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Haldwani bandarbada: हल्द्वानी में बंदरबाड़ा बनने का रास्ता साफ, लोगों को वानरों के उत्पात से मिलेगी निजात

गौलापार दानीबंगर में बंदरबाड़ा बनाने की कवायद तेज हो गई है. जिसको लेकर बैठकों के दौर जारी हैं. स्वीकृति मिलने से लोगों और किसानों को बंदरों के आतंक से निजात मिलेगी. बंदरबाड़े में घायल बंदरों का इलाज भी किया जाएगा.

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Published : Feb 6, 2023, 11:32 AM IST

हल्द्वानी में बनेगा बंदरबाड़ा

हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग के गौलापार दानीबंगर में 50 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बनने वाला बंदरबाड़ा और रेस्क्यू सेंटर का रास्ता साफ हो गया है. प्रभागीय वन अधिकारी तराई पूर्वी वन प्रभाग संदीप कुमार ने बताया कि दानीबंगर में बंदरबाड़ा जल्द बनेगा. भारत सरकार व सेंट्रल जू अथॉरिटी की जल्द अनुमति मिलने जा रही है. विभाग और अधिकारियों के बीच कई दौर के बैठक के बाद बंदर बाड़ा की स्वीकृति मिलने जा रही है. जिसके बाद बंदर बाड़े का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि स्वीकृति मिलते ही पहले चरण में बंदरों के लिए एक बाड़ा और रेस्क्यू सेंटर तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बंदर बाड़े में रेस्क्यू किया गए अपंग और आतंक मचान वाले बंदरों को रखा जाएगा. जहां उनका रेस्क्यू टीम द्वारा इलाज भी किया जाएगा. इसके अलावा रेस्क्यू सेंटर में हर साल 10 हजार से अधिक बंदरों के बधियाकरण करने का भी काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बंदर बाड़े के लिए 109 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है.
पढ़ें-सात समंदर पार से नैनीताल पहुंचे विदेशी मेहमान, सुरक्षा के लिए वन विभाग मुस्तैद

पहले चरण में 50 हेक्टेयर में बंदरबाड़ा बनाया जाएगा, जो उत्तराखंड का सबसे बड़ा बंदर बाड़ा होगा. विभाग के मुताबिक, पांच-पांच हेक्टेयर के 10 बंदर बाड़े बनाए जाएंगे. इन बाड़ों को बंदरों के लिए प्राकृतिक स्वरूप देने की भी कोशिश रहेगी. बाड़ों में कोई बंदर बीमार पड़ जाता है, तो उसके इलाज की सुविधा भी होगी. दो हेक्टेयर एरिया में बीमार बंदरों का इलाज करने के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा. साथ ही पशु चिकित्सक, स्टाफ के लिए आवास भी बनाया जाएगा. बंदरबाड़े का शिलान्यास 27 जून 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सर्किट हाउस में किया था.
पढ़ें-हल्द्वानी के कई गांवों में हाथियों की दस्तक से ग्रामीण खौफजदा, रौंद रहे खड़ी फसल

गौरतलब है कि उत्तराखंड में बंदरों का आतंक इतना है कि फसलों के साथ-साथ बंदर इंसानों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. प्रदेश का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा जहां बंदरों के उत्पात से जनजीवन त्रस्त न हो. शहर क्या गांव क्या, सभी जगह बंदर खेती-किसानी को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं. वहीं भगाने पर इंसानों पर हमले भी कर रहे हैं. पर्यटक व धार्मिक स्थलों पर भी बंदरों की भरमार है. बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में रेस्क्यू सेंटर में होने वाला बधियाकरण बंदरों की संख्या पर लगाम लगाएगा.

हल्द्वानी में बनेगा बंदरबाड़ा

हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग के गौलापार दानीबंगर में 50 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बनने वाला बंदरबाड़ा और रेस्क्यू सेंटर का रास्ता साफ हो गया है. प्रभागीय वन अधिकारी तराई पूर्वी वन प्रभाग संदीप कुमार ने बताया कि दानीबंगर में बंदरबाड़ा जल्द बनेगा. भारत सरकार व सेंट्रल जू अथॉरिटी की जल्द अनुमति मिलने जा रही है. विभाग और अधिकारियों के बीच कई दौर के बैठक के बाद बंदर बाड़ा की स्वीकृति मिलने जा रही है. जिसके बाद बंदर बाड़े का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि स्वीकृति मिलते ही पहले चरण में बंदरों के लिए एक बाड़ा और रेस्क्यू सेंटर तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बंदर बाड़े में रेस्क्यू किया गए अपंग और आतंक मचान वाले बंदरों को रखा जाएगा. जहां उनका रेस्क्यू टीम द्वारा इलाज भी किया जाएगा. इसके अलावा रेस्क्यू सेंटर में हर साल 10 हजार से अधिक बंदरों के बधियाकरण करने का भी काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बंदर बाड़े के लिए 109 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है.
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पहले चरण में 50 हेक्टेयर में बंदरबाड़ा बनाया जाएगा, जो उत्तराखंड का सबसे बड़ा बंदर बाड़ा होगा. विभाग के मुताबिक, पांच-पांच हेक्टेयर के 10 बंदर बाड़े बनाए जाएंगे. इन बाड़ों को बंदरों के लिए प्राकृतिक स्वरूप देने की भी कोशिश रहेगी. बाड़ों में कोई बंदर बीमार पड़ जाता है, तो उसके इलाज की सुविधा भी होगी. दो हेक्टेयर एरिया में बीमार बंदरों का इलाज करने के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा. साथ ही पशु चिकित्सक, स्टाफ के लिए आवास भी बनाया जाएगा. बंदरबाड़े का शिलान्यास 27 जून 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सर्किट हाउस में किया था.
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गौरतलब है कि उत्तराखंड में बंदरों का आतंक इतना है कि फसलों के साथ-साथ बंदर इंसानों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. प्रदेश का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा जहां बंदरों के उत्पात से जनजीवन त्रस्त न हो. शहर क्या गांव क्या, सभी जगह बंदर खेती-किसानी को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं. वहीं भगाने पर इंसानों पर हमले भी कर रहे हैं. पर्यटक व धार्मिक स्थलों पर भी बंदरों की भरमार है. बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में रेस्क्यू सेंटर में होने वाला बधियाकरण बंदरों की संख्या पर लगाम लगाएगा.

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