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180 साल की हुई सरोवर नगरी, अठखेलियां करती लहरें मिटा देती हैं थकान - Nainital ke khoj peter baron ne ke

हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी नैनीताल पहुंचते हैं. नैनीताल से पर्यटक हिमालय और नैनीताल झील का दीदार कर सकते हैं. सैलानी लौटते वक्त यहां की खूबसूरत यादों को अपने जहन में कैद कर ले जाते हैं.

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Published : Nov 18, 2021, 8:55 AM IST

Updated : Nov 18, 2021, 9:35 AM IST

नैनीताल: देश दुनिया में सैर-सपाटे के लिए मशहूर सरोवर नगरी नैनीताल 180 साल का हो गया है. सरोवरी नगरी के जन्मदिन को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. भारत में नैनीताल को लेक डिस्ट्रिक्ट के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी खूबसूरती की दुनिया भर में मिसाल दी जाती है. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी खिंचे चले आते हैं. वहीं सरोवर नगरी का नैसर्गिक सौन्दर्य सैलानियों को रूमानी एहसास कराता है. यहां से लौटते वक्त सैलानी अपने साथ खूबसूरत यादों को ले जाते हैं.

नैनीताल को सरोवर नगरी यूं ही नहीं कहा जाता, 'नैनी' शब्द का अर्थ है आंखें और 'ताल' का अर्थ है झील. नैनीताल की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लाती है. अपनी खूबसूरती के कारण ही सरोवर नगरी साल भर सैलानियों से गुलजार रहती है. जो चारों ओर से प्राकृतिक आकर्षणों से घिरी हुई है. अगर आप घूमने का शौक रखते हैं तो यहां सैर-सपाटे के लिए दर्जनों जगहें हैं, जहां आप प्रकृति का दीदार नजदीकी से कर सकते हैं. वहीं नैनी झील में इठलाती हुई नौकाएं और रंग बिरंगे बोट इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं.

180 साल का हुआ नैनीताल.

पढ़ें- संतान सुख से वंचित लोगों के लिए ये मंदिर है खास, 185 निसंतान दंपति कर रहे 'खड़ा दीया' अनुष्ठान

अन्य पर्यटक स्थल: नैनीझील के आस-पास सातताल, नौकुचियाताल, सरिया ताल, खुर्पाताल, गरुण ताल, भीमताल, सूखा ताल झील भी हैं. जहां जाना सैलानी नहीं भूलते. वहीं पक्षियों का संसार देखने के लिए भी देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं और उनकी चहचहाहट लोगों को मानसिक शांति की अनुभूति कराती है.

सैलानी नैनाताल केव गार्डन, नैना देवी मंदिर और हिमालय दर्शन करना नहीं भूलते हैं. वहीं नैनीताल की चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है. इस चोटी से आप हिमालय और नैनीताल झील का दीदार कर सकते हैं. सैलानी लौटते वक्त यहां की खूबसूरत यादों को अपने जहन में कैद कर ले जाते हैं.

पौराणिक महत्व:बात करें नैनीझील के पौराणिक महत्व की तो नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर पड़ा. जो मां के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. दूसरी मान्यता ये भी है कि इस झील में मानसरोवर झील का पानी आता है. इसलिए नैनीझील के जल को काफी पवित्र माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं.

अब भार नहीं सह सकता ये शहर: पर्यावरणविद् अजय रावत का कहना है जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में नैनीताल शहर की भार सहने की क्षमता खत्म हो चुकी है. जिसके चलते लगातार नैनीताल में भूस्खलन हो रहे हैं. 1993 उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस गंभीर समस्या के निदान व नैनीताल में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नैनीताल में व्यावसायिक निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए थे.

पढ़ें- आंचल डेयरी घर-घर पहुंचाएगा पहाड़ के स्रोतों का पानी, स्थापित करने जा रहा प्लान

नैनीताल की खोज: गौर हो कि सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सरोवर नगरी ने 180 साल पूरे कर लिए हैं. नैनीताल का इतिहास काफी रोचक रहा है. 18 नवंबर, 1841 को पीटर बैरन नाम के एक अंग्रेज ने नैनीताल की खोज थी. उस समय नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था. लेकिन, पीटर बैरन को नैनीताल की खूबसूरती इतनी पसंद आयी कि वह इस इलाके को किसी भी कीमत पर खरीदना चाहते थे. इस क्षेत्र को खरीदने के लिए बैरन ने बात की तो दानसिंह थोकदार इसे बेचने के लिए तुरंत तैयार हो गए.

नैनीताल की सैर कर पीटर बैरन ने मन ही मन यहां एक शहर बसाने का फैसला कर लिया था. लेकिन, दानसिंह थोकदार ने अचानक ही अपना फैसला बदल दिया और उन्होंने इस इलाके को बेचने से मना कर दिया. जब थोकदार ने इस इलाके को बेचने से मना किया तो अगले दिन बैरन उन्हें अपने साथ नाव में बैठाकर नैनी झील की सैर कराने निकल पड़े.

नैनीझील के बीचों-बीच पहुंचने के बाद पीटर बैरन ने थोकदार के साथ एक चाल चली. उन्होंने थोकदार को डराते हुए कहा कि इस क्षेत्र को खरीदने के लिए मैं तुम्हें मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हूं और अगर तुमने अपना इरादा नहीं बदला तो मैं तुम्हें इसी झील में डूबा दूंगा.

पीटर बैरन ने अपनी किताब "नैनीताल की खोज" में लिखा कि डूबने के डर से दानसिंह ने स्टांप पेपर पर तुंरत दस्तखत कर दिए और इसके बाद यहां पर कल्पनाओं का शहर नैनीताल बसाया गया. नैनीझील के अलावा नैनीताल अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए भी खास पहचान रखता है. नैनीताल का टिफिन टॉप, हिमालय दर्शन, चायना पीक जैसे दर्शनीय स्थल लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

नैनीताल: देश दुनिया में सैर-सपाटे के लिए मशहूर सरोवर नगरी नैनीताल 180 साल का हो गया है. सरोवरी नगरी के जन्मदिन को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. भारत में नैनीताल को लेक डिस्ट्रिक्ट के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी खूबसूरती की दुनिया भर में मिसाल दी जाती है. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी खिंचे चले आते हैं. वहीं सरोवर नगरी का नैसर्गिक सौन्दर्य सैलानियों को रूमानी एहसास कराता है. यहां से लौटते वक्त सैलानी अपने साथ खूबसूरत यादों को ले जाते हैं.

नैनीताल को सरोवर नगरी यूं ही नहीं कहा जाता, 'नैनी' शब्द का अर्थ है आंखें और 'ताल' का अर्थ है झील. नैनीताल की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लाती है. अपनी खूबसूरती के कारण ही सरोवर नगरी साल भर सैलानियों से गुलजार रहती है. जो चारों ओर से प्राकृतिक आकर्षणों से घिरी हुई है. अगर आप घूमने का शौक रखते हैं तो यहां सैर-सपाटे के लिए दर्जनों जगहें हैं, जहां आप प्रकृति का दीदार नजदीकी से कर सकते हैं. वहीं नैनी झील में इठलाती हुई नौकाएं और रंग बिरंगे बोट इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं.

180 साल का हुआ नैनीताल.

पढ़ें- संतान सुख से वंचित लोगों के लिए ये मंदिर है खास, 185 निसंतान दंपति कर रहे 'खड़ा दीया' अनुष्ठान

अन्य पर्यटक स्थल: नैनीझील के आस-पास सातताल, नौकुचियाताल, सरिया ताल, खुर्पाताल, गरुण ताल, भीमताल, सूखा ताल झील भी हैं. जहां जाना सैलानी नहीं भूलते. वहीं पक्षियों का संसार देखने के लिए भी देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं और उनकी चहचहाहट लोगों को मानसिक शांति की अनुभूति कराती है.

सैलानी नैनाताल केव गार्डन, नैना देवी मंदिर और हिमालय दर्शन करना नहीं भूलते हैं. वहीं नैनीताल की चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है. इस चोटी से आप हिमालय और नैनीताल झील का दीदार कर सकते हैं. सैलानी लौटते वक्त यहां की खूबसूरत यादों को अपने जहन में कैद कर ले जाते हैं.

पौराणिक महत्व:बात करें नैनीझील के पौराणिक महत्व की तो नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर पड़ा. जो मां के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. दूसरी मान्यता ये भी है कि इस झील में मानसरोवर झील का पानी आता है. इसलिए नैनीझील के जल को काफी पवित्र माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं.

अब भार नहीं सह सकता ये शहर: पर्यावरणविद् अजय रावत का कहना है जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में नैनीताल शहर की भार सहने की क्षमता खत्म हो चुकी है. जिसके चलते लगातार नैनीताल में भूस्खलन हो रहे हैं. 1993 उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस गंभीर समस्या के निदान व नैनीताल में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नैनीताल में व्यावसायिक निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए थे.

पढ़ें- आंचल डेयरी घर-घर पहुंचाएगा पहाड़ के स्रोतों का पानी, स्थापित करने जा रहा प्लान

नैनीताल की खोज: गौर हो कि सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सरोवर नगरी ने 180 साल पूरे कर लिए हैं. नैनीताल का इतिहास काफी रोचक रहा है. 18 नवंबर, 1841 को पीटर बैरन नाम के एक अंग्रेज ने नैनीताल की खोज थी. उस समय नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था. लेकिन, पीटर बैरन को नैनीताल की खूबसूरती इतनी पसंद आयी कि वह इस इलाके को किसी भी कीमत पर खरीदना चाहते थे. इस क्षेत्र को खरीदने के लिए बैरन ने बात की तो दानसिंह थोकदार इसे बेचने के लिए तुरंत तैयार हो गए.

नैनीताल की सैर कर पीटर बैरन ने मन ही मन यहां एक शहर बसाने का फैसला कर लिया था. लेकिन, दानसिंह थोकदार ने अचानक ही अपना फैसला बदल दिया और उन्होंने इस इलाके को बेचने से मना कर दिया. जब थोकदार ने इस इलाके को बेचने से मना किया तो अगले दिन बैरन उन्हें अपने साथ नाव में बैठाकर नैनी झील की सैर कराने निकल पड़े.

नैनीझील के बीचों-बीच पहुंचने के बाद पीटर बैरन ने थोकदार के साथ एक चाल चली. उन्होंने थोकदार को डराते हुए कहा कि इस क्षेत्र को खरीदने के लिए मैं तुम्हें मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हूं और अगर तुमने अपना इरादा नहीं बदला तो मैं तुम्हें इसी झील में डूबा दूंगा.

पीटर बैरन ने अपनी किताब "नैनीताल की खोज" में लिखा कि डूबने के डर से दानसिंह ने स्टांप पेपर पर तुंरत दस्तखत कर दिए और इसके बाद यहां पर कल्पनाओं का शहर नैनीताल बसाया गया. नैनीझील के अलावा नैनीताल अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए भी खास पहचान रखता है. नैनीताल का टिफिन टॉप, हिमालय दर्शन, चायना पीक जैसे दर्शनीय स्थल लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

Last Updated : Nov 18, 2021, 9:35 AM IST
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