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दिवालिया होने की कगार पर वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी, कुंभ से पहले कूड़े का ढेर बन जाएगा हरिद्वार?

यदि हरिद्वार नगर निगम और राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया तो जल्द ही हरिद्वार शहर कूड़े का ढेर बन जाएगा. नगर निगम और राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कुंभ मेला 2021 है.

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Published : Dec 5, 2020, 7:42 PM IST

Updated : Dec 5, 2020, 10:59 PM IST

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हरिद्वार

हरिद्वार: कुंभ से पहले हरिद्वार से एक बड़ी और बुरी खबर है. सरकार जिस महाकुंभ को करवाने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, जिसकी व्यवस्थाओं को दिखाने के लिए पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक खुद आए हैं, उस कुंभ के आयोजन से पहले हरिद्वार की वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी ने नगर निगम के साथ अपना अनुबंध खत्म करने की आखिरी शर्त भी पूरी कर ली है.

हरिद्वार में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम देख रही केआरएल कंपनी नगर निगम की हठधर्मिता और सरकार की अनदेखी के कारण लंबे समय से घाटे में चल रही थी. ऐसा नहीं है कि सरकार और नगर निगम को इस बात की जानकारी नहीं है. बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारियों ने इस बाबत कंपनी के साथ बातचीत नहीं की और आज कंपनी ने नगर निगम को अंतिम नोटिस देकर अपना मंसूबा साफ कर दिया. कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि सोमवार से हरिद्वार शहर से कूड़ा नहीं उठेगा.

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कंपनी ने नगर निगम को लिखा पत्र

पढ़ें- कुंभ कार्यों से नाखुश निशंक पर हरदा ने ली चुटकी, कहा- बड़ी देर कर दी मेहरबां कुछ कहते-कहते

हरिद्वार शहर का यह आलम तब है जब शहर के विधायक मदन कौशिक सरकार में शहरी विकास मंत्री हैं और इन्हीं के मंत्री रहते हुए हरिद्वार शहर को बीते दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण में बीते साल के मुताबिक इस साल 134 पायदान से अधिक की बढ़त मिली थी.

उत्तराखंड सरकार और सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य में भले ही युवाओं को नौकरी और उद्योगपतियों को राज्य में आमंत्रण दे रहे हों, लेकिन अधिकारियों की नासमझी की वजह से अब कंपनियां न केवल यहां से पलायन कर रही हैं बल्कि दिवालिया होने के साथ-साथ हजारों कर्मचारियों के भी जीवन पर संकट आ पड़ा है.

दिवालिया होने की कगार पर वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी.

हरिद्वार में केआरएल कंपनी जहां सोमवार से काम करना बंद कर देगी, वहीं कंपनी के बंद हो जाने से लगभग 500 परिवारों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. नगर निगम से अलग केआरएल के साथ 500 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं. केआरएल के पदाधिकारियों ने आज तमाम कर्मचारियों से बातचीत करके यह निर्देश दे दिए हैं कि सभी कर्मचारी दूसरी जगह पर अपनी व्यवस्थाएं देख लें.

ये है काम छोड़ने की वजह

कंपनी हरिद्वार में 8 सालों से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम देख रही है. कंपनी अपने बयान में यह कहती है कि पूरे राज्य सहित उत्तर प्रदेश या दूसरे राज्यों के अगर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के मानदेय को देखा जाए तो उस हिसाब से उनका मानदेय बेहद कम है. लिहाजा जिस वक्त सरकार या नगर निगम से अनुबंध हुआ था उस वक्त पेट्रोल की कीमत ₹40 थी जो अब बढ़कर ₹75 हो गई है लेकिन महंगाई बढ़ने के साथ आज तक भी नगर निगम की तरफ से कंपनी रूल के हिसाब से पैसों में इजाफा नहीं किया. ऐसे में कंपनी सभी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के साथ-साथ गाड़ियों की मरम्मत, पेट्रोल और प्लांट का खर्चा नहीं उठा पा रही है.

