस आवारा और पालतू कुत्तों में पाया जाता है. आवारा और पालतू कुत्ते कॉर्बेट जंगल की सीमा से सटे गांवों में घूमते फिरते हैं. ये कुत्ते कई बार बाघ और गुलदार का शिकार बन जाते हैं. जिससे इनमें पाया जाने वाला कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बाघ और गुलदार के शरीर में प्रवेश कर जाता है. जिसके कारण इनकी मौत हो जाती है. हालांकि कॉर्बेट निदेशक राहुल कुमार की मानें तो अभी तक कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से बड़ी बिल्लियों की मौत का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है. फिर भी समय-समय पर बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा को लेकर कॉर्बेट प्रशासन कार्रवाई करता रहता है.
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बता दें कि पिछले साल 2018 में गुजरात में 23 शेरों की मौत हो गई थी. जिसमें से 11 शेरों के शरीर में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस पाया गया था. जिसके बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन भी इस मामले में सतर्क हो गया है. हालांकि वन विभाग जंगल किनारे घूमने वाले आवारा कुत्तों के वैक्सिनेशन की बात कह रहा है लेकिन इस बारे में उनके पास कोई डाटा नहीं है जिसके कारण यह नहीं बताया जा रहा कि अब तक कितने कुत्तों का वैक्सिनेशन कराया जा चुका है.