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बना रहेगा देवस्थानम् बोर्ड, नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वामी की याचिका की खारिज - सुब्रमण्यम स्वामी

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हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत
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Published : Jul 21, 2020, 10:39 AM IST

Updated : Jul 26, 2020, 4:58 PM IST

10:35 July 21

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने देवस्थानम् बोर्ड को माना सही

नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वामी की याचिका की खारिज.

नैनीताल: बदरी-केदारनाथ मंदिर समेत 51 अन्य मंदिरों को देवस्थानम् बोर्ड के तहत शामिल करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने देवस्थानम बोर्ड को सही माना है. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

बता दें, उत्तराखंड सरकार ने बदरी-केदारनाथ मंदिर समेत 51 मंदिरों को शामिल करते हुए देवस्थानम् बोर्ड का गठन का गठन किया है, जिसका तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों ने विरोध किया था और देवस्थानम् बोर्ड को खारिज करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट में इस प्रकरण पर 29 जून से रोजाना सुनवाई हो रही थी. सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश सरकार की ओर से चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम् बोर्ड एक्ट असंवैधानिक है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि चारधाम आमजन का मंदिर है. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं किए गए कि आखिर किस धार्मिक संस्था द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है. एक्ट में व्यवस्था है कि केवल हिंदू धर्म के लोग ही चारधाम के जुड़े मैनेजमेंट कार्य देखेंगे. ऐसे में किसी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता को ठेस नहीं पहुंचती है. कोर्ट ने साफ कहा है कि मंदिर का स्वामित्व मंदिरों के पास ही रहेगा और सरकार केवल मंदिरों का मैनेजमेंट का काम करेगी और मंदिर में अधिकार बोर्ड का ही रहेगा.

ये भी पढ़ें: देवस्थानम बोर्ड पर HC के फैसले के बाद बोले CM, लोगों के फायदे के लिए बनाया

सुब्रमण्यम स्वामी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम असंवैधानिक है. याचिका में यह भी कहा गया कि देवस्थानम् बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम समेत 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेना संविधान के अनुच्छेद 25 एवं 26 का उल्लंघन है. स्वामी की याचिका के बाद देहरादून की रूलक संस्था ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का विरोध किया और देवस्थानम् बोर्ड को सही बताया.

ये है देवस्थानम बोर्ड

चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन अधिनियम को राजभवन की मंजूरी मिलने के बाद चारधाम देवस्थानम् बोर्ड अस्तित्व में आ गया है. मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.

10:35 July 21

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने देवस्थानम् बोर्ड को माना सही

नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वामी की याचिका की खारिज.

नैनीताल: बदरी-केदारनाथ मंदिर समेत 51 अन्य मंदिरों को देवस्थानम् बोर्ड के तहत शामिल करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने देवस्थानम बोर्ड को सही माना है. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

बता दें, उत्तराखंड सरकार ने बदरी-केदारनाथ मंदिर समेत 51 मंदिरों को शामिल करते हुए देवस्थानम् बोर्ड का गठन का गठन किया है, जिसका तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों ने विरोध किया था और देवस्थानम् बोर्ड को खारिज करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट में इस प्रकरण पर 29 जून से रोजाना सुनवाई हो रही थी. सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश सरकार की ओर से चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम् बोर्ड एक्ट असंवैधानिक है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि चारधाम आमजन का मंदिर है. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं किए गए कि आखिर किस धार्मिक संस्था द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है. एक्ट में व्यवस्था है कि केवल हिंदू धर्म के लोग ही चारधाम के जुड़े मैनेजमेंट कार्य देखेंगे. ऐसे में किसी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता को ठेस नहीं पहुंचती है. कोर्ट ने साफ कहा है कि मंदिर का स्वामित्व मंदिरों के पास ही रहेगा और सरकार केवल मंदिरों का मैनेजमेंट का काम करेगी और मंदिर में अधिकार बोर्ड का ही रहेगा.

ये भी पढ़ें: देवस्थानम बोर्ड पर HC के फैसले के बाद बोले CM, लोगों के फायदे के लिए बनाया

सुब्रमण्यम स्वामी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम असंवैधानिक है. याचिका में यह भी कहा गया कि देवस्थानम् बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम समेत 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेना संविधान के अनुच्छेद 25 एवं 26 का उल्लंघन है. स्वामी की याचिका के बाद देहरादून की रूलक संस्था ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका का विरोध किया और देवस्थानम् बोर्ड को सही बताया.

ये है देवस्थानम बोर्ड

चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन अधिनियम को राजभवन की मंजूरी मिलने के बाद चारधाम देवस्थानम् बोर्ड अस्तित्व में आ गया है. मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.

Last Updated : Jul 26, 2020, 4:58 PM IST
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