पढ़ें- मुख्य सचिव ने कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर की समीक्षा बैठक

कंपनी के कहा है कि वो इस तरह हर महीने लाखों के घाटे में चलते हुये अब सरवाइव नहीं कर सकती है. अब जबकि कंपनी ने 3 महीने पहले नोटिस पीरियड देने के साथ-साथ अपना ट्रेनिंग नोटिस पीरियड भी समाप्त कर लिया है, बावजूद इसके नगर निगम की तरफ से कोई भी पहल नहीं की गई है. ऐसे में कंपनी चला रहे लोगों का कहना है कि अब बेहद मुश्किल हो गया है कि एक कर्मचारी को भी तनख्वाह जेब से दी जाए.

कंपनी के डायरेक्टर ने निगम को अपना पक्ष लिखा

केआरएल कंपनी के डायरेक्टर अजय सिंह ने हरिद्वार नगर निगम को लिखे पत्र में कहा है कि, अनुबंध होने की तिथि से आज तक न्यूनतम आय उत्तराखंड में दो बार बढ़ाई जा चुकी है. इसके साथ ही जब अनुबंध हुआ था तब डीजल का रेट ₹40 प्रति लीटर था जबकि आज ₹75 प्रति लीटर हो गया है. नगर निगम कई सालों से टीपिंग (डोर टू डोर कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन और कूड़े का निस्तारण) फीस दर और डीपीआर राशि को बढ़ाने का लगातार आश्वासन दे रहा था, लेकिन उसमें भी अबतक कोई बात आगे नहीं बढ़ी.

इतना ही नहीं, अनुबंध के बाद हरिद्वार नगर निगम के क्षेत्र को और बढ़ा दिया था जिसके कारण कर्मचारियों को बढ़ाया गया था. डायरेक्टर अजय सिंह ने पत्र में ये भी पूछा है कि निगम आखिरकार उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है जबकि देहरादून नगर निगम में 2205 रुपये प्रति टन कूड़ा उठाने का पैसा दिया जा रहा है. मुनि की रेती में 1920 रुपये प्रति टन जबकि हरिद्वार की केआरएल को 361 रुपये प्रति टन के हिसाब से पैसा दिया जा रहा है.

उधर, ईटीवी भारत ने जब नगर आयुक्त जय भारत को फोन कर इस मामले की जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. हैरानी की बात ये है कि बीते सात महीने में हरिद्वार नगर निगम से चार नगर आयुक्तों का तबादला हो चुका है.

हरिद्वार: कुंभ से पहले हरिद्वार से एक बड़ी और बुरी खबर है. सरकार जिस महाकुंभ को करवाने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, जिसकी व्यवस्थाओं को दिखाने के लिए पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक खुद आए हैं, उस कुंभ के आयोजन से पहले हरिद्वार की वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी ने नगर निगम के साथ अपना अनुबंध खत्म करने की आखिरी शर्त भी पूरी कर ली है.

हरिद्वार में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम देख रही केआरएल कंपनी नगर निगम की हठधर्मिता और सरकार की अनदेखी के कारण लंबे समय से घाटे में चल रही थी. ऐसा नहीं है कि सरकार और नगर निगम को इस बात की जानकारी नहीं है. बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारियों ने इस बाबत कंपनी के साथ बातचीत नहीं की और आज कंपनी ने नगर निगम को अंतिम नोटिस देकर अपना मंसूबा साफ कर दिया. कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि सोमवार से हरिद्वार शहर से कूड़ा नहीं उठेगा.

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कंपनी ने नगर निगम को लिखा पत्र

पढ़ें- कुंभ कार्यों से नाखुश निशंक पर हरदा ने ली चुटकी, कहा- बड़ी देर कर दी मेहरबां कुछ कहते-कहते

हरिद्वार शहर का यह आलम तब है जब शहर के विधायक मदन कौशिक सरकार में शहरी विकास मंत्री हैं और इन्हीं के मंत्री रहते हुए हरिद्वार शहर को बीते दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण में बीते साल के मुताबिक इस साल 134 पायदान से अधिक की बढ़त मिली थी.

उत्तराखंड सरकार और सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य में भले ही युवाओं को नौकरी और उद्योगपतियों को राज्य में आमंत्रण दे रहे हों, लेकिन अधिकारियों की नासमझी की वजह से अब कंपनियां न केवल यहां से पलायन कर रही हैं बल्कि दिवालिया होने के साथ-साथ हजारों कर्मचारियों के भी जीवन पर संकट आ पड़ा है.

