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कृषि निदेशक ने पराली निस्तारण के बताए उपाय, किसानों ने भी रखी ये मांग - रामनगर पराली गलाने की जानकारी

कृषि निदेशक एपी श्रीवास्तव ने किसानों को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम से पराली प्रबंधन की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एसएमएस से पराली बारीकी से कट जाती है. जो आसानी से गल जाती है.

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पराली प्रबंधन
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Published : Oct 4, 2020, 5:31 PM IST

रामनगरः हर साल अक्टूबर-नवंबर महीने में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है. जिससे दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्मॉग की समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे में सांस लेने की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही वायु प्रदूषण के साथ विजिबिलिटी भी काफी कम हो जाती है. जिसे देखते हुए रामनगर में कृषि निदेशक एपी श्रीवास्तव ने किसानों को एसएमएस की जानकारी दी. इस मशीन के जरिए किसान पराली को आसानी से खेतों में ही निस्तारण कर सकेंगे.

पराली प्रबंधन की जानकारी.

दरअसल, अक्टूबर के महीने में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में धान की फसल की कटाई के बाद उसकी पराली को जलाया जाता है. जिससे स्मॉग की समस्या देखने को मिलती है. इसका सारा दोष भी पंजाब-हरियाणा के किसानों पर डाल दिया जाता है. उत्तराखंड में भी पराई का उचित निस्तारण नहीं हो पाता है. कई जगहों पर किसान पराली को जला देते हैं. किसानों को पराई जलाने की समस्या को दूर करने को लेकर कृषि निदेशक एपी श्रीवास्तव रेहड़ के कल्लूवाला गांव पहुंचे. जहां उन्होंने किसानों को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) की जानकारी दी.

ये भी पढ़ेंः सर्दियों से पहले मवेशियों के लिए चारापत्ती जमा कर रहे ग्रामीण, संरक्षित करने की ये कला है बेजोड़

कृषि निदेशक श्रीवास्तव ने बताया कि एसएमएस को कैंपेन मशीन में लगाया गया है. जिससे धान की कटाई के समय पराली को एसएमएस के जरिए बारीकी से काट दी जाती है. जो आसानी से खेतों में ही गल जाती है. जिसके बाद खेत की जुताई आराम से हो जाती है. इससे किसानों को पराली जलाने की समस्या नहीं होती है, क्योंकि पराई काफी बारीकी से कट जाती है. उन्हें इसे इकठ्ठा कर जलाने की आवश्यकता नहीं होती है.

वहीं, किसान मलकीत का कहना है कि कृषि विभाग को कैंपेन मशीन से कटे धान और पराली को भी खरीदना चाहिए. अगर बाद में किसानों को मवेशियों के लिए चारे की जरुरत पड़े तो किसान फार्म भरकर पराली को खरीद सके. ऐसे में उनकी पराली उन्हीं के मवेशियों के चारे की काम आएगी. साथ ही किसान भी पराली को नहीं जलाएंगे. इस तरह का कई प्रावधान कृषि विभाग को करना चाहिए.

रामनगरः हर साल अक्टूबर-नवंबर महीने में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है. जिससे दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्मॉग की समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे में सांस लेने की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही वायु प्रदूषण के साथ विजिबिलिटी भी काफी कम हो जाती है. जिसे देखते हुए रामनगर में कृषि निदेशक एपी श्रीवास्तव ने किसानों को एसएमएस की जानकारी दी. इस मशीन के जरिए किसान पराली को आसानी से खेतों में ही निस्तारण कर सकेंगे.

पराली प्रबंधन की जानकारी.

दरअसल, अक्टूबर के महीने में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में धान की फसल की कटाई के बाद उसकी पराली को जलाया जाता है. जिससे स्मॉग की समस्या देखने को मिलती है. इसका सारा दोष भी पंजाब-हरियाणा के किसानों पर डाल दिया जाता है. उत्तराखंड में भी पराई का उचित निस्तारण नहीं हो पाता है. कई जगहों पर किसान पराली को जला देते हैं. किसानों को पराई जलाने की समस्या को दूर करने को लेकर कृषि निदेशक एपी श्रीवास्तव रेहड़ के कल्लूवाला गांव पहुंचे. जहां उन्होंने किसानों को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) की जानकारी दी.

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कृषि निदेशक श्रीवास्तव ने बताया कि एसएमएस को कैंपेन मशीन में लगाया गया है. जिससे धान की कटाई के समय पराली को एसएमएस के जरिए बारीकी से काट दी जाती है. जो आसानी से खेतों में ही गल जाती है. जिसके बाद खेत की जुताई आराम से हो जाती है. इससे किसानों को पराली जलाने की समस्या नहीं होती है, क्योंकि पराई काफी बारीकी से कट जाती है. उन्हें इसे इकठ्ठा कर जलाने की आवश्यकता नहीं होती है.

वहीं, किसान मलकीत का कहना है कि कृषि विभाग को कैंपेन मशीन से कटे धान और पराली को भी खरीदना चाहिए. अगर बाद में किसानों को मवेशियों के लिए चारे की जरुरत पड़े तो किसान फार्म भरकर पराली को खरीद सके. ऐसे में उनकी पराली उन्हीं के मवेशियों के चारे की काम आएगी. साथ ही किसान भी पराली को नहीं जलाएंगे. इस तरह का कई प्रावधान कृषि विभाग को करना चाहिए.

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