ETV Bharat / state

भीमताल में बसता है तितलियों का 'संसार', पर्यटक कर सकते हैं दुनिया की सबसे बड़ी और खूबसूरत बटरफ्लाई का दीदार

उत्तराखंड के भीमताल में बटरफ्लाई रेफरेंस कलेक्शन एंड रिसर्च सेंटर है, जहां तितली और कीट-पतंगों का संरक्षण किया जाता है. संग्रहालय में दुनिया की 243 तितलियों की प्रजाति है. यहां विदेशी तितलियों के साथ ही सबसे बड़ी और खूबसूरत तितली भी है.

world of butterflies
तितलियों का संसार
author img

By

Published : Jun 25, 2023, 4:46 PM IST

भीमताल में बसता है तितलियों का 'संसार'

हल्द्वानी: तितलियों के संसार से रूबरू होना चाहते हैं तो उत्तराखंड के भीमताल जून एस्टेट स्थित बटरफ्लाई रेफरेंस कलेक्शन एंड रिसर्च सेंटर जरूर जाना चाहिए. रिसर्च सेंटर में तीन हजार से भी अधिक तितली और पतंगों के नमूने सुनिश्चित है, जो उत्तराखंड का एकमात्र कीट पतंगों का संग्रहालय है. यह संग्रहालच भारत के पहले तितली संरक्षण का काम करने वाले प्रसिद्ध फ्रेडरिक स्मेटाचेक सीनियर और उनके बेटे पीटर स्मेटाचेक का है. संग्रहालय की खास बात यह है कि यहां मौजूद तितलियों में से कुछ तितलियां विदेशी हैं लेकिन विदेश से ज्यादा भारत में पाई जाती हैं.

बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर के संस्थापक पीटर स्मेटाचेक बताते हैं कि भारत में तितली-कीट-पतंगों पर बहुत बड़ा संसार है. भारत में पाई जाने वाली तितलियों की लगभग 1300 अधिक प्रजातियों में से अकेले भीमताल में लगभग 243 प्रजातियां हैं. इनमें से कुछ तितलियों और पतंगों को अनुसंधान उद्देश्यों के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों से लाया गया है.

प्रजातियों को संरक्षित करना मकसद: पीटर स्मेटाचेक बताते हैं कि हमारे देश में तितली-कीट-पतंगों पर बहुत अधिक काम नहीं किया गया है. संग्रहालय का मकसद है कि इन कीट पतंगों के प्रजातियों को संरक्षित करने और उनके विषय में लोगों को जागरूक करना है. बहुत से लोग ऐसे हैं जो अभी भी पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं और पर्यावरण और जीवों को लेकर सजग हैं और लगातार इन विषयों पर अध्ययन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Butterfly Park: तितलियों से है प्यार तो आइए कॉर्बेट पार्क, 150 से ज्यादा प्रजातियां यहां हैं मौजूद

तितलियों पारिस्थितिक तंत्र मजबूत: उन्होंने बताया कि तितलियां स्वस्थ पर्यावरण का सूचक है. वनों की आग और बाहरी शक्तियां इस संतुलन को बिगाड़ने का काम कर रही हैं. संग्रहालय में सहेजी गईं तितलियां हमारे पारिस्थितिक तंत्र का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, परागीकरण में सहायक हैं. तितलियों कि संख्या सीधे तौर पर जैव विविधता की पूरक हैं. जितनी ज्यादा तितलियां हमारे आस-पास होंगी, उतना ही अच्छा और मजबूत हमारा पारिस्थितिक तंत्र होगा.

संग्रहालय में मौजूद तितली की सभी प्रजातियां: उनका कहना है कि भारत की सबसे बड़ी तितली, गोल्डन बर्डविंग ट्राइड्स एकस, इस संग्रह में है. इसके अलावा, भारत की सबसे खूबसूरत तितली और उत्तराखंड की राज्य तितली, कॉमन पीकॉक पैपिलियो बियानोर भी इस संग्रह में है. उन्होंने बताया कि अच्छी बात यह है कि भारत की 1325 से ज्यादा तितली की प्रजातियों में से अभी तक कोई भी लुप्त नहीं हुईं है. सभी अपने सुरक्षित स्थानों पर देखने को मिल रही हैं

रिसर्च सेंटर औपनिवेशिक शैली का बंगला: इसके अलावा, खास बात यह है कि इस रिसर्च सेंटर में दुनिया का सबसे बड़ा कीट अटाकस एटलस, एक्टियास लूना, पारनासियस या स्नो अपोलो के नाम से प्रसिद्ध कीट भी यहां देखने को मिलते हैं. इसके अलावा यहां बिच्छू, बीटल्स व अन्य कीट पतंगों की अच्छी खासी प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी. रिसर्च सेंटर औपनिवेशिक शैली का बंगला आपको अतीत में ले जाएगा और देवदार, बांज के जंगलों से घिरे इस बंगले के चारों ओर घूमते वन्यजीव आपको आसानी से देखने के मिल जाएंगे.

