हल्द्वानी: प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था (Uttarakhand Health Department System) किसी से छुपी नहीं है. पहाड़ों पर स्वास्थ्य व्यवस्था खराब होने को लेकर बार-बार सवाल भी खड़े होते रहते हैं. लेकिन पहाड़ों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. लोगों की जीवनदायिनी कहे जाने वाली 108 सेवा दम तोड़ रही है.
बात नैनीताल जनपद की करें तो नैनीताल जनपद में 23 जीवनदायिनी 108 वाहन तैनात हैं. जिसमें 13 वाहन चलने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन विभाग द्वारा इनको किसी तरह से सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है, जो मरीजों के जान के लिए भी खतरा बने हुए हैं. यही नहीं 13 वाहन जर्जर स्थिति (108 vehicles are in bad condition) में हैं, जो सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं. आलम यह है कि मरीजों को ले जाने के दौरान पुराने 108 वाहन बीच रास्ते में ही खड़े हो जा रहे हैं, जिसके चलते मरीज को या तो इंतजार करना पड़ता है या अपने साधन से अस्पताल को जाना पड़ता है.
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अधिकतर वाहन अब खराब हो चुके हैं, लेकिन विभाग इनको बदलने के बजाय सड़कों पर दौड़ा रहा है जिससे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल भागीरथी जोशी ने बताया कि नैनीताल जनपद में 108 की 23 वाहन संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें 13 वाहन पुराने हैं, जबकि 10 वाहन नए हैं. इन वाहनों को बदलने के लिए शासन को भी अवगत कराया गया है. उन्होंने बताया कि 10 वाहन चलने योग्य हैं, जबकि 13 वाहनों को मरम्मत करा कर उनको चलाए जाने का काम चल रहा है.
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत (Health Minister Dhan Singh Rawat) का कहना है कि नियम के अनुसार 108 वाहन को 20 मिनट में उक्त मरीज के पास पहुंचने का समय निर्धारित किया गया है. जिससे कि इमरजेंसी में उस मरीज को त्वरित सहायता मिल सके. जहां कहीं भी 108 वाहनों के पुराने होने के मामले सामने आ रहे हैं उनको बदलने का काम किया जा रहा है.