हल्द्वानी: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो चुकी है. नवरात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है. अष्टमी और नवमी के दिन लोग व्रत का परायण करते हैं. साथ ही लोग अपने घरों में कन्या पूजन भी करते हैं. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. वहीं इस साल रामनवमी पर खास योग बन रहा है, उससे एक दिन पूर्व दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी.
मान्यता है कि महाअष्टमी की पूजा करने से 9 दिनों के व्रत के बराबर फल की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक नवरात्रि की महा अष्टमी 29 मार्च बुधवार को पड़ रही है. अष्टमी तिथि की शुरुआत 28 मार्च मंगलवार को शाम 7 बजकर 5 मिनट पर होगी और 29 मार्च को शाम 9 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी. जबकि नवमी तिथि 29 मार्च को रात 9 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगी और 30 मार्च को रात 11 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. महानवमी को भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. नवरात्रि पूजन और व्रत कन्या पूजन के बगैर नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है. कई लोग अष्टमी जबकि कई लोग लोगों द्वारा नवमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान है. इस दिन माता दुर्गा के नौ रूपों में नौ कन्याओं को पूजा जाता है.
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कन्या पूजन के दौरान 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को सम्मान के साथ भोजन कराएं उनके पैर पखारें. भरपेट भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें. जिसके बाद उन्हें उन्हें ससम्मान विदा करें. फिर प्रसाद खाकर व्रत का परायण करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राम नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को राम जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस साल रामनवमी काफी खास योग में आ रही है उससे एक दिन पूर्व दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी. रामनवमी पर भी इस बार विशेष योगों का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य, अमृत सिद्धि व रवि योग बन रहे हैं. श्रीराम के जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में रहेगा. मान्यता है कि जो भी भक्त श्रीराम के जन्मोत्सव को श्रद्धा पूर्वक मनाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.