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भोजन माताओं का प्रदर्शन, मानदेय और नियमितीकरण की उठाई मांग - भोजन माताओं ने की वेतन की मांग

कुमाऊं मंडल के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली भोजन माताओं ने प्रदर्शन किया. ये लोग मानदेय देने और नियमितीकरण की मांग कर रही थीं.

haldwani bhojan mata protest
भोजन माताओं का प्रदर्शन.
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Published : Feb 8, 2021, 2:02 PM IST

हल्द्वानी: सोमवार से प्रदेश के कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के स्कूल खुल गए हैं. भोजन माताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कुमाऊं मंडल के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली भोजन माताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए रविवार को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में धरना-प्रदर्शन करते हुए प्रदेश सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

इस दौरान भोजन माताओं ने कहा कि पिछले कई सालों से वो सरकारी स्कूलों के बच्चों को दोपहर का भोजन बनाकर खिला रही हैं. सरकार की ओर से मानदेय के तौर पर कई सालों से मात्र 2000 रुपये दिए जा रहे हैं. ऐसे में महंगाई के इस दौर में 2000 रुपये से कुछ भी नहीं हो पा रहा है. वे शिक्षकों के बराबर काम कर रही हैं. उसके बावजूद भी केवल उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.

यह भी पढे़ं-देहरादून: पुलिस ने लूट के दो आरोपियों को भेजा जेल

भोजन माताओं का कहना है कि कई राज्यों में भोजन माताओं को मानदेय के तौर पर 10 से 20 हजार रुपये महीने दिए जा रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड सरकार केवल 2000 रुपये महीना मानदेय दे रही है. भोजन माताओं ने सरकार से मांग की है कि उनके मानदेय को 15,000 रुपये प्रति महीना और नौकरी नियमित की जाए. भोजन माताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो कार्य बहिष्कार कर आंदोलन शुरू किया जाएगा.

हल्द्वानी: सोमवार से प्रदेश के कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के स्कूल खुल गए हैं. भोजन माताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कुमाऊं मंडल के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली भोजन माताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए रविवार को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में धरना-प्रदर्शन करते हुए प्रदेश सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

इस दौरान भोजन माताओं ने कहा कि पिछले कई सालों से वो सरकारी स्कूलों के बच्चों को दोपहर का भोजन बनाकर खिला रही हैं. सरकार की ओर से मानदेय के तौर पर कई सालों से मात्र 2000 रुपये दिए जा रहे हैं. ऐसे में महंगाई के इस दौर में 2000 रुपये से कुछ भी नहीं हो पा रहा है. वे शिक्षकों के बराबर काम कर रही हैं. उसके बावजूद भी केवल उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.

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भोजन माताओं का कहना है कि कई राज्यों में भोजन माताओं को मानदेय के तौर पर 10 से 20 हजार रुपये महीने दिए जा रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड सरकार केवल 2000 रुपये महीना मानदेय दे रही है. भोजन माताओं ने सरकार से मांग की है कि उनके मानदेय को 15,000 रुपये प्रति महीना और नौकरी नियमित की जाए. भोजन माताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो कार्य बहिष्कार कर आंदोलन शुरू किया जाएगा.

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