ये भी पढ़ें: तितली पर्यटन की नैनीताल से होगी शुरुआत, युवाओं को मिलेगा रोजगार

भीमताल में बसता है तितलियों का 'संसार'

हल्द्वानी: तितलियों के संसार से रूबरू होना चाहते हैं तो उत्तराखंड के भीमताल जून एस्टेट स्थित बटरफ्लाई रेफरेंस कलेक्शन एंड रिसर्च सेंटर जरूर जाना चाहिए. रिसर्च सेंटर में तीन हजार से भी अधिक तितली और पतंगों के नमूने सुनिश्चित है, जो उत्तराखंड का एकमात्र कीट पतंगों का संग्रहालय है. यह संग्रहालच भारत के पहले तितली संरक्षण का काम करने वाले प्रसिद्ध फ्रेडरिक स्मेटाचेक सीनियर और उनके बेटे पीटर स्मेटाचेक का है. संग्रहालय की खास बात यह है कि यहां मौजूद तितलियों में से कुछ तितलियां विदेशी हैं लेकिन विदेश से ज्यादा भारत में पाई जाती हैं.

बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर के संस्थापक पीटर स्मेटाचेक बताते हैं कि भारत में तितली-कीट-पतंगों पर बहुत बड़ा संसार है. भारत में पाई जाने वाली तितलियों की लगभग 1300 अधिक प्रजातियों में से अकेले भीमताल में लगभग 243 प्रजातियां हैं. इनमें से कुछ तितलियों और पतंगों को अनुसंधान उद्देश्यों के लिए दुनिया के अन्य हिस्सों से लाया गया है.

प्रजातियों को संरक्षित करना मकसद: पीटर स्मेटाचेक बताते हैं कि हमारे देश में तितली-कीट-पतंगों पर बहुत अधिक काम नहीं किया गया है. संग्रहालय का मकसद है कि इन कीट पतंगों के प्रजातियों को संरक्षित करने और उनके विषय में लोगों को जागरूक करना है. बहुत से लोग ऐसे हैं जो अभी भी पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं और पर्यावरण और जीवों को लेकर सजग हैं और लगातार इन विषयों पर अध्ययन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Butterfly Park: तितलियों से है प्यार तो आइए कॉर्बेट पार्क, 150 से ज्यादा प्रजातियां यहां हैं मौजूद

तितलियों पारिस्थितिक तंत्र मजबूत: उन्होंने बताया कि तितलियां स्वस्थ पर्यावरण का सूचक है. वनों की आग और बाहरी शक्तियां इस संतुलन को बिगाड़ने का काम कर रही हैं. संग्रहालय में सहेजी गईं तितलियां हमारे पारिस्थितिक तंत्र का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, परागीकरण में सहायक हैं. तितलियों कि संख्या सीधे तौर पर जैव विविधता की पूरक हैं. जितनी ज्यादा तितलियां हमारे आस-पास होंगी, उतना ही अच्छा और मजबूत हमारा पारिस्थितिक तंत्र होगा.

संग्रहालय में मौजूद तितली की सभी प्रजातियां: उनका कहना है कि भारत की सबसे बड़ी तितली, गोल्डन बर्डविंग ट्राइड्स एकस, इस संग्रह में है. इसके अलावा, भारत की सबसे खूबसूरत तितली और उत्तराखंड की राज्य तितली, कॉमन पीकॉक पैपिलियो बियानोर भी इस संग्रह में है. उन्होंने बताया कि अच्छी बात यह है कि भारत की 1325 से ज्यादा तितली की प्रजातियों में से अभी तक कोई भी लुप्त नहीं हुईं है. सभी अपने सुरक्षित स्थानों पर देखने को मिल रही हैं

रिसर्च सेंटर औपनिवेशिक शैली का बंगला: इसके अलावा, खास बात यह है कि इस रिसर्च सेंटर में दुनिया का सबसे बड़ा कीट अटाकस एटलस, एक्टियास लूना, पारनासियस या स्नो अपोलो के नाम से प्रसिद्ध कीट भी यहां देखने को मिलते हैं. इसके अलावा यहां बिच्छू, बीटल्स व अन्य कीट पतंगों की अच्छी खासी प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी. रिसर्च सेंटर औपनिवेशिक शैली का बंगला आपको अतीत में ले जाएगा और देवदार, बांज के जंगलों से घिरे इस बंगले के चारों ओर घूमते वन्यजीव आपको आसानी से देखने के मिल जाएंगे.

ये भी पढ़ें: तितली पर्यटन की नैनीताल से होगी शुरुआत, युवाओं को मिलेगा रोजगार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.