हल्द्वानी: तराई के जंगलों में ट्रेन से हाथियों की कटकर लगातार हो रही मौत की घटनाओं (death of elephants) के बाद वन विभाग नींद से जागा है. वन विभाग अब जंगलों से गुजरने वाली ट्रेन की स्पीड को स्पीड गन के माध्यम से नापने का काम करेगा. जिससे कि रेलवे के खिलाफ आगे की कार्रवाई कर सके.
जंगल में ट्रेनों की स्पीड होगी 20 किमी प्रति घंटा: डीएफओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग (DFO Terai Central Forest Division) वैभव कुमार ने बताया कि ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत की हो रही घटनाओं के बाद रेलवे प्रशासन से कई दौर की बैठक हो चुकी है. जिसमें ट्रेनों की गति को लेकर आदेश भी दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि जंगलों से गुजरने वाली ट्रेनों के लिए 20 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन ट्रेन ड्राइवर द्वारा अधिक स्पीड से चलाने के कारण अक्सर घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में अब वन विभाग जंगलों से गुजरने वाली ट्रेनों की गति को स्पीड गन के माध्यम से निगरानी करने का काम करेगा. जिससे इसकी सूचना रेलवे के लोको चालक को दे सके.
पढ़ें-उत्तराखंड: हाथियों के आतंक से ग्रामीणों में दहशत, खाई खोदने की मांग
ट्रेनों की रफ्तार नापने के लिए स्पीड गन: उन्होंने कहा कि स्पीड नियंत्रण रखने के लिए रेलवे को पत्र लिखा गया है. साथ ही ट्रेन की स्पीड की निगरानी वन विभाग भी करेगा. इसके लिए स्पीड गन खरीदी गयी है. उन्होंने बताया कि 20 दिसंबर को ट्रेन से टकराकर हाथी के बच्चे की मौत के मामले में वन विभाग ने रेलवे के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन जितनी भी ट्रेन उस रात वहां से गुजरी हैं, उनके संबंध में जानकारी मांगी गई है. रेलवे से जानकारी मिलने के बाद ट्रेन के चालक के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी.
पढ़ें-भागो हाथी आ गए... हरिद्वार के बाजार में गजराज की धमक, मची अफरा-तफरी
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति ना हो, इसके लिए रेलवे को निर्देशित किया गया है कि ठंड और कोहरे को देखते हुए जंगलों से गुजरने वाली ट्रेनों की गति पर नियंत्रण रखा जाए. गौरतलब है कि तराई केंद्रीय और तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलों से रेलवे ट्रैक गुजरते हैं. वहां से हाथियों का आवागमन होता है. ट्रेन की चपेट में आने से कई हाथियों की मौत हो चुकी है. लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए वन विभाग और रेलवे प्रशासन इसको लेकर बैठक भी करते हैं. लेकिन ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. जिसके बाद ये कदम उठाया गया है.