नैनीताल: प्रदेश में भोजन माताओं ने राज्य सरकार पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. इस कारण नाराज भोजन माताओं ने 11 नवंबर को नैनीताल में मुख्यमंत्री के सचिव और कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला के कार्यालय का घेराव करने की बात कही है. साथ ही मांग पूरी न होने पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.
भोजन माताओं ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी उज्जवला गैस योजना केवल नाम मात्र की योजना है. इसका फायदा भोजन माताओं को नहीं दिया जा रहा है, जिस वजह से 868 भोजन माता आज भी लकड़ियों पर खाना बनाने को मजबूर हैं. इस कारण से भोजन माताओं को सांस समेत आंख की बीमारी हो रही हैं.
वहीं, भोजन माताओं ने खाना बनाने के लिए सरकार द्वारा लकड़ियां तक मुहैया न कराने की बात कही है. उन्होंने बताया कि वो खुद जंगल जाकर लकड़ियां लाती हैं, जिससे उनकी जान पर जानवरों से खतरा मंडराता रहता है.
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इस दौरान भोजन माताओं ने राज्य सरकार से सामान्य कार्य समान वेतन, उज्जवला गैस कनेक्शन देने, न्यूनतम वेतन 18000 रुपये, प्रसूति अवकाश और सरकारी कर्मचारियों की भांति साल में 14 अवकाश देने समेत 27वें बच्चे पर दूसरी भोजन माता की नियुक्ति करने की मांग की है. इसके साथ ही भोजन माताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करेगी तो वो राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदार पूरी तरह से राज्य सरकार की होगी.