नैनीतालः नैनी झील के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुकी बिग हेड और कॉमन कार्प मछलियों को निकालने का काम शुरू हो गया है. झील में 60 फीसदी के आस पास कॉमन कार्प और बिग हेड मछलियां हैं, जो नैनीताल के अस्तित्व के खतरनाक बने हुए हैं. ये मछलियां भोजन की तलाश में झील में निबलिंग यानी खुदाई कर रही थी. जिसका खुलासा पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया था. ऐसे में अब इन मछलियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए उन्हें निकालने का काम शुरू कर दिया गया है.
नैनीताल लेक एरिएशन के सुपरवाइजर आनंद सिंह कोरंगा की मानें तो नैनी झील में करीब 60 फीसदी कॉमन कार्प और बिग हेड मछलियां हैं, जो नैनी झील के अस्तित्व पर खतरा पैदा कर रही हैं. जिन्हें अब झील से निकालने का काम किया जा रहा है. झील से इन मछलियों को निकालने का काम आगामी 11 सितंबर तक चलेगा. नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण ने झील से मछलियां निकालने के लिए रुद्रपुर की एक संस्था को 26 लाख 45 हजार रुपए में ठेका दिया है. जो इस दौरान नैनी झील में एक किलो से ज्यादा की वजन वाली बिग हेड और कॉमन कार्प मछलियों को निकालने का काम करेगी.
झील की पारिस्थितिकी तंत्र को नियंत्रित करने की बजाय खतरा पैदा करने लगी मछलियांः बता दें कि नैनी झील के पारिस्थितिकी तंत्र को नियंत्रित करने, झील की तलहटी में बनी गाद को खत्म किए जाने और झील के भीतर ऑक्सीजन की आपूर्ति किए जाने को लेकर करीब दो दशक पहले झील में कॉमन कार्प एवं बिग हेड प्रजाति की मछलियों को डाला गया था. झील में डालने के कुछ समय बाद ही इन मछलियों के प्रजनन में तेजी आई. जो नैनी झील के लिए घातक साबित होने लगी.
इनकी संख्या झील में इतनी तेजी से बढ़ी कि जिस पर काबू करना मुश्किल हो गया. मछलियों की संख्या को देखते हुए पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया. जिसमें कई खुलासे हुए. जिसने सबकी आंखें खोल दी. लिहाजा, झील से कॉमन कार्प और बिग हेड प्रजातियों की मछलियों को बाहर निकालने का फैसला लिया गया. वैज्ञानिकों के अध्ययन के बाद अब झील से मछलियों को बाहर निकालने का काम शुरू हो गया है.
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झील पर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने मछलियों को माना था खतरनाकः पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कॉमन कार्प मछली भोजन की तलाश में नैनी झील की सुरक्षा दीवारों को खोदती हैं. जो नैनी झील की संरचना और झील किनारे हो रहे भूस्खलन का प्रमुख कारण है. कॉमन कार्प प्रजाति की वजह से नैनी झील में कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस भी बढ़ रहा है. जो कि झील की सेहत के लिए ठीक नहीं है.
साल 2008 में भी नैनी झील से निकाली गई थी मछलियांः नैनी झील के लिए खतरनाक साबित हो रही कॉमन कार्प मछलियों को साल 2008 में भी निकालने का काम किया गया था. करीब एक हफ्ते तक चले अभियान के बाद इसे रोक दिया गया. अब एक बार फिर से झील को सुरक्षित रखने को लेकर कॉमन कार्प और बिग हेड प्रजाति की मछलियों को झील से निकालने का अभियान शुरू कर दिया गया है.
श्रीलंका में पाई जाती है कॉमन कार्पः कॉमन कार्प मूल रूप से श्रीलंका में पाई जाने वाली मछली की प्रजाति है, जो कई साल पहले नैनी झील के पारिस्थितिकी तंत्र को नियंत्रित करने के लिए मत्स्य विभाग ने यहां डाली थी, लेकिन कॉमन कार्प नैनी झील के संरक्षण और संवर्धन के लिए उपयुक्त साबित नहीं हुई. इन मछलियों की उपलब्धता के चलते झील और शहर के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने लगा. जिसे देखते हुए अब कॉमन कार्प प्रजाति की मछली को झील से निकाला जा रहा है.
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