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Holika Dahan: होलिका दहन कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा का विधि विधान

होली का खुमार चढ़ चुका है. वहीं होली की तिथि को लेकर इस बार असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है. जिसको लेकर ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने लोगों को होली कैसे मनाएं और होलिका दहन की तिथि को लेकर स्थिति सपष्ट की है.

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Published : Mar 4, 2023, 8:50 AM IST

Updated : Mar 4, 2023, 10:04 AM IST

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

हल्द्वानी: होली के रंग जीवन में खुशियां भर देते हैं. वहीं इस बार होलिका दहन को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. कुछ जगहों पर होलिका दहन 6 मार्च को तो कुछ जगहों पर 7 मार्च को जलाई जा रही है. ज्योतिष के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए 2 दिन का योग बन रहा है.

पर्व का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर होगी और इसका समापन 7 मार्च को शाम 6 बजकर 10 मिनट पर होगी. जिसके चलते पूर्णिमा तिथि इन दोनों दिन रहेगी और सूर्यास्त के समय होलिका दहन का की मान्यता है. लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन तक रहेगी इसलिए कन्फ्यूजन हुआ है. साथ ही अशुभ भद्रा काल भी रहेगा. जिस वजह से होलिका दहन की तिथि में फर्क देखने को मिल रहा है. 6 मार्च को शाम की बेला पर करीब 4:18 से 7 मार्च की सुबह सूर्योदय तक भद्रा रह रहा है.
पढ़ें-Jageshwar Dham Holi: जागेश्वर धाम में चीर बंधन के साथ जमा होली का रंग

पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल: वहीं 6 और 7 मार्च को रात 12.40 से 2 बजे तक भद्रा का पुच्छ काल रहेगा.जिसके चलते कुछ लोग 6 मार्च को तो कुछ लोग 7 मार्च को होलिका पूजन और दहन कर रहे हैं. लेकिन होली धुलंडी 8 मार्च को मनाई जाएगी.सबसे जरूरी बात पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन होना चाहिए. वहीं पूर्णिमा के साथ भद्रा काल में होलिका दहन किया जा सकता है.
पढ़ें-Rishikesh Rafting: होली के दिन ऋषिकेश में नहीं होगी राफ्टिंग, 37 सालों में पहली बार होगा ऐसा, जानिए वजह

होलिका दहन पूजन विधि: होलिका दहन को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है. इस दिन घर की महिलाएं या सदस्य होलिका माता पूजन वाले स्थान में जाए और पूर्व या उत्तर दिशा में मुख विधि विधान से पूजा करें, होलिका पूजा के बाद होली की परिक्रमा करनी चाहिए जिससे कि परिवार में सुख शांति आती है. होलिका दहन करने के पीछे शास्त्रों में कई पौराणिक कथा दी गई है, लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

हल्द्वानी: होली के रंग जीवन में खुशियां भर देते हैं. वहीं इस बार होलिका दहन को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. कुछ जगहों पर होलिका दहन 6 मार्च को तो कुछ जगहों पर 7 मार्च को जलाई जा रही है. ज्योतिष के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए 2 दिन का योग बन रहा है.

पर्व का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर होगी और इसका समापन 7 मार्च को शाम 6 बजकर 10 मिनट पर होगी. जिसके चलते पूर्णिमा तिथि इन दोनों दिन रहेगी और सूर्यास्त के समय होलिका दहन का की मान्यता है. लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन तक रहेगी इसलिए कन्फ्यूजन हुआ है. साथ ही अशुभ भद्रा काल भी रहेगा. जिस वजह से होलिका दहन की तिथि में फर्क देखने को मिल रहा है. 6 मार्च को शाम की बेला पर करीब 4:18 से 7 मार्च की सुबह सूर्योदय तक भद्रा रह रहा है.
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पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल: वहीं 6 और 7 मार्च को रात 12.40 से 2 बजे तक भद्रा का पुच्छ काल रहेगा.जिसके चलते कुछ लोग 6 मार्च को तो कुछ लोग 7 मार्च को होलिका पूजन और दहन कर रहे हैं. लेकिन होली धुलंडी 8 मार्च को मनाई जाएगी.सबसे जरूरी बात पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन होना चाहिए. वहीं पूर्णिमा के साथ भद्रा काल में होलिका दहन किया जा सकता है.
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होलिका दहन पूजन विधि: होलिका दहन को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है. इस दिन घर की महिलाएं या सदस्य होलिका माता पूजन वाले स्थान में जाए और पूर्व या उत्तर दिशा में मुख विधि विधान से पूजा करें, होलिका पूजा के बाद होली की परिक्रमा करनी चाहिए जिससे कि परिवार में सुख शांति आती है. होलिका दहन करने के पीछे शास्त्रों में कई पौराणिक कथा दी गई है, लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है.

Last Updated : Mar 4, 2023, 10:04 AM IST
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