रामनगर: कॉर्बेट पार्क के ढिकाला, बिजलानी, सर्फदुली, झिरना जोनों में लगातार कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड की जा रही है. इस दौरान कैमरे में भालुओं की मूवमेंट देखी गई है. बता दें कि 2008 के बाद कॉर्बेट पार्क में भालुओं की गणना नहीं की गई है. विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों के साथ ही अन्य वन्यजीवों के दीदार के लिए पर्यटक हर साल लाखों की संख्या में पहुंचते हैं. पार्क में बाघ, तेंदुए, हाथी के अलावा पर्यटकों को भालुओं को भी देखने की लालसा रहती है. कई बार पर्यटकों को यहां भालू भी दिख जाते हैं.
बता दें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 2008 के बाद से भालुओं की गणना नहीं की गई है. 2001 में हुई गणना में पार्क में भालुओं की संख्या 65 दर्ज की गई थी. 2003 में ये संख्या बढ़कर 75 हो गई. जबकि 2005 में ये संख्या घटकर 72 पर आ गई. 2008 में एक बार फिर से भालुओं की संख्या 72 से घटकर 60 दर्ज की गई. वहीं, 2008 के बाद से भालुओं की गणना नहीं की गई है.
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला, बिजरानी, सर्फदुली रेंज में लगातार भालुओं के कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड होने से पार्क अधिकारी गदगद नजर आ रहे हैं. साथ ही इनकी संख्या में बढ़ोतरी की भी संभावना जताई जा रही है, लेकिन भालुओं की सही संख्या का तभी पता चल पाएगा, जब इनकी गणना की जाएगी.
वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिम्वाल ने बताया कॉर्बेट में 2 प्रकार के भालू पाए जाते है. एक स्लॉथ भालू है, जो निचले इलाके में पाए जाते हैं. वहीं, हिमालयन ब्लैक बीयर ऊंचे इलाकों में पाए जाते हैं. भालू मुख्य रूप से रात्रिचर और सर्वाहारी प्राणी है. यह जहां कंदमूल, फल, फूल-पत्तियां खाता है. वहीं, मीट भी खाता है. कॉर्बेट में जो भालू पाए जाते हैं, उनका नेचर शिकारी नहीं है. इसका प्रिय भोजन मधुमक्खियों का शहद है.
संजय छिम्वाल का कहना है कि पारिस्थिति तंत्र के लिए भालू बहुत महत्वपूर्ण जीव है. यह प्रकृति का संतुलन बनाने में मदद करता है. कॉर्बेट में कभी-कभी भालू दिखते हैं. इनकी गणना करना बड़ा मुश्किल है. क्योंकि भालू पूरा काला होता है, जिससे इनको पहचाने में मुश्किल होता है. आकार से ही इसकी संख्या का आंकड़ा लगाया जा सकता है. इसके गणना के बाद ही भालुओं की संख्या का सही-सही पता चल पाएगा.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने कहा पार्क के ढिकाला, झिरना, बिजरानी क्षेत्र में लगातार कैमरा ट्रैप में भालू रिकॉर्ड किये गए हैं. उनकी गणना कार्य को लेकर प्रस्ताव उच्च स्तरीय अधिकारियों को भेजा जाएगा. जिसके बाद जैसा आदेश प्राप्त होगा, उसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी.