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हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी में बदहाल हैं व्यवस्थाएं, किताबों को चाट रहे दीमक - Government Library of Badhal Haldwani

हल्द्वानी में ज्ञान का मंदिर बदहाल स्थिति में है. यहां के शासकीय पुस्तकालय के किताबों को दीमक चाट रहे हैं. शासकीय पुस्तकालय का भवन भी जर्जर है. कभी भी भवन का हिस्सा टूट कर गिर सकता है.

Haldwani Government Library
हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी में बदहाल हैं व्यवस्थाएं
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Published : Aug 6, 2023, 8:13 PM IST

Updated : Aug 6, 2023, 9:48 PM IST

हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी में बदहाल हैं व्यवस्थाएं

हल्द्वानी: एक दौर था जब ज्ञान अर्जित करने के लिए लोग पुस्तकालय पहुंचकर किताबों से ज्ञान अर्जित कई प्रतियोगी परीक्षा में मुकाम हासिल करते थे. हल्द्वानी शहर के बीचों-बीच बना 35 साल पुराना शासकीय पुस्तकालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि पुस्तकालय में किताबें रखने तक की जगह नहीं है. पुस्तकालय का भवन जर्जर हालत में है. छत से पानी टपक रहा है. यहां तक कि किताबों की सुरक्षा अलमारी के बजाय पॉलिथीन से ढककर की जा रही है.

Haldwani Government Library
हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी

यही नहीं पुस्तकालय की व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने और किताबें नहीं होने के चलते पाठक किताबें पढ़ने यहां नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किताबों को धीरे-धीरे अब दिमाग भी चाट रहे हैं. बताया जा रहा है कि पिछले चार सालों से पुस्तकालय में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का किताबें भी नहीं आई हैं. ऐसे में शासकीय पुस्तकालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पाठक प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें पढ़ने आते तो हैं लेकिन उन्हें वह उपलब्ध नहीं होती है. जिसके कारण मजबूरन पाठक प्राइवेट पुस्तकालय की ओर रुख करते हैं.

Haldwani Government Library
हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी में बदहाल हैं व्यवस्थाएं

पढे़ं- राहुल गांधी के उत्तराखंड दौरे पर कांग्रेस की कल महत्वपूर्ण बैठक, प्रभारी-विधायक होंगे शामिल

पुस्तकालय अध्यक्ष किरण जोशी ने बताया 1988 में कालाढूंगी रोड जीजीआइसी में शासकीय लाइब्रेरी खोली गई. 35 साल बाद भी शासकीय पुस्तकालय एक कमरे के खंडहर भवन में चल रहा है. पुस्तकालय के लिए भूमि भी उपलब्ध हुई, लेकिन आज तक उस भूमि पर पुस्तकालय के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगी. लाइब्रेरी में करीब सात हजार किताबें हैं. वर्तमान समय में पुस्तकालय से 78 पाठक ही जुड़े हुए हैं. पुस्तकालय में बैठने के लिए केवल 5 लोगों की व्यवस्था है. भवन की हालत इतना जर्जर है कि कभी भी भवन का हिस्सा टूट कर गिर सकता है.

Haldwani Government Library
आलमारी में रखी किताबें

पढे़ं- देहरादून के 100 वार्डों में खराब पड़ी एलईडी स्ट्रीट लाइटें, नहीं हो रही मरम्मत, खड़े हुए सवाल

पुस्तकालय में बैठने की व्यवस्था नहीं होने के कारण पाठक यहां से किताब घर ले जाकर पढ़ते हैं. पुस्तकालय में करीब तीन हजार किताबें अलमारी में लगी हैं, लेकिन अन्य किताबों के रखने की व्यवस्था नहीं है. खुले में रखी किताबों का भीगने का डर है. ऐसे में किताबों को पॉलिथीन से ढककर रखा गया है. जिससे बरसात में किताबें खराब न हो. यही नहीं पुस्तकालय में करीब 4 साल से कोई किताबें भी नहीं आई है.शिक्षा विभाग के अधीन चलने वाला शासकीय पुस्तकालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. शिक्षा विभाग छात्रों को शिक्षा दिलाने के बड़े-बड़े दावे तो करता है लेकिन शिक्षा विभाग का दावा हल्द्वानी शासकीय पुस्तकालय से फेल नजर आ रहा है.

हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी में बदहाल हैं व्यवस्थाएं

हल्द्वानी: एक दौर था जब ज्ञान अर्जित करने के लिए लोग पुस्तकालय पहुंचकर किताबों से ज्ञान अर्जित कई प्रतियोगी परीक्षा में मुकाम हासिल करते थे. हल्द्वानी शहर के बीचों-बीच बना 35 साल पुराना शासकीय पुस्तकालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि पुस्तकालय में किताबें रखने तक की जगह नहीं है. पुस्तकालय का भवन जर्जर हालत में है. छत से पानी टपक रहा है. यहां तक कि किताबों की सुरक्षा अलमारी के बजाय पॉलिथीन से ढककर की जा रही है.

Haldwani Government Library
हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी

यही नहीं पुस्तकालय की व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने और किताबें नहीं होने के चलते पाठक किताबें पढ़ने यहां नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किताबों को धीरे-धीरे अब दिमाग भी चाट रहे हैं. बताया जा रहा है कि पिछले चार सालों से पुस्तकालय में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का किताबें भी नहीं आई हैं. ऐसे में शासकीय पुस्तकालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पाठक प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें पढ़ने आते तो हैं लेकिन उन्हें वह उपलब्ध नहीं होती है. जिसके कारण मजबूरन पाठक प्राइवेट पुस्तकालय की ओर रुख करते हैं.

Haldwani Government Library
हल्द्वानी की शासकीय लाइब्रेरी में बदहाल हैं व्यवस्थाएं

पढे़ं- राहुल गांधी के उत्तराखंड दौरे पर कांग्रेस की कल महत्वपूर्ण बैठक, प्रभारी-विधायक होंगे शामिल

पुस्तकालय अध्यक्ष किरण जोशी ने बताया 1988 में कालाढूंगी रोड जीजीआइसी में शासकीय लाइब्रेरी खोली गई. 35 साल बाद भी शासकीय पुस्तकालय एक कमरे के खंडहर भवन में चल रहा है. पुस्तकालय के लिए भूमि भी उपलब्ध हुई, लेकिन आज तक उस भूमि पर पुस्तकालय के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगी. लाइब्रेरी में करीब सात हजार किताबें हैं. वर्तमान समय में पुस्तकालय से 78 पाठक ही जुड़े हुए हैं. पुस्तकालय में बैठने के लिए केवल 5 लोगों की व्यवस्था है. भवन की हालत इतना जर्जर है कि कभी भी भवन का हिस्सा टूट कर गिर सकता है.

Haldwani Government Library
आलमारी में रखी किताबें

पढे़ं- देहरादून के 100 वार्डों में खराब पड़ी एलईडी स्ट्रीट लाइटें, नहीं हो रही मरम्मत, खड़े हुए सवाल

पुस्तकालय में बैठने की व्यवस्था नहीं होने के कारण पाठक यहां से किताब घर ले जाकर पढ़ते हैं. पुस्तकालय में करीब तीन हजार किताबें अलमारी में लगी हैं, लेकिन अन्य किताबों के रखने की व्यवस्था नहीं है. खुले में रखी किताबों का भीगने का डर है. ऐसे में किताबों को पॉलिथीन से ढककर रखा गया है. जिससे बरसात में किताबें खराब न हो. यही नहीं पुस्तकालय में करीब 4 साल से कोई किताबें भी नहीं आई है.शिक्षा विभाग के अधीन चलने वाला शासकीय पुस्तकालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. शिक्षा विभाग छात्रों को शिक्षा दिलाने के बड़े-बड़े दावे तो करता है लेकिन शिक्षा विभाग का दावा हल्द्वानी शासकीय पुस्तकालय से फेल नजर आ रहा है.

Last Updated : Aug 6, 2023, 9:48 PM IST
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