दिवालिया होने की कगार पर वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी.

हरिद्वार में केआरएल कंपनी जहां सोमवार से काम करना बंद कर देगी, वहीं कंपनी के बंद हो जाने से लगभग 500 परिवारों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. नगर निगम से अलग केआरएल के साथ 500 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं. केआरएल के पदाधिकारियों ने आज तमाम कर्मचारियों से बातचीत करके यह निर्देश दे दिए हैं कि सभी कर्मचारी दूसरी जगह पर अपनी व्यवस्थाएं देख लें.

ये है काम छोड़ने की वजह

कंपनी हरिद्वार में 8 सालों से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम देख रही है. कंपनी अपने बयान में यह कहती है कि पूरे राज्य सहित उत्तर प्रदेश या दूसरे राज्यों के अगर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के मानदेय को देखा जाए तो उस हिसाब से उनका मानदेय बेहद कम है. लिहाजा जिस वक्त सरकार या नगर निगम से अनुबंध हुआ था उस वक्त पेट्रोल की कीमत ₹40 थी जो अब बढ़कर ₹75 हो गई है लेकिन महंगाई बढ़ने के साथ आज तक भी नगर निगम की तरफ से कंपनी रूल के हिसाब से पैसों में इजाफा नहीं किया. ऐसे में कंपनी सभी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के साथ-साथ गाड़ियों की मरम्मत, पेट्रोल और प्लांट का खर्चा नहीं उठा पा रही है.

पढ़ें- मुख्य सचिव ने कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर की समीक्षा बैठक

कंपनी के कहा है कि वो इस तरह हर महीने लाखों के घाटे में चलते हुये अब सरवाइव नहीं कर सकती है. अब जबकि कंपनी ने 3 महीने पहले नोटिस पीरियड देने के साथ-साथ अपना ट्रेनिंग नोटिस पीरियड भी समाप्त कर लिया है, बावजूद इसके नगर निगम की तरफ से कोई भी पहल नहीं की गई है. ऐसे में कंपनी चला रहे लोगों का कहना है कि अब बेहद मुश्किल हो गया है कि एक कर्मचारी को भी तनख्वाह जेब से दी जाए.

कंपनी के डायरेक्टर ने निगम को अपना पक्ष लिखा

केआरएल कंपनी के डायरेक्टर अजय सिंह ने हरिद्वार नगर निगम को लिखे पत्र में कहा है कि, अनुबंध होने की तिथि से आज तक न्यूनतम आय उत्तराखंड में दो बार बढ़ाई जा चुकी है. इसके साथ ही जब अनुबंध हुआ था तब डीजल का रेट ₹40 प्रति लीटर था जबकि आज ₹75 प्रति लीटर हो गया है. नगर निगम कई सालों से टीपिंग (डोर टू डोर कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन और कूड़े का निस्तारण) फीस दर और डीपीआर राशि को बढ़ाने का लगातार आश्वासन दे रहा था, लेकिन उसमें भी अबतक कोई बात आगे नहीं बढ़ी.

इतना ही नहीं, अनुबंध के बाद हरिद्वार नगर निगम के क्षेत्र को और बढ़ा दिया था जिसके कारण कर्मचारियों को बढ़ाया गया था. डायरेक्टर अजय सिंह ने पत्र में ये भी पूछा है कि निगम आखिरकार उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है जबकि देहरादून नगर निगम में 2205 रुपये प्रति टन कूड़ा उठाने का पैसा दिया जा रहा है. मुनि की रेती में 1920 रुपये प्रति टन जबकि हरिद्वार की केआरएल को 361 रुपये प्रति टन के हिसाब से पैसा दिया जा रहा है.

उधर, ईटीवी भारत ने जब नगर आयुक्त जय भारत को फोन कर इस मामले की जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. हैरानी की बात ये है कि बीते सात महीने में हरिद्वार नगर निगम से चार नगर आयुक्तों का तबादला हो चुका है.

Last Updated : Dec 5, 2020, 10:59 PM IST
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