हरिद्वारः शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद ज्योतिष पीठ को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwarananda) का पूरे विधि विधान से जोशीमठ पीठ पर अभिषेक हो गया है तो वहीं कई अखाड़े और साधु संत अभी भी स्वामी अवधेशानंद को अपना शंकराचार्य मानने से इनकार कर रहे हैं. वहीं, अब काशी के बाद हरिद्वार में भी शंकराचार्य परिषद विद्वत सभा (Vidwat Sabha of Shankaracharya Parishad) कराने जा रहा है जिसमें सभी विद्वानों और साधु संतों को बुलाया जाएगा. इसमें मठ आम्नाय और ज्योतिष पीठ व आने वाले समय में स्वयंभू शंकराचार्य ना बने इस को लेकर चर्चा की जाएगी.
स्वामी आनंद स्वरूप ने बताया कि देश में बढ़ते स्वयंभू शंकराचार्य को देखते हुए फैसला लिया है कि 5 स्थलों पर विद्वत सभा का आयोजन किया जाएगा. इसमें 4 कुंभ स्थल और एक अयोध्या स्थान को चुना गया है. काशी में सभा सफल हो चुकी है. अब हरिद्वार में दो दिवसीय विद्वत सभा करने का निर्णय लिया गया है, जो कि 12 और 13 दिसंबर को हरिद्वार में आयोजित की जाएगी. फिलहाल अभी स्थान चयनित नहीं किया गया है. लेकिन हमारी कोशिश है कि इसे निरंजनी अखाड़े में कराया जाए. इसके लिए हम अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के सचिव से वार्तालाप करेंगे.
वहीं, विद्वत सभा के बारे में बताते हुए स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि विद्वत सभा में पूरे देश के विद्वान जुड़ेंगे और आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा लिखी गई मठ आम्नाय पर चर्चा होगी. आने वाले समय में योग्य शंकराचार्य का चुनाव हो, इस पर शास्त्र और मठ आम्नाय क्या कहता है इस पर विद्वानों के साथ चर्चा होगी. सभा में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा. उसी के तहत काशी विद्युत परिषद व उत्तराखंड विद्युत परिषद के विद्वानों को भी आमंत्रित किया जाएगा. सभी विद्वानों द्वारा मिलकर लिए गए फैसले का एक धर्म आदेश भी जारी किया जाएगा.