नैनीतालः ब्रह्मांड में छुपे रहस्य को जानने के लिए ब्रिक्स देशों में शामिल 5 में से 3 देश विशेष अध्ययन कर रहे हैं. भारत, दक्षिण अफ्रीका व रूस की साझा परियोजना ब्रह्मांड के विशालकाय ब्लैकहोल व सुपरनोवा समेत तारों के आपस में टकराने व उनके बनने पर अध्ययन कर रहे हैं. वहीं ब्रिक्स देशों द्वारा तारों के कई रहस्य, जो आज भी राज हैं उनके बारे में भी रिसर्च कर रहे हैं, जिससे आज तक रहस्य बने सौरमंडल व आकाशगंगाओं के बारे में जानकारी मिल सके.
एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक शशि भूषण पांडे बताते हैं कि स्पेस साइंस व एस्ट्रोनॉमी के विकास में यूरोप व अमेरिकी देश के मिथक केंद्रित हैं. इस मिथक को तोड़ पाने में ब्रिक्स देश महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इसी वजह से 5 देशों में एक साथ 72 ऑप्टिकल दूरबीन स्थापित किए जाने की योजना बनाई जा रही है.
यह सभी दूरबीन एक मीटर व्यास की होगी. इसके निर्माण में लागत भी कम आएगा. साथ ही इसके रखरखाव में अधिक दिक्कतें नहीं होंगी और इन दूरबीनों के माध्यम से आकाशगंगा, ब्रह्मांड समेत एस्ट्रोनॉमी का गहनता से अध्ययन होगा. वहीं इस प्रयास के बाद एस्ट्रोनॉमी को पर्यटन क्षेत्र से भी जोड़ने का काम किया जा सकता है.
ब्रिक्स देशों में यह सुविधा उपलब्ध हो जाने के बाद अंतरिक्ष के विशाल हिस्सों का अध्ययन हो सकेगा. ब्रह्मांड में छुपे रहस्य भी गहनता से सामने आ सकेंगे. इससे एस्ट्रीराइट्स के हर पल पर निगाह रखी जा सकेगी जो धरती के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं. साथ ही सौरमंडल का भी बारीकियों से अध्ययन हो सकेगा.
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वहीं, शशि भूषण पांडे बताते हैं कि भविष्य में एस्ट्रोनॉमी सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में मजबूती का बड़ा आधार बनेगी. ब्रिक्स देशों ने इस दिशा में संभावनाएं तलाशना शुरू कर दी हैं. दूसरी ओर ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका देशों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति लगभग सामान्य है. संयुक्त राष्ट्र संघ भी ब्रिक्स देशों में आर्थिक पक्ष मजबूत करने के लिए काफी अपेक्षा रखता है और भारत ने भी इस दिशा में संभावनाएं तलाशने शुरू कर दिया है, जिसे एस्ट्रो टूरिज्म का एक हिस्सा भी बनाया जा सकता है.