हल्द्वानी: इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरू हो रही है. धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का बड़ा ही महत्व है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और साधना के लिए काफी अहम माना जाता है और तंत्र-मंत्र के साधक विशेष रूप से साधना करते हैं.
पर्व पर बन रहा दुर्लभ योग: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो रहा है. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस बार 19 जून से आरंभ हो रही है और 27 नवंबर को समाप्त होगी. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिनों की होगी इस दौरान 25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है,जबकि पूरे गुप्त नवरात्रि के दौरान 4 रवि योग का संयोग बना है, जो बेहद दुर्लभ है.
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ऐसे करें मां की उपासना: सुबह उठकर स्नान पश्चात भक्त नवरात्रि व्रत का संकल्प ले माता की चौकी सजाकर पूजा सामग्री साथ रखी जाती है. अखंड ज्योति जलाते हैं. माता की आरती की जाती है और नवरात्रि कथा का पाठ करके पूजा संपन्न की जाती है.पूजा की सामग्री में फूल, फल, आम के पत्ते, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, पिसी हल्दी, रोली, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जावित्री, नारियल, गंगाजल इत्यादि शामिल करें.
जातक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते है जिसमे मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिके, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला का विधि विधान से पूजा कर तंत्र साधना की जाती है.
पर्व की धार्मिक मान्यता: मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि काल के समय भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं. तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं. उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है. जिनकी विपत्तियों से बचने के लिए गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की उपासना की जाती है.