रामनगर: अगर मन में विश्वास और लगन हो तो आदमी कुछ भी कर सकता है ये साबित किया है 2008 की एसिड विक्टिम कविता बिष्ट ने जो आज दीये बनाकर कई महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं. कविता बिष्ट पर दिल्ली में कार्य करने के दौरान दो युवकों ने एसिड अटैक किया था, जिसमें उनका पूरा चेहरा और दोनों आंखें जल गई थी. लेकिन कविता ने हिम्मत नहीं हारी और आज कविता बिष्ट का नाम महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर के रूप में लिया जाता है.
पढ़ें- बचाने के लिए रवीश कर रहे प्रयास, ताकि बुझती रहे प्यास
कविता एसिड अटैक की दुर्घटना के बाद रुकी नहीं और उन्होंने एक नए जीवन की शुरुवात की और नेत्रहीन होने के बाद भी कढ़ाई, बुनाई, डिजाइन, सजावटी समान जैसे और कई कार्यों का प्रशिक्षण लिया. इन दिनों कविता रामनगर के जस्सागाजा क्षेत्र में दीपावली की तैयारियों में लगी हैं. जिसमें कविता सजावटी ऐपण के दीये, मालाएं, मोमबत्ती और घरों में सजाने के लिए डिजाइन व ऐपड़ कर बेच रही हैं.
कविता क्षेत्र की कई महिलाओं को भी दीये और मोमबत्तियों का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ रही हैं.कविता ने बताया कि हमारे द्वारा बनाये गए दीपावली के दीयों और मोमबत्तियों के लिए ऑर्डर आना शुरू हो गया है, जो रामनगर से ही नहीं बल्कि दिल्ली, मुंबई और कई शहरों से आ रहा है.
कविता से लगभग 50 से ज्यादा महिलाएं दीये, मोमबत्ती, मालाएं आदि बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं. कविता बिष्ट के कार्यों को देखते हुए पर्यावरण प्रेमी कल्पतरू वृक्ष मित्र के अध्यक्ष अतुल मल्होत्रा कहते हैं कि कविता की हौसला अफजाई को सलाम है. जिन्होंने जीवन में इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी एक नए जीवन की शुरुवात करते हुए आज हिंदुस्तान की कई महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं.