नैनीताल: सरोवर नगरी का 179वां जन्मदिन बुधवार को केक काटकर मनाया गया. समुद्र तल से 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित नैनी झील नैनीताल शहर का प्रमुख आकर्षण है. साल 1841 में ब्रिटिश व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की थी. सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सरोवर नगरी ने 18 नवंबर को 179 साल पूरे कर लिए हैं. सरोवर नगरी नैनीताल का 179वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर मुख्य वन संरक्षक कपिल जोशी के साथ बच्चे और बुजुर्गों ने केक काटकर नैनीताल का 179वां जन्मदिन मनाया.
नैनीताल का इतिहास काफी रोचक
18 नवंबर, 1841 को पीटर बैरन नाम के एक अंग्रेज ने नैनीताल की खोज थी. उस समय नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था. लेकिन, पीटर बैरन को नैनीताल की खूबसूरती इतनी पसंद आयी कि वह इस इलाके को किसी भी कीमत पर खरीदना चाहते थे. इस क्षेत्र को खरीदने के लिए बैरन ने बात की तो दानसिंह थोकदार इसे बेचने के लिए तुरंत तैयार हो गए. नैनीताल की सैर कर पीटर बैरन ने मन ही मन यहां एक शहर बसाने का फैसला कर लिया था.
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लेकिन, दानसिंह थोकदार ने अचानक ही अपना फैसला बदल दिया और उन्होंने इस इलाके को बेचने से मना कर दिया. जब थोकदार ने इस इलाके को बेचने से मना किया तो अगले दिन बैरन उन्हें अपने साथ नाव में बैठाकर नैनी झील की सैर कराने निकल पड़े. नैनीझील के बीचों-बीच पहुंचने के बाद पीटर बैरन ने थोकदार के साथ एक चाल चली. उन्होंने थोकदार को डराते हुए कहा कि इस क्षेत्र को खरीदने के लिए मैं तुम्हें मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हूं और अगर तुमने अपना इरादा नहीं बदला तो मैं तुम्हें इसी झील में डूबा दूंगा.
पीटर बैरन ने अपनी किताब 'नैनीताल की खोज' में लिखा कि डूबने के डर से दानसिंह ने स्टांप पेपर पर तुंरत दस्तखत कर दिए और इसके बाद यहां पर कल्पनाओं का शहर नैनीताल बसाया गया. नैनीझील के अलावा नैनीताल अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए भी खास पहचान रखता है. नैनीताल का टिफिन टॉप, हिमालय दर्शन, चायना पीक जैसे दर्शनीय स्थल लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.